Logo
Opinion: भाजपा ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय द्वारा प्रतिपादित 'एकात्म मानवदर्शन' को अपने वैचारिक, दर्शन के रूप मैं अपनाया है तथा सुशासन, विकास एवं सुरक्षा भाजपा की प्राथमिकताएं हैं। पार्टी ने पांच प्रमुख सिद्धांतों के प्रति भी अपनी निष्ठा व्यक्त की है, जिन्हें 'पंचनिष्ठा' कहते हैं।

Opinion: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सदस्यता ग्रहण किए जाने के उपरांत देश में 2 सितंबर से संगठन पर्व प्रांरभ हो चुका है। हमारे पूर्वजों ने पार्टी संगठन तथा कार्यकर्ताओं को गढ़ने और तराशने के लिए जो त्याग और परिश्रम किया है, उसी के बल पर वर्तमान में मध्यप्रदेश के पार्टी संगठन को पूरे देश में आदर्श माना जाता है। प्रदेश के लाखों-लाख कार्यकर्ता अपनी इस पहचान को कायम रखते हुए संगठन पर्व में पार्टी के विस्तार को नई ऊंचाईयां प्रदान करने को तैयार हैं।

भाजपा ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय द्वारा प्रतिपादित 'एकात्म मानवदर्शन' को अपने वैचारिक, दर्शन के रूप मैं अपनाया है तथा सुशासन, विकास एवं सुरक्षा भाजपा की प्राथमिकताएं हैं। पार्टी ने पांच प्रमुख सिद्धांतों के प्रति भी अपनी निष्ठा व्यक्त की है, जिन्हें 'पंचनिष्ठा' कहते हैं। यह पंचनिष्ठाएं राष्ट्रवाद एवं राष्ट्रीय अखंडता, लोकतंत्र, सकारात्मक पंथ-निरपेक्षता (सर्वधर्म समभाव), गांधीवादी समाजवाद (सामाजिक-आर्थिक विषयों पर गांधीवादी दृष्टिकोण द्वारा शोषण मुक्त समरस समाज की स्थापना) तथा मूल्य आधारित राजनीति है। भाजपा अकेली ऐसी पार्टी है, जो वैचारिक प्रतिष्ठान और अधिष्ठान पर चलती है, और जो राष्ट्रवादी विचारों से जुड़ी है।

हमें गर्व है कि हमारा दल देश का ऐसा एकमात्र राजनीतिक दल है, जिसने राष्ट्रहितों के साथ कभी समझौता नहीं किया, अन्य सभी दलों ने सत्ता प्राप्ति एवं स्वार्थ सिद्धि के लिए एक नहीं, अनेकों बार समझौता किया। भाजपा के लिए राजनीति केवल सत्ता प्राप्त करने का साधन नहीं है, समाज को अपेक्षित दिशा में प्रगति पथ पर ले जाना भी उसका पहला कार्य है। इसके लिए संगत दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है, जो संगत विचारधारा से प्राप्त होता है।

यह भी पढ़ें: Opinion: सांस्कृतिक विविधता को सहेजता लोकपर्व, भारतीय परिवेश में व्रत-त्योहार

राष्ट्र सर्वोपरि का भावः हमारे विचार की संकल्प शक्ति की वजह से ही लगभग पांच सौ वर्षों की प्रतीक्षा के पश्चात आज अयोध्या में भव्य व दिव्य राम मंदिर के निर्माण का सपना साकार हुआ है। हमारे पार्टी के संस्थापकों एवं असंख्य कार्यकर्ताओं ने श्रीरामलला को अपने मंदिर में विराजमान देखने हेतु अपनी चुनी हुई सरकारें भी न्यौछावर कर दीं, यह अपने विचारधारा पर अडिग रहने का एक उदाहरण मात्र है। हमारे पितृपुरुष का संकल्प एवं एक देश में दो विधान, दो प्रधान, दो निशान नहीं चलेंगे की पूर्ति स्वरूप अनुच्छेद 370 को हटाने ऐतिहासिक निर्णय हमारी ध्येय पूर्ति की यात्रा का और एक महत्वपूर्ण पड़ाव है।

वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार एवं हमारे पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं देश के वर्तमान गृह मंत्री अमित शाह के कार्यकाल में भाजपा ने अटल सरकार तथा तत्कालीन संगठन की नीतियों को दिशा देने के प्रयास के साथ ही अपनी विचारधारा अनुरूप राष्ट्र सर्वोपरि मानकर ऐतिहासिक निर्णय किए हैं, जो हमारे विचारों की स्पष्टता को प्रतिलक्षित करते हैं। हमारे संस्थापकों ने भारत को विश्व गुरू बनाने का जो सपना देखा था आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उस ओर हम कर्तव्यपरायणता के साथ अग्रसर हैं।

