क्या है Exit Poll: कैसे कराए जाते हैं चुनावी सर्वे; ओपिनियन पोल से कितना अलग है ये?, जानें सबकुछ

What are Exit Polls: चुनाव के बाद एग्जिट पोल से नतीजों की एक तस्वीर पता चलती है। एग्जिट पोल कितने सटीक बैठेंगे, यह तो 8 अक्टूबर को ही पता चलेगा।;

Update:2024-10-05 12:58 IST
एग्जिट पोल पर चुनाव आयोग का बड़ा फैसलाDelhi Elections 2025 Exit Poll Restrictions
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What are Exit Polls: हरियाणा में शनिवार (5 अक्टूबर) को वोटिंग खत्म होने के बाद विधानसभा चुनाव 2024 में मतदान की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। जम्मू कश्मीर और हरियाणा के नतीजे एक साथ 8 अक्टूबर को आएंगे, जब वोटों की गिनती की जाएगी। लेकिन वोटों की गिनती से पहले 5 अक्टूबर को मतदान खत्म होते ही सभी पोल एजेंसियां और न्यूज चैनल एग्जिट पोल जारी कर देंगे। 

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव (Jammu Kashmir Assemlby Polls) की वोटिंग पूरी हो चुकी है। हरियाणा में आज एक ही फेज में 90 सीटों पर वोट डाले जा रहे है। वोटिंग खत्म होने के बाद दोनों राज्यो के एग्जिट पोल शाम 6:30 बजे आने वाले हैं।

क्या होता है एग्जिट पोल, कैसे कराए जाते हैं चुनावी सर्वे?
EXIT एक अंग्रेजी शब्द है, जिसका मतलब बाहर निकलना है। इसीलिए एग्जिट शब्द ही बताता है कि यह पोल क्या है? यह एक तरह का सर्वे है। जब मतदाता बूथ पर वोट डालने के बाद बाहर निकलता है तो उससे सवाल होता है कि आपने किस पार्टी या किस उम्मीदवार को वोट दिया है। एग्जिट पोल कराने वाली एजेंसियां अपने लोगों को बूथ के बाहर खड़ा कर देती हैं। जब मतदाता वोट डालकर बाहर निकलता है तो उससे पूछा जाता है कि उन्होंने किसे वोट किया। कुछ और भी सवाल हो सकते हैं। मतदाताओं से मिले इनपुट के आधार पर रिपोर्ट तैयार की जाती है। यह अनुमान लगाने की कोशिश की जाती है कि चुनाव के नतीजे क्या होंगे?

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एग्जिट पोल कब जारी किए जाते हैं?
चुनाव आयोग ने पहली बार 1998 में एग्जिट पोल की गाइडलाइंस जारी की थी। मतदान प्रक्रिया के दौरान एग्जिट पोल जारी नहीं किए जा सकते हैं। एग्जिट पोल अंतिम वोट डाले जाने के 30 मिनट बाद ही जारी करने की परमीशन है। एग्जिट पोल या ओपिनियन पोल जारी करते वक्त सर्वे एजेंसी का नाम, कितने मतदाताओं से और क्या सवाल पूछे गए, यह बताना होता है। नियमों के अनुसार मतदान के अंतिम चरण यानी 5 अक्टूबर को शाम 6:30 बजे से पहले एग्जिट पोल डेटा जारी नहीं किया जा सकता। एग्जिट पोल जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 ए द्वारा कंट्रोल किया जाता है। 

कोई भी व्यक्ति जो धारा 126 ए के प्रावधानों का उल्लंघन करता है, उसे कानून के अनुसार दो साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।

ओपिनियन पोल क्या है?
ओपिनियन पोल भी एक तरह का चुनावी सर्वे है। मगर इसे चुनाव से पहले किया जाता है। इसमें शामिल होने के लिए मतदाता होने की शर्त नहीं है। इस सर्वे में विभिन्न मुद्दों पर क्षेत्रवार जनता का मूड का आकलन किया जाता है। जनता किस पार्टी या नेता से कितनी खुश है, नाराज है। इसका अनुमान ओपिनियन पोल से लगाया जाता है। 

तीन तरह के होते हैं चुनावी सर्वे

  • प्री पोलः ये सर्वे चुनाव तारीखों की घोषणा के बाद और वोटिंग शुरू होने से पहले किए जाते हैं। जैसे 2023 में पांच राज्यों (मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मिजोरम और तेलंगाना) की चुनाव की तारीखों का ऐलान 9 अक्टूबर 2023 को हुआ था। इन सभी जगहों में अलग-अलग चरणों में वोटिंग हुई थी, तो प्री पोल सर्वे 9 अक्टूबर के बाद और मतदान से पहले हो चुके होंगे। 
  • एग्जिट पोलः ये सर्वे वोटिंग की तारीख वाले दिन ही होती है। इसमें वोटरों का मन टटोलने की कोशिश की जाती है। ऐसे में हर चरण की वोटिंग वाले दिन ही ये सर्वे होता है। ये पोलिंग बूथ के बाहर किया जाता है और वोट देकर बाहर आने वाले लोगों से सवाल किए जाते हैं।
  • पोस्ट पोलः ये सर्वे वोटिंग खत्म होने के बाद किया जाता है। अब एक-दो दिन बाद से पोस्ट पोल सर्वे शुरू हो जाएगा। इसमें आमतौर पर ये जानने की कोशिश होती है कि किस तरह के वोटर ने किस पार्टी को वोट दिया।

भारत में एग्जिट पोल करने वाली एजेंसियां?
एक्सिस माय इंडिया, सीएनएक्स, सी वोटर, इप्सोस, चाणक्य, नील्सन, वीएमआर समेत भारत में कई प्रमुख एजेंसियां हैं। यह एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल करती हैं। 

पहली बार कब हुए एग्जिट पोल?
भारत में दूसरे आम चुनाव के दौरान 1957 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन ने पहली बार चुनावी पोल किया था। इसके प्रमुख एरिक डी कॉस्टा थे। उसके बाद 1980 में डॉक्टर प्रणव रॉय ने एग्जिट पोल किया। 1984 में उन्होंने दोबारा एग्जिट पोल किया। उसके बाद 1996 में दूरदर्शन ने एग्जिट पोल किया था। यह पोल पत्रकार नलिनी सिंह ने किया था। फील्ड वर्क का काम सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवेलपिंग स्टडीज (CSDS) ने किया था। उसके बाद यह सिलसिला चल पड़ा।  

विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले कुछ सालों में एग्जिट पोल की सटीकता में सुधार हुआ है। 1957 में एग्जिट पोल शुरू होने के बाद से कम से कम एक पहलू में बहुत सुधार हुआ है, जो कि सैंपल साइज है। नई दिल्ली स्थित सामाजिक विज्ञान और मानविकी के शोध संस्थान सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (CSDS) के संजय कुमार ने कहा कि वे दिन चले गए जब 20,000-30,000 का राष्ट्रीय नमूना बड़ा माना जाता था।

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