Opinion: भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का अमेरिकी दौरा रणनीतिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण रहा। उनकी यह यात्रा भारत और अमेरिका के रणनीतिक संबंधों को मजबूत बनाने के इरादे से ही थी। वहां पहुंचकर उन्होंने अमेरिकी रक्षा कंपनियों को भारत के साथ काम करने के लिए आमंत्रित किया है।
रक्षा उत्पादों का निर्माण करेंगे
अमेरिकी रक्षा कंपनियां यदि भारत आती हैं तो दोनों देश मिलकर जिन रक्षा उत्पादों का निर्माण करेंगे, वे आधुनिक किस्म के होंगे। इस प्रयास में सफलता मिलने पर भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ते हुए मेक इन इंडिया कार्यक्रम को काफी आगे बढ़ा सकेगा। इसके अलावा भारत रक्षा निर्यात में भी तेजी से आगे बढ़ेगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह दोनों देशों के बीच व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को और बढ़ावा देने के लिए अमेरिका की चार दिवसीय यात्रा पर गए थे। रक्षा मंत्री की यात्रा के दौरान वाशिंगटन में दो महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। दोनों पक्षों के वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों ने सुरक्षा आपूर्ति समझौता, एसओएसए यानि सिक्योरिटी ऑफ सप्लाई एग्रीमेंट और संपर्क अधिकारियों की नियुक्ति के संबंध में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
अमेरिका के रक्षा विभाग ने एक बयान में कहा कि एसओएसए समझौते के जरिए अमेरिका और भारत, राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देने वाली वस्तुओं और सेवाओं के लिए पारस्परिक समर्थन प्रदान करने पर सहमत हैं। इसके तहत दोनों देश राष्ट्रीय सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के मद्देनजर अप्रत्याशित आपूर्ति श्रृंखला व्यवधानों को हल करने के लिए एक दूसरे से आवश्यक औद्योगिक संसाधन प्राप्त कर सकेंगे। अमेरिका अब तक यह समझौता 17 देशों के साथ कर चुका है। भारत 18वां देश है। गौरतलब यह है कि यह समझौता ऐसे समय हुआ है जब भारत के स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस के लिए अमेरिकी फर्म जनरल इलेक्ट्रिक से इंजन मिलने में देरी हो रही है।
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अधिकारियों की नियुक्ति
संपर्क अधिकारियों की नियुक्ति के संबंध में जो समझौता हुआ है, उसके तहत दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी। इस समझौते के तहत भारत इंडो-पैसिफिक कमांड फ्लोरिडा में विशेष ऑपरेशन कमांड व बहरीन में अमेरिकी नेतृत्व वाली बहुराष्ट्रीय संयुक्त समुद्री सेना में तीन कर्नल स्तर के अधिकारियों को नियुक्त करेगा। वैसे इस समझौते की औपचारिकता से पहले ही ऐसे अधिकारियों की तैनाती की जा चुकी है। अपने चार दिवसीय दौरे में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन से मुलाकात की। इस मुलाकात में भारत- अमेरिका के बीच चल रहे रक्षा औद्योगिक सहयोग प्रोजेक्ट्स, आज के समय की उभरती भू-राजनीतिक स्थिति एवं अन्य प्रमुख क्षेत्रीय सुरक्षात्मक मसलों पर चर्चा हुई।
इससे पहले रक्षा मंत्री अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन से मुलाकात कर चुके थे। इस चर्चा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बीते वर्ष भारत-अमेरिका रक्षा औद्योगिक सहयोग रोडमैप में पहचान किए गए क्षेत्रों में भारत में सह-विकास और सह-उत्पादन के अवसरों के संबंध में अधिक जोर दिया। इस अवसर पर पेंटागन द्वारा जारी किए गए बयान में कहा गया कि वे रक्षा औद्योगिक सहयोग के लिए रोडमैप के तहत जेट इंजन, युद्ध सामग्री ग्राउण्ड मोबिलिटी सिस्टम तथा मानव रहित प्लेटफॉर्म सहित भारत की प्राथमिकता वाली सह-उत्पादन की परियोजनाओं को आगे बढ़ाने पर तैयार हो गए हैं। जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन से मुलाकात कर रहे थे उसी दिन अमेरिका की बाइडेन सरकार ने वहां की संसद को एक नोटिफिकेशन के जरिए 443 करोड़ रुपए के रक्षा उपकरणों के डील की अनुमति प्रदान कर दी है।
