Waqf Amendment Bill LIVE: केंद्र सरकार ने आज (गुरुवार को) लोकसभा में वक्फ बोर्ड की शक्तियों और उसकी कार्यप्रणाली में संशोधन से जुड़ा बिल पेश कर दिया। सदन में पक्ष-विपक्ष के सांसद अपनी बात रख रहे हैं। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि वक्फ बोर्ड पर माफियाओं का कब्जा है। यह बिल किसी के अधिकार छीनने नहीं, हक दिलाने के लिए लाया जा रहा है। केंद्र सरकार वक्फ अधिनियम संशोधन विधेयक पेश कर वक्फ बोर्ड द्वारा किसी भी संपत्ति को 'वक्फ संपत्ति' बनाने की शक्तियों पर अंकुश लगाना चाहती है। 2 अगस्त को कैबिनेट ने वक्फ एक्ट में करीब 40 संशोधनों को मंजूरी दी थी। कांग्रेस, टीएमसी, एनसीपी (एससीपी), वायएसआर कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और डीएमके सहित विपक्षी दलों ने इस विधेयक का विरोध किया।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, संशोधित बिल में 40 बदलाव शामिल हैं। इनमें वक्फ कमेटी में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करना प्रमुख है। दूसरी ओर, जमियत उलेमा-ए-हिंद समेत अन्य मुस्लिम संगठनों ने इसे शरियत के साथ छेड़छाड़ की कोशिश करार दिया है।
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केंद्रीय मंत्री (अल्पसंख्यक मामले) किरेन रिजिजू का जवाब
- केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष के सवालों पर कहा- आज सदन में जितने भी मुद्दे उठाए गए हैं। मैं एक-एक सवाल का सवाल का उत्तर दूंगा। उम्मीद करता हूं कि बिल की सभी बातें जानने के बाद आप सभी इसका समर्थन करेंगे। इस बिल में संविधान के किसी आर्टिकल का उल्लंघन नहीं किया जा रहा है। किसी का हक नहीं छीना जा रहा है, बल्कि हम मुस्लिम समाज के गरीब, महिला और पिछड़ों को मौका देने के लिए यह संशोधित बिल लेकर आए हैं। आजादी के बाद 1954 में सबसे पहले यह अध्यादेश लाया गया था, कई संशोधन हुए। हम जो संशोधित बिल लेकर आए हैं, वो 1995 के बिल में हुए हैं। उस समय जो संशोधन हुए थे, उस पर गहनता से विचार हुआ है, जो असक्षम पाया गया, इसमें कई खामियां देखने को मिलीं। मैं कांग्रेस से कहना चाहता हूं कि आप लोगों ने जो सवाल उठाए हैं, वो आप नहीं कर पाए, इसलिए हम इसमें संशोधन करने का प्रयास कर रहे हैं। आप लोग इसका समर्थन करें, करोड़ों लोगों की दुआएं मिलेंगी। वक्फ बोर्ड पर कुछ लोगों ने कब्जा करके रखा है। आज तक जिन्हें हक नहीं मिला, वो आपको दुआएं देगे। यह बिल उन्हें न्याय दिलाने के लिए लाया गया है। 4.9 लाख रजिस्टर्ड वक्फ प्रॉपर्टीज हैं। सच्चर कमेटी ने रिपोर्ट में कहा था कि मौजूदा वक्फ बोर्ड का विस्तार होना चाहिए। इसमें दो महिला सेंटर वक्फ काउंसिल में होना चाहिए। सेक्रेटरी भारत सरकार के अंडर सेक्रेटरी लेवल का ऑफिसर हो। महिलाओं और बच्चों को प्रमुख रूप से जिम्मेदारी मिलनी चाहिए। वक्फ बोर्ड पर माफियाओं का कब्जा है।
