मणिपुर में सियासी भूचाल: क्या BJP में अंदरूनी कलह से बिगड़ा खेल? जानें बीरेन सिंह ने क्यों छोड़ी CM की कुर्सी

Why Did Biren Singh Resigned: मणिपुर में अचानक सियासी भूचाल आ गया है। एन बीरेन सिंह ने रविवार (9 फरवरी) की रात सीएम पद से इस्तीफा दे दिया।। इस्तीफे के बाद राज्य की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। एन बीरेन सिंह ने राज्य में जातीय हिंसा शुरू होने के करीब 21 महीनों बाद अपना इस्तीफा सौंपा है। इस हिंसा में 250 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। ऐसा कहा जा रहा है कि बीरेन सिंह ने विपक्ष के बढ़ते दबाव और BJP में अंदरूनी कलह की वजह से यह कदम उठाया है। आइए, जानते हैं कि आखिर एन बिरेन सिंह ने क्यों छोड़ी सीएम की कुर्सी।
बीजेपी विधायकाें ने केंद्र को दे दिया था अल्टीमेटम
एन बीरेन सिंह के इस्तीफे से पहले भाजपा के भीतर असंतोष की खबरें आ रही थीं। भाजपा के कई असंतुष्ट विधायकों ने पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से नाराजगी जताई थी। यहां तक कि मणिपुर के बीजेपी विधायकों ने विपक्ष में बैठने तक का अल्टीमेटम दे दिया था। इसके अलावा, राज्य के कुछ मंत्रियों ने भी खुलकर नाराजगी जताई थी। सूत्रों के मुताबिक, भाजपा नेतृत्व को यह महसूस हुआ कि अगर सिंह पद सीएम बने रहते, तो यह पार्टी के लिए शर्मिंदगी की बात हो सकती है। इन वजहों से सीएम एन बीरेन सिंह को आखिरकार अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा।
कांग्रेस ने कर ली थी अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी
कांग्रेस भी बीरेन सिंह के इस्तीफ के लिए पुरजोर दबाव बना रही थी। मणिपुर विधानसभा में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की योजना पहले ही बना ली गई थी थी। 2 फरवरी को मणिपुर कांग्रेस अध्यक्ष केशम मेघचंद्र ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट कर इसकी जानकारी दी। उन्होंने लिखा कि कांग्रेस पार्टी अविश्वास प्रस्ताव लाने जा रही है, हालांकि, उन्होंने इसके लिए कोई निश्चित समय नहीं बताया था। इस प्रस्ताव को लेकर कांग्रेस पार्टी रणनीति बना रही थी, लेकिन इससे पहले ही भाजपा में बगावत के सुर तेज हो गए। करीब 10 बीजेपी विधायकों ने भी मुख्यमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। ऐसे में विधानसभा सत्र शुरू होने से पहले ही बीरेन सिंह ने इस्तीफा दे दिया।
बीजेपी के 10 से ज्यादा विधायकों ने खोल दिया था मोर्चा
राज्य में बीजेपी के 10 से ज्यादा विधायकों ने मुख्यमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। इन विधायकों ने केंद्रीय नेतृत्व के सामने अपनी नाराजगी जाहिर कर दी थी। साफ कर दिया था कि वह बीरेन सिंह का समर्थन नहीं करेंगे। अपने ही सीएम से खफा इनमें से कई विधायक तो दिल्ली में डेरा डाले हुए थे। यह नाराज विधायक केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने की कोशिश कर रहे थे। हालांकि, केवल दो विधायकों को भाजपा के केंद्रीय से मिलने का मौका मिला। इस राजनीतिक उथल-पुथल को देखते हुए बीरेन सिंह को आखिरकार एन बीरेन सिंह को अपना इस्तीफा सौंपना पड़ा।
जातीय हिंसा रोकने में नाकाम रही बीरेन सरकार
