Yogi Adityanath vs Keshav Prasad Maurya: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों से यूपी बीजेपी को झटका लगा है। इसके बाद से पार्टी में हलचल मची हुई है। अब बीजेपी विधानसभा उपचुनावों में अपनी ताकत दिखाने की कोशिश कर रही है। लेकिन, यूपी बीजेपी में कई ऐसे राजनीतिक घटनाक्रम सामने आए हैं जो बताते हैं कि सब कुछ ठीक नहीं है। यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का रुख और बीजेपी की धड़ाधड़ हो रही बैठकें इस बात का संकेत देती हैं कि कुछ बड़ा होने वाला है।

केशव मौर्य की दिल्ली यात्रा
पहले केशव मौर्य ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने संगठन को सरकार से बड़ा बताया, फिर राज्य कार्यकारिणी बैठक में खुद को कार्यकर्ता कहा और अचानक दिल्ली जाकर जेपी नड्डा से मुलाकात की। इन घटनाओं से साफ है कि यूपी बीजेपी में सब कुछ ठीक नहीं है। खबरें हैं कि केशव मौर्य के बाद भूपेंद्र चौधरी ने भी जेपी नड्डा से मुलाकात की है। ये घटनाक्रम इशारा करते हैं कि यूपी बीजेपी में कुछ बड़ा होने वाला है।

केशव मौर्य ने की जेपी नड्डा से मुलाकात?
मंगलवार को यूपी के डिप्टी सीएम केशव मौर्य अचानक दिल्ली पहुंचे। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के मुख्यालय में बीजेपी प्रमुख जेपी नड्डा से मुलाकात की। इन दोनों के बीच करीब 1 घंटे तक बातचीत हुई। इसके बाद यूपी बीजेपी प्रमुख भूपेंद्र चौधरी ने भी जेपी नड्डा से मुलाकात की। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि इन दोनों नेताओं ने किस मुद्दे पर चर्चा की। लेकिन, इन बैठकों का अपना राजनीतिक महत्व है। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद इन बैठकों का और भी ज्यादा महत्व है।

यूपी में मिल रहे बदलाव के संकेत
सूत्रों के मुताबिक, लखनऊ से दिल्ली तक हो रही ये बैठकें यूपी बीजेपी में बड़े बदलाव का संकेत दे रही हैं। अब सवाल उठता है कि केशव प्रसाद मौर्य अचानक दिल्ली क्यों पहुंचे? उन्होंने जेपी नड्डा से क्या बात की? क्या केशव प्रसाद सीएम योगी से नाराज हैं? क्या उनके और सीएम योगी के बीच सब कुछ ठीक है? क्या यह यूपी में भारी हार का असर है? इन सभी सवालों के जवाब तलाशे जा रहे हैं। इस बीच, सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी मंत्रियों की एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई।

'संगठन सरकार से बड़ा है'
राजनीतिक हलकों में केशव मौर्य और योगी आदित्यनाथ के बीच तकरार की भी खबरें हैं। ये खबरें तब और मजबूत हो गईं जब केशव मौर्य ने रविवार को राज्य कार्यकारिणी में अपना कड़ा रुख दिखाया। केशव मौर्य ने एक ऐसा बयान दिया, जिससे उनके और सीएम योगी के बीच तकरार की खबरें और मजबूत हो गईं। लोकसभा चुनाव में हार के विश्लेषण पर केशव मौर्य ने बैठक में कहा, 'संगठन हमेशा सरकार से बड़ा होता है।' जब केशव मौर्य ने यह कहा, तो जेपी नड्डा और सीएम योगी भी उनके साथ मौजूद थे। तब से यह अटकलें गर्म हो गई हैं कि यूपी बीजेपी में सब कुछ ठीक नहीं है।

योगी और मौर्य के बीच सब कुछ ठीक है?
लोकसभा चुनाव के बाद से ही केशव मौर्य और सीएम योगी के बीच तनातनी की खबरें आ रही हैं। केशव मौर्य की कुछ हरकतों ने भी इसका संकेत दिया है। योगी बनाम मौर्य की चर्चा इसलिए भी हो रही है क्योंकि जब सीएम योगी ने लोकसभा चुनाव के बाद हार की समीक्षा के लिए जून में बैठक बुलाई, तो केशव मौर्य ने इसमें भाग नहीं लिया। उन्होंने सीएम योगी के एक और कार्यक्रम से दूरी बनाई। इसके बाद, उन्होंने जेपी नड्डा और सीएम योगी के सामने संगठन को सरकार से बड़ा बताकर संघर्ष की बात को और मजबूत कर दिया।

केशव को मिलेगी बीजेपी की कमान?
माना जा रहा है कि ये सभी गतिविधियां संगठन में बदलाव से जुड़ी हैं। यूपी उपचुनाव से पहले राज्य संगठन में बदलाव देखने को मिल सकते हैं। चर्चा है कि केशव प्रसाद मौर्य को फिर से यूपी बीजेपी की कमान मिल सकती है। इसका कारण भी है। जब 2017 में बीजेपी ने यूपी में सत्ता में आई, तो मौर्य बीजेपी के अध्यक्ष थे। केशव मौर्य की बीजेपी में मजबूत पकड़ है।