- दूसरी ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (जेपीसी) की रिपोर्ट में कहा गया है कि वक्फ बोर्ड सही तरीके से नहीं चल रहा है। लगता है कि सारा वक्फ बोर्ड का ध्यान किसको मुतावली बनाना है, इस पर रहता है। डेटाबेस को सेंट्रलाइज करना चाहिए। ये सभी सुझाव दोनों कमेटी ने दिए थे। आपको (विपक्ष) हमें शाबाशी देना चाहिए। आप अंदर-अंदर समर्थन दे रहे हैं, लेकिन राजनीतिक दवाब में विरोध कर रहे हैं। अगर किसी ट्रिब्यूनल के फैसले को हम कोर्ट में अपील करने का अधिकार देते हैं तो यह गैर-संवैधानिक कैसे हो गया। भारत जैसे बड़े लोकतांत्रिक देश में वक्फ के फैसले को ट्रिब्यूनल में लेक नहीं जा सकते, क्या ये आज संभव है।
- इस बिल के लिए हमने सभी पक्षों के साथ बैठकर राय मशविरा किया। पिछले वक्फ कानूनों को बनाने में खामियां रह गई थीं, हम उन्हें दूर कर रहे हैं। कल रात तक मेरे पास विपक्ष के भी कई मुस्लिम सांसद आए और बोले कि हम आपके साथ हैं। पार्टी वोट बैंक के लिए विरोध करेगी, लेकिन हम सुधार के लिए साथ हैं। सरकार ने 2015 से पटना, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, 2023 में मुंबई, लखनऊ में वक्फ मेंबर्स और आम शहरियों के साथ मीटिंग की गई। दिल्ली में सेंट्रल वक्फ कमेटी के चेयरमैन के साथ बैठक हुई।
- दाउद इब्राहिम भारत से भाग चुका है। मुंबई में उसकी जमीन और प्रॉपर्टी हैं। वो वक्फ के अंदर शामिल हैं। तिरुचिरापल्ली में एक 1500 साल पुराना गांव है, वहां एक किसान जमीन बेचने गया तो पता चला कि पूरा गांव वक्फ की संपत्ति है। ऐसे कई मामले सदन को चिंतित करते हैं। एक लखनऊ का केस है। वे बेचारे किस मुश्किल हालात में जी रहे हैं। अगर हम संशोधन नहीं करेंगे तो परिवार को पुश्तैनी जमीन कभी नहीं मिलेगी।
वक्फ बोर्ड संशोधन को लेकर क्या बोले विपक्षी सांसद?
- शिवसेना (शिंदे गुट) के सांसद श्रीकांत शिंदे ने वक्फ संशोधन बिल का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि वक्फ देश में तीसरा सबसे बड़ा लैंड होल्डर है। इसमें पारदर्शिता आएगी तो जमीन का सही उपयोग स्कूल, अस्पताल बनाने में होगा। विपक्ष केवल अपने हितों के लिए मुस्लिम समाज को पीछे धकेलने का काम कर रहा है।
- टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा- देश के मुस्लिम अल्पसंख्यकों को चुन-चुनकर टारगेट किया जा रहा है। इसे बिल्कुल भी टॉलरेट नहीं किया जाएगा। इस मुद्दे पर पूरा विपक्ष एकजुट है।
- स्पीकर ओम बिड़ला ने कहा कि मेरी सभी वरिष्ठ सदस्यों से अपील है कि चेयर पर कोई टिप्पणी न करें।
- सपा सांसद अखिलेश यादव ने कहा- यह बिल सोची समझी साजिश के तहत हो रहा है। अन्य धार्मिक बॉडी हैं, उनमें कोई दूसरे धर्म का व्यक्ति शामिल नहीं होता है। अगर आप जिलाधिकारी को सारी शक्तियां दे देंगे तो मैं नहीं कहना चाहता कि एक डीएम ने क्या किया था। बीजेपी हताश और निराश है। अध्यक्ष जी आज विपक्ष के साथ आपके भी अधिकार छीने जा रहे हैं। हम सब को इसके लिए लड़ना होगा। गृह मंत्री अमित शाह ने विरोध जताया, कहा- अध्यक्ष के अधिकार केवल विपक्ष के नहीं, पूरे सदन के हैं। अखिलेश यादव गोल-मोल बातें न करें।
- कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा- हम संविधान की कसम खाकर संसद पहुंचे हैं। लेकिन सरकार संविधान की धज्जियां उड़ाने का काम कर रही है। वक्फ बोर्ड देशभर में मस्जिद और दरगाहों का प्रबंधन का काम करता है। आप सुप्रीम कोर्ट तक के आदेश की अवहेलना कर रहे हैं। हम बिल का पुरजोर विरोध करते हैं।
- एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी- यह बिल धार्मिक आजादी के खिलाफ है। सरकार देश को बांटने का काम कर रही है। आप मुसलमानों के दुश्मन है, ये बिल इसका सबूत है। एक तरह से मस्जिदों और दरगाहों पर कब्जे की कोशिश है।
- एनसीपी (एस) सांसद सुप्रिया सुले ने कहा- हमें केंद्र सरकार की ओर से बिल नहीं दिया गया, बल्कि मीडिया से मिला है। सांसदों तक पहुंचने से पहले संशोधित बिल मीडिया को कैसे मिला। सरकार बिना चर्चा के वक्फ बिल लेकर आ रही है। इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।
- जेडीयू सांसद राजीव रंजन ने कहा- यह बिल मुस्लिम विरोधी नहीं है। इसकी मंदिर या गुरुद्वारे से तुलना करना गलत है। अगर किसी संस्था में मनमानी चलती है तो सरकार को हक है कि वो सुधार के लिए बिल लेकर आए। वक्फ संशोधन बिल को आना चाहिए।
- DMK सांसद कनिमोझी ने कहा कि आज संसद के लिए दुखद दिन है, क्योंकि सरकार ऐसा बिल लेकर आई है, जो कि संविधान की मूल भावनाओं के खिलाफ है। वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम कैसे शामिल हो सकते हैं? यह बिल खुले तौर पर अल्पसंख्यक मुस्लिमों के खिलाफ है। एक विशेष समुदाय को टारगेट किया जा रहा है।
- टीएमसी सांसद सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा- यह वफ्फ संशोधन बिल संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। इससे देश की संघीय व्यवस्था को धक्का लगेगा।
- सपा सांसद मोहिबुल्लाह नदवी ने कहा कि जब शिरोमणि कमेटी में सिखों को ऊपर रखा जाता है तो नए बिल के जरिए मुस्लिमों के साथ ये भेदभाव क्यों किया जा रहा है। हमारी पार्टी वक्फ अधिनियम संसोधन विधेयक का खुलकर विरोध करती है।
- कांग्रेस ने वक्फ संसोधन बिल का विरोध करते हुए इसे अनुच्छेद 26 के खिलाफ बताया। सांसद केसी वेणुगोपाल ने कहा- यह बिल संविधान पर हमला है और अधिकारियों पर चोक करने जैसा है। बिल संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। मोदी सरकार देश को बांटने का काम कर रही है।
पक्ष विरोध में, कहा- रिव्यू के लिए कमेटी के पास भेजा जाए
कांग्रेस सांसद के. सुरेश ने बताया कि बुधवार को व्यवसाय सलाहकार समिति की बैठक में संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने हमें बताया कि सरकार गुरुवार को प्रश्नकाल के बाद लोकसभा में वक्फ अधिनियम संशोधन विधेयक पेश करेगी। कांग्रेस, टीएमसी, एनसीपी (एससीपी), समाजवादी पार्टी और डीएमके सहित विपक्षी दलों ने इस विधेयक का विरोध किया।
सुरेश ने आगे कहा- हमने बैठक में कहा कि यह जल्दबाजी में लिया गया फैसला है। संबंधित मुस्लिम संगठनों और हितधारकों के साथ किसी भी चर्चा के बिना, आप आगामी चुनावों में कुछ राजनीतिक लाभ या ध्रुवीकरण के लिए इस विधेयक को ला रहे हैं। सरकार अपने प्रस्ताव को वापस लेने के लिए तैयार नहीं है। हमने मांग की कि इस विधेयक को विचार विमर्श के लिए परमानेंट कमेटी के पास भेजा जाए... पूरा विपक्ष इस विधेयक का कड़ा विरोध कर रहा है। विधेयक पेश होने दें, हमारी पार्टी इसके बाद निर्णय लेगी।
