Opinion: मोदी 3.0 सरकार के पहले बजट के अब तरह से विश्लेषण हो रहे हैं। विपक्ष आलोचना कर रहा है, तो सत्ता पक्ष इसे जनोन्मुखी बता रहा है। इस बजट को सरकार में समावेशी विकास एवं संवृद्धि, सामाजिक न्याय, विकसित भारत की कल्पना, अमृतकाल के लिए रणनीति के रूप में व्याख्याांबित किया है और इसे कर्तव्यकाल का बजट बताया है।
ज्यादा न निराश होने की जरूरत
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस बजट से भारतीय जनमानस को काफी आश्वस्त करती हुई कहीं भी कि रिफॉर्म, परफॉर्मऔर ट्रांसफॉर्म के सिद्धांत के अनुसरण में सरकार अब अगली पीढ़ी के सुधार हाथ में लेगी और कारगर क्रियान्वयन के लिए, राज्यों और हितधारकों के साथ सहमति बनाएगी। तटस्थ भाव से बजट की देखा जाए तो यह एक तिमाही बजट है। कुछ महीने बाद फिर से देश का नया बजट फरवरी में पेश होगा। प्रेक्षकों का मानना है कि इस पर ज्यादा न निराश होने की जरूरत है और न ही ज्यादा उत्साहित होने की, क्योंकि इस बजट का असर तो पड़ेगा लेकिन आंशिक प्रभाव पड़ेगा। भारत में बजट आने से पूर्व और बाद की जद्दोजहद इस बात के लिए होती है कि सरकार जनता को मंहगाई व भूख से बचाव का प्रावधान करे।
कामकाजी लोग, किसान, मजदूर तबके के लोग और सरकारी नौकरी पेशे के लोग अपने अपने तरीके से अपने फायदे की अपेक्षा करते हैं। सरकार का दावा है कि इस बजट में सबका ख्याल रखा गया है और इससे भारतीय जीवन-गुणवत्ता में व्यापक रचनात्मक सुधार होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह बजट नए अवसर, नई ऊर्जा लेकर अया है. यह ढेर सारे नए रोजगार, स्वरोजगार के अवसर लेकर आया है। यह बेटर ग्रोथ और ब्राइट फ्यूचर लेकर आया है। उन्होंने बजट पेश होने के वाद अपनी त्वरित टिपण्णों में कहा भी कि ये बजट समाज के हर वर्ग को शक्ति देने वाला बजट है। ये देश के गांव-गरीब किसान को समृद्धि की यह पर ले जाने वाला बजट है। यह बजट, भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक ताकत बनाने के, उस पूरी प्रक्रिया में कैटेलिस्ट का काम करेगा, विकसित भारत की एक ठोस नींव रखेगा।
एक सतर्क बजट
इस बजट को एक सतर्क बजट कहा जा रहा है क्योंकि हिंदुस्तान की गतिशीलता के लिए युवाओं के रोजगार व उनके कौशल विकास को विशेष ध्यान दिया गया है। इसमें नेट जीरो 2070, विकसित भास्त 2047, अमृतकाल कर्तव्य बजट, लखपति दीदी जैसी संकल्पनाएँ हैं। लखपति दीदी के माध्यम से तीन करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी होने का सुख समादूत है। मत्स्य संपदा, डेवरी विकास, आत्मनिर्भर कृषि व किसान इस बजट के केंद्र में हैं। सरकार की ओर से लोक केंद्रित, समावेशी बजट बनाने की कोशिश की गई है।
रोजगार सृजन पर जोर
भारत के लिए इस बजट में सचसे बड़ी जो तारीफ करने वाली बात है, वह यह है समृद्धि युवाओं को पर्याप्त रूप से साधन संपन्न वसशक्त बनाने के लिए सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 से परिवर्तनकारी सुधार कीगोजनाओं को केन्द्रत किया है। स्किल इंडिया मिशन, रोजगार और कौशल प्रशिक्षण, सामाजिक न्याय, अवसंरचना, नकचार, अनुसंधान और विकास, अगलों पोड़ी के सुधार के लिए पर्याप्त प्रावधान किए गए हैं। किसानों के लिए सरकार ने विशेष ध्यान दिया है और कृषि में उत्पादकता, उत्पादकता में सुधार, बाजार दक्षता, प्रौद्योगिकीय संचार का लक्ष्य लेकर एक मजबूत और समावेशी आर्थिक दोघा बनाने की कोशिश इस बजट में दिखी है।
