Opinion: महिलाओं के लिए देश में बने भयमुक्त परिवेश, कोलकाता और मुजफ्फरपुर की घटना सामने

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महिलाओं के लिए देश में बने भयमुक्त परिवेश
Opinion: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज की महिला प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ भी दुष्कर्म और हद दर्जे की बेरहमी की गई।

Opinion: कोलकाता में महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म के बाद बर्बर हत्या के मामले में अभी वीभत्स खुलासे हो ही रहे हैं कि बिहार के मुजफ्फरपुर में भी नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म और क्रूरता करने की घटना सामने आई है। मुजफ्फरपुर की घटना में भी 14 वर्षीय छात्रा के अर्धनग्न अवस्था में मिले शव पर गंभीर घाव मिले हैं। धारदार हथियार से कई जगह काटकर बच्ची को शारीरिक प्रताड़ना देने वाली दुष्कर्म की यह घटना भी दिल दहलाने वाली है।

वीभत्स और क्रूरतम व्यवहार
ज्ञात हो कि कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज की महिला प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ भी दुष्कर्म और हद दर्जे की बेरहमी की गई थी। इस दर्दनाक वारदात में भी अर्धनग्न शरीर पर चोटों के कई निशान थे। वहीं झांसी में स्वतन्त्रता दिवस से ठीक एक दिन पहले तीन वर्षीय मासूम बच्ची के साथ भी दुष्कर्म की घटना सामने आई है। बेटियों के साथ किए गए वीभत्स और क्रूरतम व्यवहार के मामले समग्र समाज को भयभीत करने वाले हैं। महिलाओं के प्रति मौजूद बर्बरता की भयावह सोच लिए आए दिन देश के कोने-कोने से सामने आतीं ऐसी घटनाएं बताती हैं कि अब बात केवल चर्चा और चिंता करने तक सीमित नहीं रखी जा सकती।

ऐसे मामलों में कठोर दंड और त्वरित कार्रवाई के जरिये आपराधिक मानसिकता के लोगों के मन में भय पैदा करना भी आवश्यक हो चला है। ध्यातव्य है कि 78वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने सम्बोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस बर्बरता पर बात की। प्रधानमंत्री ने कहा कि 'मैं आज लाल किले से एक बार फिर अपनी पीड़ा व्यक्त करना चाहता हूं। एक समाज के तौर पर हमें महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों के बारे में गंभीरता से सोचना होगा। देश में इसके खिलाफ आक्रोश है। मैं इस आक्रोश को महसूस कर सकता हूं। देश, समाज और राज्य सरकारों को इसे गंभीरता से लेना होगा। महिलाओं के खिलाफ अपराधों की त्वरित जांच हो, इन राक्षसी कृत्यों को अंजाम देने वालों को जल्द से जल्द सख्त सजा मिले।

लोगों का दुस्साहस बढ़ाती हैं
समाज में विश्वास जगाने के लिए राक्षसी प्रवृत्ति वाले व्यक्ति को दंडित किया जाना और सजा पाने वालों पर व्यापक चर्चा करना आवश्यक है। देखा जाए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लाल किले की प्राचीर से महिलाओं पर होने वाले अत्याचार का मुद्दा समाज के हर वर्ग के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है। ये स्थितियां आमजन को एक विवशता के घेरे में भी ला रही हैं। जांच हो या कार्रवाई, इनसे जुड़ी संस्थाओं की निष्पक्षता से विश्वास घट रहा है। हर दिन कोई नई घटना और अपराधियों के लिए कानूनी कार्रवाई के नाम पर बरसों का इंतजार। कहना गलत नहीं होगा कि ऐसी स्थितियां ही आपराधिक मानसिकता वाले लोगों का दुस्साहस बढ़ाती हैं।

इन्हीं पीड़ादायी स्थितियों को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि 'देश में महिलाओं के साथ बर्बरता और अत्याचार हो रहे हैं। राज्य सरकारों से, शासन-प्रशासन से अपील करता हूं कि वो ऐसे उदाहरण पेश करें। कि कोई किसी महिला के साथ ऐसा करने की। हिमाकत नहीं कर सके। राक्षसी कृत्य करने वालों को जल्द से जल्द कड़ी सजा हो। बलात्कार जैसा पाप करने वाले को फांसी की सजा हो ताकि कोई ऐसा करने की सोचे तो उसे पता हो कि जीवन से हाथ धोना होगा।' चिंतनीय है कि समस्या अपराधियों को सबक ना मिलने की ही है। बरसों बरस चलने वाली कानूनी कार्रवाई परिजनों का हौसला तोड़ देती है। अपराधियों की हिमाकत बढ़ाती है। नतीजतन बलात्कार महिलाओं के खिलाफ चौथा सबसे आम अपराध है।

दुष्कर्म के मामलों में 13.23 प्रतिशत की वृद्धि
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ब्यूरो के के आंकड़ों के अनुसार हालिया वर्षों में दुष्कर्म के मामलों में 13.23 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2022 के आंकड़े कहते हैं कि देश में एक दिन में औसतन 87 रेप की घटनाएं होती हैं। प्रतिवर्ष महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों के आंकड़े बढ़ ही रहे हैं। वैश्विक स्तर पर भी देश की छवि बिगड़ रही है। यह कटु सच है कि हर क्षेत्र में उपलब्धियां हासिल कर रहे भारत में आज शिक्षित अशिक्षित, ग्रामीण- शहरी, बालिग नाबालिग हर जगह और हर आयुवर्ग की महिलाएं डर के माहौल में जी रही हैं। लचर रवैये और आरोप-प्रत्यारोप के बजाए त्वरित कार्रवाई से ही इन हालातों को बदला जा सकता है। महिलाओं के विरुद्ध आपराधिक गतिविधियों में लिप्त लोगों को मिली सख्त सजा ही समाज में भी भरोसे का भाव जगा पाएगी।
डॉ. मोनिका शर्मा: (लेखिका स्वतंत्र स्तम्भकार हैं, वे उनके अपने विचार हैं।)

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