मणिपुर में मई 2023 से कुकी और मेइती समुदायों के बीच हिंसा जारी थी। राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब होती जा रही थी। बीरेन सिंह की अगुवाई वाली भाजपा सरकार इस स्थिति को संभालने में नाकाम साबित हो रही थी। हिंसा के कारण सात कुकी भाजपा विधायकों ने पहले ही सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। इसके अलावा, नेशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी) ने भी नवंबर 2023 में भाजपा सरकार से समर्थन वापस ले लिया। इससे बीरेन सिंह की सरकार कमजोर हो गई थी। बीरेन सिंह की सीएम की कुर्सी पर खतरा मंडराने लगा। ऐसे में अगर अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता तो मणिपुर में सरकार गिरने का डर था। यह एक बड़ी वजह रही कि बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने बीरेन सिंह के इस्तीफे को हरी झंडी दे दी।
पहले कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं थे बीरेन सिंह
सूत्रों के मुताबिक, बीरेन सिंह पहले सीएम की कुर्सी छोड़ने के लिए तैयार नहीं थे। लेकिन जैसे ही भाजपा के असंतुष्ट विधायकों की संख्या बढ़ने लगी और केंद्रीय नेतृत्व ने इस मुद्दे पर गंभीरता दिखाई, उन्होंने इस्तीफे का फैसला किया। बताया जा रहा है कि इस्तीफे से एक दिन पहले बीरेन सिंह दिल्ली जाने वाले थे। हालांकि अचानक बीरेन सिंह ने अपने यात्रा कार्यक्रम में बदलाव किया। बीरेन इम्फाल से सीधे नई दिल्ली पहुंच गए। वहां उनकी भाजपा नेताओं से मुलाकात हुई, लेकिन अमित शाह से मिलने में असफल रहे। इसके बाद अचानक बीरेन सिंह ने इस्तीफा दे दिया।
क्या रही भाजपा नेतृत्व और आरएसएस की भूमिका
सूत्रों के मुताबिक, भाजपा नेतृत्व और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने भी मुख्यमंत्री बदलने के फैसले का समर्थन किया। आरएसएस ने मणिपुर में नशा माफिया के खिलाफ बीरेन सिंह की कार्रवाई को समर्थन दिया था। हालांकि राज्य में बढ़ती हिंसा और सरकार की कमजोर होती स्थिति को देखते हुए एक नया नेतृत्व लाने की सिफारिश की थी। भाजपा नेतृत्व ने महसूस किया कि अगर बीरेन सिंह को नहीं हटाया जाता, तो विधानसभा सत्र के दौरान भाजपा की कमजोर स्थिति सबके सामने आ सकती है। ऐसे में बीरेन सिंह से आनन-फानन में मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने के लिए कह दिया गया।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने बीरेन सिंह के इस्तीफे पर क्या कहा?
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद बीजेपी पर हमला बाेला है। खड़गे ने कहा कि यह फैसला बहुत देर से आया है। यह घोड़ा भाग जाने के बाद अस्तबल बंद करने जैसा है। खड़गे ने कहा कि मणिपुर में बीते 21 महीनों से हिंसा जारी है, लेकिन भाजपा सरकार इसे रोकने में पूरी तरह नाकाम रही। बीजेपी ने राज्य को अराजकता में धकेल दिया। कांग्रेस पहले ही विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही थी। कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव से बचने के लिए बीरेन सिंह को इस्तीफा देना पड़ा।
मणिपुर का अगला सीएम कौन होगा?
राज्यपाल अजय भल्ला ने बीरेन सिंह का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। हालांकि, बीरेन सिंह से तब तक पद पर बने रहने को कहा जब तक कोई नया मुख्यमंत्री नियुक्त नहीं हो जाता। ऐसे में राज्य का नया CM कौन होगा इसको लेकर भी कयासबाजियों का दौर शुरू हो गया है। अब सवाल उठता है कि मणिपुर का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? भाजपा नेतृत्व जल्द ही नए सीएम के नाम की घोषणा कर सकता है। संभावित दावेदारों में टी सत्यब्रत सिंह और वाई खेचंद्र प्रमुख हैं। इस इस्तीफे के बाद मणिपुर में भाजपा की स्थिति कमजोर हो सकती है, क्योंकि असंतुष्ट विधायकों को संभालना एक बड़ी चुनौती होगी। अब देखना होगा कि भाजपा मणिपुर में स्थिर सरकार कैसे बनाती है और जातीय हिंसा को काबू करने के लिए सरकार क्या कदम उठाती है।