भूमि, श्रम, वित्त और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में प्रस्तावित सुधार स्थानी विकास को बढ़ावा देने वाले हैं और सभी नागरिकों के लिए समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करने के लिए डिजाइन किया गया है तो इससे उनमें आशाएं भी आने वाली हैं। दो लाख करोड़ रुपए की लागत से पांच योजनाओं और पहलों से संबंधित प्रधानमंत्री का पैकेज अगले 5 वर्षों में 4.1 करोड़ युवाओं को रोजगार, कौशल प्रशिक्षण और अन्य अवसरों की सुविधा एक बड़ा कदम है।
स्पेस इकोनॉमी पर ध्यान
अगले 10 वर्षों में अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का 5 गुना विस्तार करने पर जोर देने के लिए सरकार ने बजट में प्रावधान किया है। 4 करोड़ वेतनभोगी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को आयकर में बड़ी राहत दी गई है। नई कर व्यवस्था अपनाने वाले लोगों के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन को 50,000 रुपए से बढ़ाकर 75,000 करोड़ रुपए किया गया। पारिवारिक पेंशन पर छूट को 15,000 रुपए से बढ़ाकर 25,000 रुपए किया गया। भारतः का मध्य वर्ग अपनी इकोनॉमिक स्ट्रेंथ। को भले ही सीधे महसूस न करे लेकिन सरकार ने इस बजट के माध्यम से आत्मनिर्भर स्मार्ट भारत बनाने की कोशिश की है।
गतिशील भारत के लिए अब जो दुनिया भर में एसडीजी के लिए जो पंचायतें हैं, उसके हिसाब से देखें तो भारत में स्वास्थ्य, शिक्षा, जीवन-यापन ही सबसे कठिनाई का विषय है और आनंद का भी। नीति आयोग ने अपने एसडीजी सूचकांक को 70 प्रतिशत से अधिक बता दिया लेकिन बजट में जब मध्य वर्ग महंगाई से मुक्ति खोजता है। अच्छा स्वास्थ्य हेतु अस्पताल खोजता है तो आयुष्मान भारत योजना उसे नाकाफी लगती है।
आशावादी भारत की आकांक्षा
गाँव गरीब आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं से ही लाभान्वित नहीं होना चाहती अपितु सरकार ने बहुत गंभीरता से यदि इस बजट में स्वास्थ्य अवरसंरचना के विकास पर थोड़ा ज्यादा ध्यान देती तो यह बजट हर वर्ग बहुत मन से वरेण्य होता। हथियार, युद्ध, संधर्ष से निपटने के लिए बजट जरूरी है लेकिन मानबीय जरूरतों के लिए भी बजट में सरकार से अपेक्षा होती है। एसडीजी के जितने लक्ष्य हैं, उसे ध्यान में रखकर सरकार यदि आने वाले समय में भारतीय बजट पेश करेगी तो निश्चय ही इस अंतरिम बजट में हुई कमी की भरपाई कर सकेगी क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो सतत विकास लक्ष्य के मुद्दे हैं, वह जनोपायोगी, प्रकृति व जलवायु के मुद्दे से ज्यादा जोड़ते हैं।
मुनाफा और कर के गणित को समझें। भारत के विविधता का समाजशास्र समझे। इकोनॉमिक फोबिया से उबरे हुए मनुष्य को खोज में अंतिम जन के बजट को अब भारत के नक्से पर मुद्रित करें तभी गतिशील भारत का बजट सामने आ सकेगा। सब मिलाकर देखा जाये तो यह अंतरिम बजट भारत की जनता के लिए है, वह इसे चाहे अनचाहे स्वीकार करेगी, लेकिन हमारी जो नीतिगत जिम्मेदारियां हैं जो मनुष्य के कल्याण प आधारित हैं, उसे सरकार बजट में प्रावधान करे, आने वाले समय में तो निश्च ही भारत सरकार विकसितभारत होने का सपना पूर्ण हो सकेगी और एक लोकलुभावन लोकप्रिय राज्य की कसौटी पर सरकार की महिमा का गान गुजित होगा। विकसित भारत के पैमाने का बजट होना जरूरी है।
प्रो. कन्हैया त्रिपाठी: (लेखक केंद्रीय विवि पंजा के चेयर प्रफेसर हैं, ये उनके अपने विचार हैं।)