दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम के बाहर (21 अक्टूबर) को एक ऐसा प्रदर्शन हुआ, जिसने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। यहां पत्नी प्रताड़ित लोगों ने प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने अपने हाथों में तरह-तरह के स्लोगन लिखी तख्तियां लहराई और नारे लगाए। दरअसल ये लोग मैरिटल रेप को लेकर प्रस्तावित कानून का विरोध कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों ने विरोध प्रदर्शन के दौरान इस तरह के नारे लगाए:-

- शादी के खेल में, हर पति जाएगा जेल में।
- बीवी करे तो प्यार, पति करे तो बलात्कार।
- पत्नी के प्यार में, पति गया तिहाड़ में।
- अगले जन्म मोहे बेटा ना कीजो। 

सैकड़ा भर लोगों ने खींचा ध्यान
रविवार को दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम के बाहर गेट पर हुए इस प्रदर्शन में करीब सौ लोग शामिल हुए, लेकिन इस प्रदर्शन ने लाखों लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा। स्टेडियम के बाहर प्रदर्शन करने वाले ये लोग किसी न किसी तरह से अपनी पत्नियों से पीड़ित हैं। उनके उत्पीड़न का शिकार बने हैं या फिर उनकी ब्लैकमेलिंग का शिकार हुए हैं।

प्रदर्शनरियों से बात करने पर पता चला कि कुछ लोग कई साल से अपने बच्चों से बीबी के अत्याचार के कारण नहीं मिल पाए हैं। कई लोगों को उनकी पत्नियों ने घर से बाहर निकाल दिया है। कुछ बच्चों को उनके पिता से भी मिलने की इजाजत नहीं देती हैं। कुछ पति ऐसे हैं जो अपना घर होते हुए भी किराए के मकानों में रहने के लिए मजबूर हैं।

यह भी पढ़ें: Marital Rape: मैरिटल रेप को केंद्र सरकार अपराध मानने के खिलाफ, SC में कहा- 'यह कानूनी से ज्यादा सामाजिक मामला है'

मैरिटल रेप के प्रस्तावित काननू का कर रहे हैं विरोध
दरअसल, ये पत्नी पीड़ित प्रदर्शनकारी मैरिटल रेप को लेकर प्रस्तावित कानून का विरोध करने के लिए यहां पर इकट्ठे हुए थे। दिल्ली हाई कोर्ट के अधिवक्ता मनीष सिंधवानी इस प्रोटेस्ट का नेतृत्व कर रहे थे। वह खुद पत्नी पीड़ित रह चुके हैं। उन्होंने खुद शिकार बनने के बाद ऐसे लोगों की मदद करने का फैसला किया था, जो पत्नी से पीड़ित हैं। इसी के चलते उन्होंने न्याय प्रयास फॉउन्डेशन की शुरुआत की थी।

पुरुषों के खिलाफ कानून का होगा दुरुपयोग 
प्रदर्शन के दौरान अधिवक्ता मनीष सिंधवानी ने कहा कि अगर ये कानून पास हुआ तो हर घर में रहने वाले पुरुषों को रेपिस्ट बता कर जेल भेजा जा सकता है। मामूली झगड़े पर पत्नी पति को जेल भिजवा सकती है। पति को ब्लैकमेल किया जा सकता है। सहमति से संबंध की बात को साबित करना पति के लिए नामुमकिन हो जाएगा।

'सहमति' साबित करना संभव नहीं होगा  
रात की सहमति अगले दिन किसी भी विवाद या झगड़े के बाद बदली जा सकती है। मनीष सिंधवानी का कहना था कि पहले से ही महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर बने कानूनों का जमकर दुरुपयोग हो रहा है। चाहे घरेलू हिंसा हो या दहेज उत्पीड़न या फिर यौन हिंसा के कानून हो। अधिकांश मामलों में महिलाएं इन कानून के नाम पर पति का उत्पीड़न करती आई हैं। ऐसे में अगर ये नया कानून भी पास हो गया तो महिलाओं को पुरुषों के खिलाफ मिसयूज करने के लिए एक और कानून मिल जाएगा। 

यह भी पढ़ें: महाराष्ट्र : गढ़चिरौली में सुरक्षा बलों को मिली बड़ी सफलता, 4 नक्सलियों को मुठभेड़ में मार गिराया