Opinion: इन दिनों पूरे देश की निगाहें 23 जुलाई को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण जाने वाले वर्ष 2024-25 ओर लगी हुई। उम्मीद की जा रही के द्वारा पेश किए के पूर्ण बजट की है कि यह बजट विकास और सुधारों से सजा हुआ ऐतिहासिक बजट होगा। इस बजट को तैयार करने के मद्देनजर वित्तमंत्री सीतारमण ने 19 जून से 5 जुलाई तक उद्योग-कारोबार, श्रम, कृषि, एमएसएमई, टैक्सेशन, शिक्षा, स्वास्थ्य, उपभोक्ता, आधारभूत ढांचा, वित्त क्षेत्र सहित बजट से संबंधित विभिन्न पक्षों के साथ बजट पूर्व व्यापक परामर्श बैठकें आयोजित की हैं।
सरकार सुधारों की प्रक्रिया को और तेज करेगी
गौरतलब है कि गत 27 जून को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लोक सभा और राज्य सभा की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के तीसरे कार्यकाल में वर्ष 2024-25 का बजट ऐतिहासिक होगा और इसमें आर्थिक तथा सामाजिक मोर्चे पर बड़े ऐलान किए जाएंगे। इस बजट से सरकार सुधारों की प्रक्रिया को और तेज करेगी। यह बजट नई गठबंधन सरकार की नीतियों और भविष्य के दृष्टिकोण के लिहाज से बहुत ही प्रभावी दस्तावेज होगा। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि देश में विभिन्न सुधारों से भारतीय बैंकिंग विश्व के सबसे मजबूत बैंकिंग क्षेत्रों में शुमार हो गई है। टैक्स संग्रहण ऊंचाई पर है। गरीब, युवा, महिलाएं और किसानों के कल्याण के लिए उठाए गए कदमों से इन वर्गों का उत्थान हुआ है।
सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्था
मुर्मू ने कहा कि पिछले दस वर्षों में सरकार के मंत्र रिफॉर्म, परफॉर्म एंड ट्रांसफॉर्म ने भारत को विश्व की सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्था बनाया है और भारत ने 2021 से 2024 के बीच 8 प्रतिशत सालाना की दर से वृद्धि की है। उन्होंने कहा कि नए बजट के माध्यम से अटके पड़े सुधारों, वित्तीय व श्रम सुधारों को आगे बढ़ाया जाएगा, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने, उद्योग जगत की लाजिस्टिक्स लागत घटाने, वैश्विक बाजार में भारतीय खाद्यान्नों की मांग बढ़ाने, किसानों की आय बढ़ाने तथा रोजगार सृजित करने वाले मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर पर फोकस करने के बड़े कदम आगे बढ़ाए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि इसी वर्ष एक फरवरी को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा पेश किया गया वर्ष 2024-25 का अंतरिम बजट एक लेखानुदान की तरह था तथा इसमें कोई लोक लुभावन योजना नहीं थी। ऐसे में इस अंतरिम बजट ने 23 जुलाई को प्रस्तुत किए जाने वाले वर्ष 2024-25 के पूर्ण बजट के लिए अच्छे आर्थिक और वित्तीय आधारों की विरासत सौंपी है।
बजट प्रस्तुत करने के कई मजबूत आधार
इसमें कोई दो मत नहीं है कि पूर्ण बजट 2024-25 की तैयारी को अंतिम रूप देते समय वित्तमंत्री सीतारमण के पास अच्छे व ऐतिहासिक बजट प्रस्तुत करने के कई मजबूत आधार हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के द्वारा वित्त मंत्रालय को 2.11 लाख करोड़ रुपये का भारी भरकम लाभांश सौंपा गया है, वह भी नए बजट का मजबूत आधार होगा। इस लाभांश से सरकार को राजकोषीय सहायता मिलेगी और व्यय अपेक्षाओं का प्रबंधन होगा। आयकर परिदृश्य पर सकारात्मक बदलाव होने का अनुकूल परिदृश्य मौजूद है। पिछले 10 वर्षों में आयकरदाताओं की संख्या और आयकर की प्राप्ति में छलांगें लगाकर वृद्धि हुई है। आयकर रिटर्न रिकॉर्ड 8 करोड़ के स्तर को पार कर चुका हैं। जहां पिछले 10 वर्षों में आयकर रिटर्न भरने वाले दोगुने से भी अधिक हुए हैं, वहीं, आय की असमानता में भी कमी आई है।
वृद्धि की बड़ी अनुकूलताएं
