Who Was Vaibhav Anil Kale Killed In Gaza: इजराइल-हमास के बीच चल रही जंग में रिटायर्ड भारतीय कर्नल वैभव अनिल काले की मौत हो गई। वह संयुक्त राष्ट्र (UN) में सुरक्षा समन्वयक अधिकारी के रूप में काम कर रहे थे। लेकिन सोमवार को वह गाजा के राफा में जिस वाहन से यात्रा कर रहे थे, उस पर हमले के बाद उनकी मौत हो गई। पिछले साल अक्टूबर से इजराइल-हमास संघर्ष शुरू होने के बाद से कर्नल काले की मौत संयुक्त राष्ट्र की पहली अंतरराष्ट्रीय क्षति है।
संयुक्त राष्ट्र और इजराइल दोनों ने घटना की जांच की मांग की है। 2022 में भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हुए कर्नल काले के परिवार में उनकी पत्नी अमृता और दो नाबालिग बच्चे- बेटा वेदांत और बेटी राधिका हैं। उनकी चाची महाराष्ट्र के ठाणे में रहती हैं। पूरा परिवार सदमे में है।
कौन थे कर्नल वैभव काले?
कर्नल का पूरा नाम वैभव अनिल काले था। उनकी उम्र 46 साल थी। सशस्त्र बलों में दो दशक से अधिक समय बिताने के बाद उन्होंने दो साल पहले 2022 में समय से पहले रिटायरमेंट ले लिया था। उनको दो महीने पहले संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा और संरक्षा विभाग (UNDSS) में सुरक्षा समन्वय अधिकारी नियुक्त किया गया था।
वैभव काले सैन्य सेवा के लिए समर्पित परिवार से आते थे। उनके भाई ग्रुप कैप्टन विशाल काले भारतीय वायु सेना में सेवारत थे। उनके चचेरे भाई कर्नल अमेय काले और उनके बहनोई विंग कमांडर प्रशांत कार्डे (सेवानिवृत्त) भी सेना में थे।
इंदौर के कॉलेज से की थी पढ़ाई
कर्नल वैभव काले नागपुर से थे। उन्होंने सोमलवार हाई स्कूल में पढ़ाई की। बाद में उन्होंने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर से वरिष्ठ रक्षा प्रबंधन में शिक्षा का डिप्लोमा प्राप्त किया। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से ह्यूमैनिटीज में बीए की डिग्री हासिल की थी। 2009 में उन्होंने इंटरनेशनल रेड क्रॉस से इंटरनेशनल ह्यूमैनिटेरियन लॉ में सर्टिफिकेट प्रोग्राम पूरा किया। 2012 में, उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय एकता संस्थान से व्यवहार विज्ञान में एक और प्रमाणपत्र कार्यक्रम पूरा किया।
कर्नल वैभव अनिल काले 1998 में भारतीय सेना में शामिल हुए। उन्होंने कश्मीर में 11 जेएके राइफल्स की कमान संभाली थी। महू में सेना के इन्फैंट्री स्कूल में ट्रेनर रहे। पूर्वोत्तर और सियाचिन ग्लेशियर में भी काम किया। उन्होंने भारतीय सेना में बटालियन कमांडर और राइफल कंपनी कमांडर सहित विभिन्न पदों पर कार्य किया। कर्नल काले 2022 में सेना से स्थायी रूप से सेवानिवृत्त हो गए।
सेना में रहते हुए कर्नल काले ने 2009 से 2010 तक संयुक्त राष्ट्र के साथ एक आकस्मिक मुख्य सुरक्षा अधिकारी के रूप में कार्य किया। अधिकारियों ने कहा कि सिर्फ 5-6 सप्ताह पहले वह यूएनडीएसएस में शामिल हुए थे। इस बार उन्हें सुरक्षा समन्वय अधिकारी नियुक्त किया गया था।
आतंकी हमले में काले ने निभाई थी अहम भूमिका
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, वैभव काले ने पठानकोट एयरबेस पर 2016 के हुए आतंकी हमले को रोकने में अहम भूमिका निभाई थी। उनके करीबी दोस्त लेफ्टिनेंट कर्नल हांगे ने बताया कि वैभव काले पठानकोट हमले के वक्त भारतीय सेना की 11 जम्मू कश्मीर राइफल्स बटालियन की कमान संभाल रहे थे। उन्होंने और उनकी यूनिट ने उस ऑपरेशन में अहम भूमिका निभाई थी।
चचेरे भाई ने कहा- गाजा में शांति लौटेगी मगर भाई वापस नहीं आएगा
कर्नल वैभव अनिल काले की चाची ठाणे में रहती हैं। चचेरे भाई चिन्मय अशोक काले ने कहा कि भैया वैभव ने 22 साल तक इन्फैंट्री में सेवा की और फिर वीआरएस ले लिया था। वह तब एक कंपनी में नौकरी करने लगे थे। लेकिन वह डेस्क जॉब के बजाय फील्ड वर्क करना चाहते थे, इसलिए वह यूएन में शामिल हो गए। उनकी पोस्टिंग गाजा में थी। एक दिन गाजा में शांति होगी, लेकिन मेरा भाई वहां नहीं होगा। मैंने उन्हें संदेश भेजा था कि गाजा में शांति के साथ लौटना, लेकिन वह नहीं आए। इस तरह के बलिदान के साथ गाजा में शांति लौटनी चाहिए।