What is One Nation One Election : मोदी कैबिनेट ने बुधवार (17 September) को 'वन नेशन, वन इलेक्शन' प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। अब शीतकालीन सत्र में इसे संसद में पेश किया जाएगा। मोदी कैबिनेट के द्वारा इस प्रस्ताव को मंजूरी देने के बाद कांग्रेस की इस पर प्रतिक्रिया आई है। पार्टी ने इसका विरोध किया है। इन सब बातों के बीच हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर 'वन नेशन, वन इलेक्शन' क्या है?
बीजेपी का क्या मत है?
पिछले महीने स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' की वकालत की थी। उन्होंने कहा कि बार-बार चुनाव होने से देश की प्रगति बाधित हो रही है। संसाधन और धन बर्बाद हो रहा है। इसलिए बीजेपी देश में एक बार में विधानसभा और लोकसभा के चुनाव कराना चाहती है।
'एक राष्ट्र, एक चुनाव' क्या है?
'एक राष्ट्र, एक चुनाव' का उद्देश्य एक साथ ही लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव कराना है। एक साथ चुनाव कराने का विचार पहली बार 1980 के दशक में प्रस्तावित किया गया था। मई 1999 में अपनी 170वीं रिपोर्ट में न्यायमूर्ति बीपी जीवन रेड्डी की अध्यक्षता वाले विधि आयोग ने कहा था कि हमें उस स्थिति में वापस जाना होगा, जहां लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होते थे।
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एक साथ चुनाव के पक्ष में तर्क
- चुनाव कराने की लागत में कमी आएगी।
- प्रशासनिक और सुरक्षा बलों पर बोझ कम होगा।
- एक साथ चुनाव से मतदान प्रतिशत बढ़ सकता है।
एक साथ चुनाव के खिलाफ तर्क
- संविधान और अन्य कानूनी रूपरेखा में बदलाव की आवश्यकता होगी।
- एक साथ चुनाव होने पर क्षेत्रीय मुद्दे राष्ट्रीय मुद्दों पर हावी हो सकते हैं।
- सभी राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति एक बड़ी बाधा है।
कोविंद की अध्यक्षता में समिति ने बनाई रिपोर्ट
वन नेशन, वन इलेक्शन के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई में एक समिति बनाई गई थी। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में दक्षिण अफ्रीका, स्वीडन और बेल्जियम समेत छह देशों में चुनाव प्रक्रियाओं के अध्ययन को शामिल किया। वर्तमान में, दक्षिण अफ्रीका, स्वीडन, बेल्जियम, जर्मनी, जापान, इंडोनेशिया और फिलीपींस में एक साथ चुनाव होते हैं।
दुनिया के इन देशों में लागू है 'वन नेशन, वन इलेक्शन'
दुनिया के देशों की बात करें तो दक्षिण अफ्रीका में राष्ट्रीय और प्रांतीय विधानमंडलों के चुनाव एक साथ प्रत्येक पांच वर्ष में आयोजित कराए जाते हैं, जबकि नगरनिकाय चुनाव प्रत्येक दो वर्ष पर आयोजित किये जाते हैं। स्वीडन में राष्ट्रीय विधानमंडल (Riksdag), प्रांतीय विधानमंडल/काउंटी कौंसिल (Landsting) और स्थानीय निकायों/नगरनिकाय सभाओं (Kommunfullmaktige) के चुनाव एक निश्चित तिथि, यानी हर चौथे वर्ष सितंबर के दूसरे रविवार को आयोजित किये जाते हैं।
ब्रिटेन में ब्रिटिश संसद और उसके कार्यकाल को स्थिरता एवं पूर्वानुमेयता की भावना प्रदान करने के लिये निश्चित अवधि संसद अधिनियम, 2011 (Fixed-term Parliaments Act, 2011) पारित किया गया था। इसमें प्रावधान किया गया कि प्रथम चुनाव 7 मई 2015 को और उसके बाद हर पाँचवें वर्ष मई माह के पहले गुरुवार को आयोजित किया जाएगा।
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