भारत को बेचने में कोई परेशानी नहीं
इस अनुमति के बाद एंटी-सबमरीन वॉरफेयर सोनोबाँय और उससे संबंधित उपकरण भारत को बेचने में कोई परेशानी नहीं होगी। बाद में रक्षा मंत्री राजनाथ व लॉयड ऑस्टिन के बीच पेंटागन में हुई व्यापक वार्ता के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने इस सौदे पर मुहर लगा दी। इस पनडुब्बीरोधी सामग्री से समुद्र में भारत की ताकत बढ़ेगी और चीन की साजिशों पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी। सोनोबॉय से भारत की एमएच-60 आर हेलीकॉप्टरों से पनडुब्बीरोधी युद्ध संचालन की क्षमता बढ़ेगी। इसी वर्ष मार्च में भारत ने छह एमएच-60 आर हेलीकॉप्टरों का पहला स्क्वाडून तैयार किया था। भारत
ने नौसैनिक हेलीकॉप्टर बेड़े को आधुनिक बनाने के उद्देश्य से 2020 में अमेरिका से 24 लॉकहीड मार्टिन- सिकोरस्की एमएच-60 आर बहुद्देश्यीय हेलीकॉप्टरों की खरीद का आर्डर दिया था।
अमेरिका भारत को एएन- एसएसक्यू-53जी, एएन-एसएसक्यू-62एफ तथा एएन- एसएसक्यू-36 सोनाबाँय देगा। सोनोबॉय तकनीक की खासियत यह है कि शत्रु की नजर में नहीं आता है और लक्ष्य को शीघ्र पता कर लेता है। इसकी तकनीक में लक्ष्य चाहे जितनी अधिक उंचाई पर हो या चाहे जितना नीचे हो, दोनों ही स्थितियों में लक्ष्य को खोजना आसान होता है। सोनोबॉय की लम्बाई तीन फुट और मोटाई पांच फुट होती है। इसको नौसेना के युद्धपोत या हेलीकॉप्टर से समुद्र में छोड़ा जाता है। यह रेडियो ट्रांसमीटर तथा हाइड्रोफोन की मदद से लक्ष्य को शीघ्रता से ढूंढ लेता है। निश्चित है कि इससे नौसेना की ताकत काफी बढ़ेगी। एंटी-सबमरीन वारफेयर सोनोबाँय एक प्रकार के सोनार उपकरण होते हैं जो समुद्र में पानी के अंदर शत्रु की पनडुब्बियों का पता लगाने के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं। इन्हें हवाई जहाज या हेलीकॉप्टर से समुद्र में गिराया जाता है।
ध्वनि तरंगों का उपयोग
पानी में नीचे पहुंचने के बाद ये ध्वनि तरंगों का उपयोग करके पनडुब्बियों की स्थिति का पता कर लेते हैं। इनका उपयोग नौसैनिक अभियानों में शत्रु की पनडुब्बियों को खोजने और उन्हें नष्ट करने के लिए किया जाएगा। इन विशेषताओं के कारण एंटी-सबमरीन वारफेयर सोनोबॉय नौसेना के लिए काफी महत्वपूर्ण उपकरण है। इनसे समुद्र में पनडुब्बियों की सुरक्षा भी मजबूत हो जाएगी। भारत ने अमेरिका से असॉल्ट राइफलें खरीदने का निर्णय लिया है। इसी के तहत भारत ने अमेरिका की हथियार निर्माता कंपनी सिग साँयर को 73000 सिग-716 असॉल्ट राइफलों का आर्डर दिया है।
सिग सॉयर ने कहा कि उसे भारतीय सेना आधुनिकीकरण के प्रयासों में साझीदार बनने पर विशेष गर्व है। भारत ने पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी सीमा विवाद के बीच यह कदम उठाया है। सिग-716 असॉल्ट राइफल की मारक क्षमता 500 मीटर है। इसकी बैरल की लम्बाई लगभग 16 इंच है। इसकी एक मैगजीन में 20 गोलियां लोड होंगी। यह प्रत्येक मिनट में 685 राउंड फायर करती है। 73000 सिग-716 असॉल्ट राइफलों के मिलने के बाद भारत के पास इनकी संख्या 145400 हो जाएगी। इन राइफलों को चीन व पाकिस्तान की लगती सीमाओं पर तैनाती के बाद सीमाओं पर भारतीय सेना और मजबूत हो जाएगी।
डॉ. एल.एस. यादव: (लेखक सैन्य विज्ञान के प्राध्यापक रहे हैं, यह उनके अपने विचार हैं।)
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