Asaduddin Owaisi:एआईएमआईएम (AIMIM) अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने सांसद के ताैर पर शपथ लेते वक्त 'जय फिलिस्तीन' का नारा लगाया। इसके बाद अब विवाद शुरू हो गया है। ओवैसी की शिकायत राष्ट्रपति तक पहुंच गई। AIMIM नेता को संसद पद से अयोग्य ठहराने की मांग की जाने लगी है। हालांकि, इस नारे को अब लोकसभा के रिकॉर्ड से हटा दिया गया है, लेकिन मामला तूल पकड़ता जा रहा है। आइए, जानते हैं कि इस मामले में आवैसी पर क्या हो सकती है कार्रवाई, क्या कहता है कानून
ओवैसी का बयान और विवाद
हैदराबाद सीट से पांचवीं बार चुने गए ओवैसी ने उर्दू में शपथ लेने के बाद 'जय फिलिस्तीन' का नारा लगाया, जिससे विवाद खड़ा हो गया। ओवैसी ने अपने राज्य तेलंगाना और बीआर अंबेडकर की तारीफ की। साथ ही जय फिलिस्तीन का नारा लगा दिया।ओवैसी के इस कदम को भाजपा नेताओं ने तीखी आलोचना की। इसे असंवैधानिक बताया। कई नेताओं ने ओवैसी पर दूसरे देश के प्रति निष्ठा जाहिर करने का आरोप लगाया है। ओवैसी को संसद से अयोग्य ठहराने की मांग की है।
नियमों की जांच करेंगे: रिजिजू
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि उन्हें ओवैसी की फिलिस्तीन टिप्पणी के बारे में कुछ सदस्यों से शिकायतें मिली हैं। उन्होंने कहा, "हमारी फिलिस्तीन या किसी अन्य देश से कोई दुश्मनी नहीं है। मुद्दा यह है कि शपथ लेते समय क्या किसी सदस्य के लिए दूसरे देश की प्रशंसा में नारे लगाना उचित है? हमें नियमों की जांच करनी होगी। इसके बाद ही आगे कोई एक्शन लिया जा सकेगा
बीजेपी आईटी सेल ने क्या कहा?
भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने संविधान के अनुच्छेद 102 के एक अंश के साथ ओवैसी का नारा लगाने वाले वीडियो क्लिप पोस्ट किया। मालवीय ने कहा कि देश के मौजूदा नियमों के मुताबिक असदुद्दीन ओवैसी को किसी विदेशी राज्य, यानी फिलिस्तीन के प्रति निष्ठा प्रदर्शित करने के लिए उनकी लोकसभा सदस्यता से अयोग्य ठहराया जा सकता है।
As per extant rules, Asaduddin Owaisi can be disqualified from his Lok Sabha membership, for demonstrating adherence to a foreign State, that is Palestine.
— Amit Malviya (@amitmalviya) June 25, 2024
Please note: @LokSabhaSectt pic.twitter.com/wh7bYbep8p
ओवैसी ने नारा लगाने पर किया अपना बचाव
संसद के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए ओवैसी ने अपने कृत्य का बचाव किया। उन्होंने कहा कि संसद के दूसरे सदस्य भी अलग-अलग नारे लगा रहे हैं.. यह कैसे गलत है? मुझे संविधान का प्रावधान बताएं। आपको भी दूसरों की बात सुननी चाहिए। मैंने वही कहा जो मुझे कहना था। पढ़िए महात्मा गांधी ने फिलिस्तीन के बारे में क्या कहा था।
VIDEO | AIMIM chief and Hyderabad MP Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) said 'Jai Palestine' while taking oath as Member of Lok Sabha earlier today. Here's what he said about it.
— Press Trust of India (@PTI_News) June 25, 2024
"Other members are also saying different things... I said 'Jai Bheem, Jai Telangana, Jai Palestine'. How… pic.twitter.com/4YnLGEuxL2
क्या कहता है संविधान का अनुच्छेद 102
संविधान का अनुच्छेद 102 संसद सदस्य के रूप में अयोग्य ठहराए जाने के आधार निर्धारित करता है। इसमें कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति किसी विदेशी राज्य के प्रति निष्ठा रखता है इसकी या पालन की स्वीकृति के अधीन है, तो वह संसद के किसी भी सदन के सदस्य के तौर पर अयोग्य ठहराया जा सकता है।
- यदि कोई व्यक्ति भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन लाभ का पद धारण करता है, तो वह संसद का सदस्य बनने के लिए अयोग्य होगा। हालांकि, संसद द्वारा कानून द्वारा घोषित किए गए पदों को इस अयोग्यता से छूट दी गई है
- यदि कोई व्यक्ति माानसिक रूप से विचलित है और सक्षम न्यायालय ने ऐसा घोषित किया है, तो वह संसद का सदस्य बनने के लिए अयोग्य होगा।
- यदि कोई व्यक्ति अनुमोदित दिवालिया है यानी कि दिवालिया घोषित किया जा चुका है, तो वह संसद का सदस्य बनने के लिए अयोग्य होगा.
- यदि कोई व्यक्ति भारत का नागरिक नहीं है या किसी विदेशी राज्य की नागरिकता स्वेच्छा से आर्जित कर ली है या किसी विदेशी राज्य के प्रति निष्ठा या अनुषक्ति को अभिस्वीकार किए हुए है, तो वह संसद का सदस्य बनने के लिए अयोग्य होगा
- दसवीं अनुसूची, जिसे दलबदल विरोधी अधिनियम के रूप में जाना जाता है।यदि कोई सांसद अपनी मूल पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी में शामिल होता है, तो उसे संसद के किसी भी सदन का सदस्य होने के लिए अयोग्य घोषित किया जा सकता है।
इजराइल- फिलिस्तीन विवाद में भारत का स्टैंड
भारत इजरायल-फिलिस्तीनी विवाद को समाप्त करने के लिए टू स्टेट सॉल्यूशन के पक्ष में रहा है। हाल के दिनों में भारत ने फिलिस्तीनी शरणार्थी कल्याण एजेंसियों के लिए दी जाने वाली वित्तीय सहायता में भी बढ़ोतरी की है। इसके बावजूद, भारत ने हमेशा तटस्थ रुख अपनाया है। भारत ने फिलिस्तीन-इजरायल विवाद में कभी भी किसी एक पक्ष का समर्थन नहीं किया है। बता दें कि भारत और इजरायल मित्र देश हैं। इसके साथ ही फिलिस्तीन के साथ भी भारत के संबंध अच्छे रहे हैं।