प्रस्तावित संशोधन के प्रावधान
- संपत्तियों का सत्यापन: वक्फ बोर्ड की ओर से किए गए संपत्तियों पर दावों का अनिवार्य रूप से सत्यापन का प्रस्ताव दिया जाएगा। इसी तरह, वक्फ बोर्ड की विवादित संपत्तियों के लिए अनिवार्य सत्यापन का प्रस्ताव किया गया है।
- प्रभाव: इस संशोधन का सीधा असर उत्तर प्रदेश जैसे क्षेत्रों में होगा, जहां वक्फ बोर्ड काफी सक्रिय है और उसके पास जमीन भी बहुत है। 2013 में यूपीए सरकार ने मूल अधिनियम में संशोधन लाकर वक्फ बोर्ड को और अधिक शक्तियां दी थीं। वक्फ बोर्ड के पास करीब 8.7 लाख संपत्तियां हैं, जिनका कुल क्षेत्रफल करीब 9.4 लाख एकड़ है।
अपील प्रक्रिया की खामियां
सरकार ने राज्य वक्फ बोर्डों को किसी भी संपत्ति पर दावा करने के लिए व्यापक अधिकार दिए जाने और अधिकांश राज्यों में ऐसी संपत्ति के सर्वेक्षण में देरी का संज्ञान लिया था। सरकार ने वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकने के लिए जिला मजिस्ट्रेटों को निगरानी में शामिल करने की संभावना पर भी विचार किया था। अपील प्रक्रिया में खामियां भी जांच के दायरे में हैं। उदाहरण के लिए, बोर्ड के किसी निर्णय के खिलाफ अपील न्यायाधिकरण के पास होती है, लेकिन ऐसी अपीलों के निपटान के लिए कोई समयसीमा नहीं होती।
संभावित संशोधन
केंद्र सरकार संसद में संशोधन से जुड़ा जो बिल पेश करने की तैयारी में है, उसमें करीब 40 बदलावों का प्रस्ताव है। इनमें कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं:
- वक्फ अधिनियम की धारा 9 और धारा 14 में संशोधन का प्रस्ताव।
- वक्फ बोर्ड की शक्तियों को सीमित करना।
- बोर्ड की संरचना में बदलाव का प्रस्ताव।
- निकायों में महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने का प्रस्ताव।
- बोर्ड की ओर से भूमि को वक्फ की संपत्ति घोषित करने से पहले उसका सत्यापन सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
- राज्य वक्फ बोर्ड्स के दावे वाली विवादित भूमि का नए सिरे से सत्यापन कर सकेंगी।
वक्फ बोर्ड क्या है?
- वक्फ बोर्ड वक्फ संपत्तियों का मैनेजमेंट देखता है। वक्फ को दान का एक रूप माना जाता है, जो मुस्लिम समुदाय के विकास के लिए दी गई संपत्ति है। संपत्ति और संपत्ति से हुए मुनाफे का हर राज्य के वक्फ बोर्ड प्रबंधन करते हैं। 1954 में जवाहरलाल नेहरू सरकार ने वक्फ एक्ट पारित किया था। सरकार ने 1964 में सेंट्रल वक्फ काउंसिल की स्थापना की थी। 1995 में हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में वक्फ बोर्ड के गठन की अनुमति देने के लिए कानून में संशोधन हुआ।
- वक्फ बोर्ड यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार है कि वक्फ संपत्ति से हुई आय का इस्तेमाल मुस्लिम समुदाय के विकास के लिए किया जाए। बिहार जैसे राज्यों में अलग-अलग शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड हैं। अभी वक्फ बोर्ड के पास करीब 8.7 लाख संपत्तियां हैं, जिनका कुल क्षेत्रफल करीब 9.4 लाख एकड़ बताया जाता है। फिलहाल, देश के 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 30 वक्फ बोर्ड हैं।