Mob Lynching Cases: सुप्रीम कोर्ट में इन दिनों एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई हो चल रही है, जिसमें अल्पसंख्यकों के खिलाफ हुई मॉब लिंचिंग की घटनाओं को लेकर आदेश जारी करने की मांग की गई है। पीआईएल दायर करने वाले में कथित गोरक्षकों द्वारा पीट-पीटकर मारे गए लोगों के परिजन शामिल हैं। जिन्होंने शीर्ष अदालत से तत्काल वित्तीय राहत की मांग की है। मंगलवार को अदालत ने मॉब लिंचिंग पर सुनवाई के दौरान उदयपुर के कन्हैयालाल हत्याकांड का जिक्र किया और पिटिशनर के वकीलों से ऐसे मामलों को पेश करते वक्त सिलेक्टिव न होने को कहा।
सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच में हो रही सुनवाई
राजस्थान के उदयपुर में जून 2022 को टेलर कन्हैयालाल की उसकी दुकान में घुसकर हमलावरों ने दिनदहाड़े उसकी हत्या की थी। जांच के दौरान मामले में मुस्लिम कट्टरपंथ का एंगल सामने आया। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती मॉब लिंचिंग से जुड़ी याचिका पर सुनवाई की। अदालत ने पूछा- राजस्थान के उस टेलर... कन्हैया लाल... के बारे में क्या, जिसकी पीट-पीट कर हत्या कर दी गई?
नूपुर शर्मा के सपोर्ट में पोस्ट शेयर करने पर हत्या
इस पर याचिकाकर्ताओं के वकील निज़ाम पाशा ने स्वीकार किया कि इसका उल्लेख नहीं किया गया और कहा कि मॉब लिंचिंग में बड़े पैमाने पर बढ़ोतरी अल्पसंख्यकों के बहिष्कार के रवैये का कारण हु्ई है। कोर्ट ने कहा- जब सभी राज्य मौजूद हों तो आप सिलेक्टिव नहीं हो सकते। पैगंबर मोहम्मद के बारे में कमेंट करने वाली बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के सपोर्ट में सोशल मीडिया पोस्ट शेयर करने पर कन्हैया लाल की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी।
गुजरात सरकार के वकील ने मामले में कहा कि पीआईएल मुख्य रूप से सिर्फ मुसलमानों की लिंचिंग उजागर कर रही है। वरिष्ठ वकील अर्चना पाठक दवे ने कहा- यह सिर्फ मुसलमानों की मॉब लिंचिंग है। यह सिलेक्टिव कैसे हो सकता है? राज्य सरकारों को सभी समुदायों के लोगों की सुरक्षा करनी है।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हां, आपको ध्यान रखना चाहिए कि इसमें बिल्कुल भी सिलेक्टिव न हो, अगर सभी राज्य इसमें शामिल हैं। तब वकील पाशा ने कहा- केवल मुसलमानों को पीट-पीटकर मारा जा रहा है। यह तथ्यात्मक बयान है।"
तब जस्टिस गवई ने जवाब दिया- आप अदालत में जो कुछ भी पेश कर रहे हैं, कृपया उसमें संजीदा रहें। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई को ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद के लिए टाल दिया, समर वेकेशन 20 मई से 7 जुलाई तक चलता है।