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Opinion: इन दिनों हादसों का सबसे दुखद पक्ष यह है कि कभी सुरक्षा नियमों की अनदेखी तो कभी अति- आत्मविश्वास के चलते लोगों का जीवन छिन जाता है। तकलीफदेह है कि बरसात के सुहावने मौसम में सैर-सपाटा करते लोग अपनी जान को जोखिम में डालने की गलती करते हैं। इस मौसम में बांध, नदी, झरने वाली जगहों पर ही पर्यटक जाना पसंद करते हैं।

Opinion: बीते दिनों महाराष्ट्र के लोनावला में भुशी बांध पर सैर-सपाटा करने पहुंचा एक पूरा परिवार झरने के पानी में बह गया। इस अनहोनी के वायरल वीडियो में तेज बहाव के बीच समूह बनाकर खड़े बच्चे- बड़े भय से चीखते देख रहे हैं। पानी की गति इतनी तेज थी कि हादसे में एक ही परिवार के नौ में से पांच सदस्य डूब गए। बरसात ने अभी दस्तक दी ही है, पर देशभर के पर्यटन स्थलों पर ऐसे कई हादसे हो चुके हैं।

जान को जोखिम में डालने की गलती
हाल ही में बोकारो में ग्रामीणों ने दामोदर नदी में डूबते चार युवकों की जान बचाई, जो दामोदर नदी में स्नान करते हुए तेज बहाव में डूब गए थे। हर वर्ष ही बरसात के मौसम में सैर सपाटे के निकले लोगों के साथ ऐसी दुर्घटनाएं होतीं हैं। इन हादसों का सबसे दुखद पक्ष यह है कि कभी सुरक्षा नियमों की अनदेखी तो कभी अति- आत्मविश्वास के चलते लोगों का जीवन छिन जाता है। तकलीफदेह है कि बरसात के सुहावने मौसम में सैर-सपाटा करते लोग अपनी जान को जोखिम में डालने की गलती करते हैं। इस मौसम में बांध, नदी, झरने वाली जगहों पर ही पर्यटक जाना पसंद करते हैं।

फिसलन की आशंका
ऐसे अधिकतर स्थल आबादी वाली जगहों से दूर होते हैं, जिसके चलते समय पर बचाव दल का पहुंचना भी कठिन होता है। इतना ही नहीं बारिश में ऐसी जगहों पर अचानक पानी का बहाव तेज्ज होने की भी संभावना रहती है। कहां और किस तरह दुर्घटना हो जाए यह समझना कठिन होता है। कहीं चट्टान वाली जगह पर फिसलन की आशंका रहती है तो कहीं पानी की गहराई की जानकारी नहीं होती। अचानक तेज वर्षा होने पर कई स्थलों का पानी का बहाव रौद्र रूप ले लेता है। लोनावला में भुशी बांध पर हुए हादसे में पूरा परिवार यूं झरने के पानी की तेज गति की ही अपने चपेट में आ गया। 

नियमावली को भी नहीं मानते
अधिकतर मामलों में लोग भारी बरसात के अलर्ट, दुर्घटना स्थल से जुड़ी चेतावनियों और पर्यटन स्थल पर सुरक्षा को लेकर जारी नियमावली को भी नहीं मानते। पहाड़ी क्षेत्र हो या नदी-समुद्र जोखिमपूर्ण हिस्सों में भी पहुंच जाते हैं, जबकि प्रशासनिक अमले द्वारा समय-समय पर मानसून के मौसम में सैर सपाटे के दौरान ऐहतियात बरतने की सलाह दी जाती है। सैलानियों की सुरक्षा के लिए ऐसे स्थलों पर सुरक्षा से जुड़े दिशा-निर्देशों वाले बोर्ड लगाए जाते हैं। कई स्थलों को प्रतिबंधित घोषित किया जाता है। बावजूद इसके पर्यटक स्थलों पर न केवल सतर्कता की कमी ही देखने को मिलती है, बल्कि नियमों की अनदेखी की जाती है।

अजब-गजब करतब करने के इरादे
हालिया बरसों में वर्चुअल दुनिया का दिखावा भी पर्यटन स्थलों पर होने वाले हादसे का कारण बना है। रील वीडियो बनाने, विशेष तरह की तस्वीरें खींचने और अजब-गजब करतब करने के इरादे से की गई गतिविधियां दुर्घटनाओं को न्योता देने वाली साबित होती हैं। बीते दिनों गुजरात के कच्छ में मुंद्रा समुद्र तट पर इंस्टाग्राम रील्स के लिए स्टंट के करने के लिए समुद्र में उतारी दो गाड़ियों को पानी के तेज बहाव ने डुबो ही दिया था कि लोगों की मदद से उनकी जिंदगी बच सकी।

रील बनाने के जुनून
इन्हीं दिनों बिहार के समस्तीपुर में रील बनाने के जुनून में बूढ़ी गंडक नदी में डूबने से तीन किशोरों की जान चली गई है। यह वाकई पीड़ादायी है कि आभासी दुनिया में विशेष उपस्थिति दर्ज करवाने के फेर में भी ऐसे हादसे हो रहे हैं, जबकि इन्हीं तकनीकी सुविधाओं का इस्तेमाल मौसम की सही जानकारी लेने के लिए भी किया जा सकता है। इस तरह की दुर्घटनाओं पर सजगता से ही लगाम लग सकती है। नियमों का पालन और सैर-सपाटे के समय भी अनुशासन का भाव ही जीवन सहेज सकता है।
डॉ. मोनिका शर्मा: (लेखिका फ्रीलांसर है, ये उनके अपने विचार है।)

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