400 साल की परंपरा...29 साल की उम्र में ताजपोशी: कौन हैं सैयद शाबान बुखारी, जो बने दिल्ली जामा मस्जिद के 14वें शाही इमाम

Who is Syed Shaban Bukhari: शाबान बुखारी की दस्तारबंदी 'शब-ए-बारात' पर की गई। इसे 'माफी की रात' भी कहा जाता है। मुस्लिमों का यह एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो रविवार को इस्लामी कैलेंडर के आठवें महीने शाबान की 14वीं और 15वीं रात को मनाया जाता है।

Updated On 2024-02-26 08:54:00 IST
Shahi Imam Saiyad Shaban Bukhari

Who is Syed Shaban Bukhari: दिल्ली की जामा मस्जिद को नया शाही इमाम मिल गया है। वर्तमान शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने रविवार को एक 'दस्तारबंदी' समारोह के जरिए अपने बेटे सैयद शाबान बुखारी को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया। शाबान बुखारी ने नए इमाम के रूप में अपने पिता की जगह ली है। इससे पहले वे नायब इमाम थे। इस समय उनकी उम्र 29 साल है। 

शाबान बुखारी की दस्तारबंदी 'शब-ए-बारात' पर की गई। इसे 'माफी की रात' भी कहा जाता है। मुस्लिमों का यह एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो रविवार को इस्लामी कैलेंडर के आठवें महीने शाबान की 14वीं और 15वीं रात को मनाया जाता है। समारोह में प्रार्थना के बाद अगले इमाम के सिर पर 'दस्तारबंदी की गई। दस्तारबंदी का मतलब पगड़ी से है। 

सैयद अहमद बुखारी ने कहा कि आज की रात इबादत की रात है। गुनाहों से तौबा करने की रात है। सभी को इबादत करनी चाहिए और बाद में सभी को अपने-अपने घर चले जाना चाहिए। 

कौन हैं सैयद शाबान?
जामा मस्जिद के 14वें शाही इमाम बनाए गए सैयद शाबान बुखारी का जन्म 11 मार्च, 1995 को दिल्ली में हुआ था। उनके परिवार ने अपनी पिछली तेरह पीढ़ियों से जामा मस्जिद की अध्यक्षता की है। जामा मस्जिद का निर्माण 1656 में किया गया था। ताजमहल बनवाने वाले मुगल बादशाह शाहजहां ने सैयद अब्दुल गफूर शाह बुखारी को पहला शाही इमाम नियुक्त किया था। सैयद अब्दुल गफूर, सैयद शाबाद के परदादा थे। एमिटी यूनिवर्सिटी से सोशल वर्क में बैचलर डिग्री हासिल करने के दौरान शाबान ने गाजियाबाद की एक हिंदू लड़की से शादी की। 

2014 में बने थे नायब इमाम
सैयद शाबान बुखारी को 2014 में उनके पिता और जामा मस्जिद के 13वें इमाम मौलाना सैयद अहमद बुखारी ने नायब इमाम घोषित किया था। उनके पिता सैयद अहमद बुखारी 12वें शाही इमाम सैयद अब्दुल्ला बुखारी के बेटे हैं। जिनकी साल 2009 में 87 साल की उम्र में मौत हो गई थी। वह अक्टूबर 2000 में अपने पिता के बाद शाही इमाम बने थे। 

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