वित्तमंत्री की मुठ्ठियों में देश में कर सुधारों से आयकरदाताओं और आवकर संग्रहण के साथ-साथ जीएसटी में लक्ष्य से भी अधिक वृद्धि की बड़ी अनुकूलताएं है। इसके अलावा पिछले वर्षों में वित्तमंत्री सीतारमण वित्तीय अनुशासन का पालन करते हुए अब तक राजकोषीय घाटे को बजट लक्ष्य के मुताबिक उपयुक्त रूप से नियंत्रित रखते हुए सफलतापूर्वक आगे बढ़ी हैं। निःसंदेह नया बजट 2024-25 गरीब, युवा, महिलाएं और किसानों के कल्याण के नए उपायों के साथ विकास योजनाओं पर केंद्रित होते हुए दिखाई दे सकता है। नए बजट में वित्तमंत्री वृद्धि और रोजगार पर फोकस करते हुए दिखाई दे सकती हैं।
प्रोत्साहन नए बजट में बढ़ाएं जा सकते हैं
किसान सम्मान निधि सालाना 6000 रुपये से बढ़ाकर 8000 रुपये की जा सकती है। कृषि, ग्रामीण विकास, सिंचाई वेयरहाउसिंग को प्रोत्साहन नए बजट में बढ़ाएं जा सकते हैं। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) को प्रोत्साहनमूलक राहत दी जा सकती है। जहां विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने और रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी करने के लिए सरकार नए बजट से पीएलआई योजना का दायरा बढ़ाते हुए इसे नए क्षेत्रों तक विस्तृत कर सकती हैं और श्रम साध्य क्षेत्रों में नई नौकरियों के सृजन के पथ पर आगे बढ़ सकती हैं, वहीं रियल एस्टेट सेक्टर और आवास सेक्टर को भी प्रोत्साहनमूलक राहत दे सकती हैं। नए बजट में देश में डिजिटल क्रांति को बढ़ाने से संबंधित मोबाइल सेवा प्रदाताओं सहित विभिन्न उत्पादों, बुनियादी ढांचा क्षेत्र के लिए अधिक पूंजीगत व्यय के प्रावधान भी दिखाई दे सकते हैं।
टैक्स संबंधी कोई उपयुक्त राहत नहीं
उल्लेखनीय है कि इन दिनों वेतनभोगी (सेलरिड) वर्ग के लाखों छोटे आयकरदाता और मध्यम वर्ग के लोग यह कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि पिछले विभिन्न बजटों में उन्हें टैक्स संबंधी कोई उपयुक्त राहत नहीं मिली है। साथ ही अब महंगाई वृद्धि और उनके बढ़ते जरूरी खर्चों के कारण उन्हें कुछ आवकर राहत की अपेक्षा है। वित्तमंत्री नए बजट में खपत को बढ़ावा देने के लिए 50 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के उपाय भी कर सकती हैं, जिसमें कर राहत के उपाय भी शामिल हैं। ऐसे में नए बजट में आयकर के पुराने तथा नए स्लैब दोनों के तहत छोटे आयकरदाताओं को राहत के प्रावधानों का ऐलान किया जा सकता है।
राहत की अपेक्षा न्यायसंग
निःसंदेह वेतनभोगी वर्ग के द्वारा नए बजट में राहत की अपेक्षा इसलिए भी न्यायसंगत है, क्योंकि वेतनभोगी वर्ग के द्वारा दिया गया कुल आयकर पेशेवरों और कारोबारी करदाताओं के वर्ग द्वारा चुकाए गए कुल आयकर से काफी अधिक होता है। वेतनभोगी करदाताओं के कर की कटौती अर्जित आय पर की जाती है। इसे टीडीएस के रूप में जाना जाता है। टीडीएस के कारण वेतनभोगी ईमानदारी से आयकर चुकाते हैं और आमदनी को कम बताने की गुंजाइश नगण्य होती है। ऐसे में टीडीएस की वर्तमान 50,000 रुपये की सीमा बढ़ाकर 75,000 रुपये की जा सकता है।
लक्ष्य आगे बढ़ाते हुए दिखाई देंगी
हम उम्मीद करें कि 23 जुलाई को वित्तमंत्री सीतारमण के द्वारा पेश होने वाला वर्ष 2024-25 का पूर्ण बजट आर्थिक सुधारों, आर्थिक कल्याण और तेज विकास के आधारों के आगे बढ़ाने वाला एक ऐतिहासिक बजट होगा। यह एक ऐसा बजट भी होगा, जिसमें वित्तमंत्री 2024-25 के तहत राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 5.1 फीसदी और 2025-26 में 4.5 फीसदी तक लाने का लक्ष्य आगे बढ़ाते हुए दिखाई देंगी। साथ ही वर्ष 2024- 25 का पूर्ण बजट भारत को 2027 तक दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था तथा वर्ष 2047 तक भारत को दुनिया का विकसित देश बनने के सपने को साकार करने की डगर पर आगे बढ़ाने वाला बजट भी होगा।
डॉ. जयंतीलाल भंडारी: (लेखक ख्यात अर्थशास्त्री हैं, ये उनके अपने विचार हैं।)