NCERT Row: एनसीईआरटी डायरेक्टर बोले- दंगों के बारे में पढ़ाना क्यों जरूरी है? नफरत और हिंसा शिक्षा के विषय नहीं

NCERT Row: बाबरी मस्जिद विध्वंस या इसके बाद हुई साम्प्रदायिक हिंसा के संदर्भ एनसीईआरटी पाठ्यक्रम से हटाए जाने को लेकर विवाद शुरू हो गया है। भारत के शीर्ष शिक्षा निकाय एनसीईआरटी के डायरेक्टर ने रविवार को कहा कि नफरत और हिंसा शिक्षा के विषय नहीं हैं और स्कूल की किताबों में इन्हें प्राथमिकता नहीं दी जानी चाहिए। उनका यह बयान बाबरी मस्जिद विध्वंस और बीजेपी की राम रथ यात्रा का चैप्टर हटाए जाने के बाद आया है।
'हम पॉजिटिव सोच वाले नागरिक बनाना चाहते हैं, न कि हिंसक'
एनसीईआरटी डायरेक्टर दिनेश प्रसाद सकलानी ने पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कहा कि यह बदलाव किताबों में वार्षिक संशोधन का हिस्सा हैं। बाबरी विध्वंस और इसके बाद हुई साम्प्रदायिक हिंसा के संदर्भ हटाए जाने पर उन्होंने कहा कि हम स्कूल की पाठ्यपुस्तकों में दंगों के बारे में क्यों पढ़ाएं? हम पॉजिटिव सोच वाले नागरिक बनाना चाहते हैं, न कि हिंसक और निराश व्यक्ति। क्या हम बच्चों को वो चैप्टर पढ़ाएं, जिससे वे आक्रामक बनें, समाज में नफरत फैलाएं या खुद नफरत के शिकार बनें? क्या यह शिक्षा का उद्देश्य है? हमें स्कूली किताबों में दंगों के बारे में क्यों पढ़ाना चाहिए। जब वे (स्टूडेंट) बड़े होंगे, तो वे इसके बारे में जान सकते हैं, लेकिन स्कूल की किताबों में क्यों।
राम मंदिर को कोर्स में जोड़ने में क्या समस्या है?
- 12वीं की नई पॉलिटिकल साइंस की किताब में अयोध्या की बाबरी मस्जिद को "तीन-गुंबद वाली संरचना" बताया गया है और यह राम मंदिर निर्माण के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर ध्यान केंद्रित करती है।
- दिनेश प्रसाद ने आगे कहा कि अगर शीर्ष अदालत ने बाबरी मस्जिद या राम जन्मभूमि के बारे में राम मंदिर के पक्ष में फैसला दिया है, तो क्या इसे कोर्स में शामिल नहीं किया जाना चाहिए? इसमें क्या समस्या है? हमने नए अपडेट शामिल किए हैं। अगर देश में नया संसद भवन बना है, तो क्या हमारे छात्रों को इसके बारे में नहीं जानना चाहिए? यह हमारा कर्तव्य है कि प्राचीन और हाल की घटनाओं को शामिल करें।
छात्रों हित में अप्रासंगिक चैप्टर को बदलना जरूरी
- सकलानी कहते हैं कि अगर कोर्स में कुछ अप्रासंगिक हो गया है, तो उसे बदलना होगा। क्यों नहीं बदलना चाहिए? मुझे इसमें कोई बुराई नहीं दिखती है। हम इतिहास इसलिए पढ़ाते हैं ताकि बच्चे तथ्यों को जान सकें, न कि इसे जंग के मैदान के तौर पर लें।
- अगर हम महरौली में लोहे के पिलर के बारे में बता रहे हैं और कह रहे हैं कि भारतीय किसी भी धातुकर्म वैज्ञानिक से कहीं आगे थे, तो क्या हम गलत हैं? उन्होंने कहा कि पाठ्यपुस्तकों का अपडेशन एक सतत प्रक्रिया है, जो शिक्षा के हित में है।
- बता दें कि 2014 के बाद से यह एनसीईआरटी की किताबों में चौथा संशोधन है।
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