अंत्योदय का सपना साकारः हमारी ध्येय यात्रा में पूर्ण बहुमत की सरकार आते ही तीन तलाक कानून, नागरिकता संशोधन कानून, आपराधिक न्यायिक कानूनों में बदलाव के साथ ही पंडित दीनदयाल के अंत्योदय पर आधारित गरीब-कल्याण की योजनाओं के द्वारा करोड़ों गरीब लोगों के जीवन में परिवर्तन लाने का काम भी हुआ है। हमारी केंद्र की सरकार ने अंत्योदय के सिद्धांत के अनुरूप ही 50 करोड़ से अधिक लोगों के जनधन खाते खुलवाए और आयुष्मान, उज्ज्वला और पीएम आवास जैसी अनुकरणीय योजनाएं संचालित की गई और देश खुले में शौच से मुक्त हुआ। घर-घर बिजली पहुंचाई गई, 10 करोड़ से अधिक परिवारों को गैस कनेक्शन दिए गए और हर घर शुद्ध पेयजल पहुँचाया। कुछ प्रमुख आधारभूत कार्य हैं जो देश की पूर्ववर्ती सरकारों के 50 वर्षों के शासनकाल की प्राथमिकता होनी चाहिए थी, किन्तु वोट बैंक की राजनीति की वजह से किसी एक वर्ग विशेष की चिंता ही उनकी राजनीति की प्राथमिकता रही है। वे तुष्टीकरण करते रहे, हमने संतुष्टीकरण करने का ईमानदार प्रयास किया।

विश्व में बड़ी ताकत बनकर उभरा भारतः आज भारत ही नहीं पूरा विश्व देख रहा है कि एक राजनीतिक दल और उसका नेतृत्व किस प्रकार अपने उन संकल्पों को पूरा करने में सफल सिद्ध हुआ है, जिन्हें पूरा करना कभी असंभव सा लगता था। भाजपा सरकार में अपनी सांस्कृतिक पहचान के साथ विश्व में एक बड़ी ताकत बनकर उभरे भारत ने अपने पुराने स्वाभिमान और आत्मगौरव को भी वापस हासिल किया है। राष्ट्रीय संकट में जनकल्याण की कसौटी पर भी भारत ने लोकतांत्रिक व्यवस्था में भाजपा के नेतृत्व ने एक अनूठा उदाहरण विश्व के समक्ष प्रस्तुत किया है।

कोरोना संकट में दुनिया के अनेक देशों ने जहाँ अपने नागरिकों को अपने हाल पर छोड़ दिया, वहीं भारत में भाजपा की मोदी सरकार ने अपने हर नागरिक के जीवन को अमूल्य मानते हुए उनके लिए अनाज के साथ दवाओं और अन्य वस्तुओं को उपलब्ध कराया। स्वदेशी वैक्सीन के आविष्कार में प्रेरक भूमिका तो निभाई और हर नागरिक के लिए उसे मुफ्त उपलब्ध कराने हेतु विश्व का सबसे बड़ा वैक्सिनेशन अभियान चलाकर दुनिया से अपने सामर्थ्य का लोहा भी मनवा लिया है। सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास ही भाजपा का मूलमंत्र बन गया है।

विकसित भारत हेतु सदस्यता अभियानः लगभग 44 वर्षों की इस यात्रा में आज हमारी भाजपा भारतीय राजनीति के जिस शीर्ष पर पहुंची है, वो हमारी विचारधारा के प्रति एकनिष्ठ और समर्पित भाव से बढ़ते रहने के कारण ही संभव हुआ है। अपने 45 वें वर्ष में दुनिया के सबसे बड़े राजनीतिक दल ने चार दशक पूर्व जो सपने देखे, वह तो साकार हुए ही हैं, साथ ही स्वाधीनता के अमृत वर्ष में पीएम मोदी के नेतृत्व में विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को अपना दिशा-सूत्र बना चुका है, जिसको पूरा करने का दारोमदार भी भारतीय जनता पार्टी के कोटि-कोटि कार्यकर्ताओं के कंधों पर है। देश की सेवा के लिए अधिकाधिक लोगों को आह्वान और प्रेरित करना भाजपा का संगठन पर्व है।

भारतीय जनता पार्टी का यह संगठन पर्व केवल सदस्यता आंकड़ों को बढ़ाने और सत्ता सुख भोगने के लिए नहीं है, बल्कि जनता का दुख-दर्द दूर करने के साथ देश का मान-सम्मान बढ़ाने के लिए है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने कहा था कि आज का विरोधी कल हमारा मतदाता बने, कल का मतदाता परसों भारतीय जनता पार्टी का सदस्य बने और परसों का सदस्य हमारा सक्रिय कार्यकर्ता बने। निश्चित ही भाजपा अपनी संकल्प शक्ति, निष्ठा और नियति से इस लक्ष्य को पूरा करेगी तथा हमारे सदस्य देश के भविष्य निर्माण की प्रक्रिया में अग्रणी भूमिका निभाते हुए संकल्प सिद्धि की ओर अग्रसरता में अपनी भूमिका का निर्वहन करेंगे।
विष्णुदत्त शर्मा: (लेखक भारतीय जनता पार्टी के मप्र अध्यक्ष व खजुराहो सांसद हैं, यह उनके अपने विचार हैं।)

यह भी पढ़ें: Opinion: ध्वस्त किया जा सकता है जनतंत्र का 'स्टॉक मार्केट, आवाज सुननी ही पड़ेगी

5379487