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Modi Cabinet: केंद्र में एक बार फिर एनडीए की सरकार बन गई है. नरेंद्र मोदी ने रविवार को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. उनके साथ 30 कैबिनेट मंत्री, 5 राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 36 राज्य मंत्री बनाए गए हैं। ऐसे में जानते हैं कि इन तीनों में क्या अंतर होता है?

Modi Cabinet: नरेंद्र मोदी ने रविवार(9 जून) को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। उनके साथ-साथ 71 सांसदों ने भी मंत्री पद की शपथ ली। मोदी सरकार में ये सबसे बड़ा मंत्रिमंडल है। एनडीए की सरकार में प्रधानमंत्री को मिलाकर 72 मंत्री शामिल हैं। मोदी 3.0 में 30 कैबिनेट मंत्री, 5 राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 36 राज्य मंत्री बनाए गए हैं। 

सविधान के अनुसार बन सकते है 81 मंत्री
अभी मोदी कैबिनेट में 9 सांसद और मंत्री बन सकते हैं, क्योंकि संविधान में 81 मंत्रियों की सीमा तय है। संविधान के 91वें संशोधन के मुताबिक, लोकसभा के कुल सदस्यों में से 15% को ही मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। लोकसभा में कुल 543 सीटें हैं, इसलिए कैबिनेट में 81 मंत्री ही हो सकते हैं। 2014 में जब मोदी ने पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी, तब उनके साथ 46 सांसद भी मंत्री बने थे. 2019 में उनके मंत्रिमंडल में 59 मंत्री शामिल थे।

मंत्रिमंडल में तीन प्रकार के पद
मंत्रिमंडल में तीन तरह के मंत्री होते हैं, जिनमें कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और राज्य मंत्री होता है। मंत्रिमंडल में सबसे ताकतवर कैबिनेट मंत्री होता है। उसके बाद राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और फिर राज्य मंत्री होता है। 

जानें क्या होता है तीनों में अंतर?

  • कैबिनेट मंत्रीः ऐसे मंत्री सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करती हैं। इन्हें जो भी मंत्रालय दिया जाता है। कैबिनेट मंत्री को एक से ज्यादा मंत्रालय भी दिए जा सकते हैं। कैबिनेट मंत्री का बैठकों में शामिल होना जरूरी होता है। सरकार अपने सभी फैसले कैबिनेट बैठक में ही लेती है। 
  • राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार): कैबिनेट मंत्री के बाद स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री सबसे पावरफुल होते हैं। इनकी भी सीधी रिपोर्टिंग प्रधानमंत्री को ही होती है। इनके पास अपना मंत्रालय होता है। स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्रियों कैबिनेट बैठक में शामिल नहीं होते। 
  • राज्य मंत्रीः कैबिनेट मंत्री की मदद के लिए राज्य मंत्री बनाए जाते हैं। इनकी रिपोर्टिंग कैबिनेट मंत्री को होती है। एक मंत्रालय में एक से ज्यादा भी राज्य मंत्री बनाए जा सकते हैं। कैबिनेट मंत्री की गैरमौजूदगी में मंत्रालय की सारी जिम्मेदारी राज्य मंत्री की होती है।

मंत्री पद मिलते ही बढ़ जाती है सुविधाएं
लोकसभा के हर सदस्य की सैलरी और भत्ते तय पहले से तय हैं। लेकिन जो सांसद प्रधानमंत्री, कैबिनेट मंत्री या राज्य मंत्री बनते हैं, उन्हें हर महीने बाकी सांसदों की तुलना में अलग से भत्ता भी मिलता है। इसे ऐसे समझिए कि एक लोकसभा सांसद को सैलरी और भत्ते मिलाकर हर महीने कुल 2.30 लाख रुपये मिलते हैं। जबकि, प्रधानमंत्री को 2.33 लाख, कैबिनेट मंत्री को 2.32 लाख, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) को 2.31 लाख और राज्य मंत्री को 2,30,600 रुपये मिलते हैं। 

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