Opinion: 26 जुलाई को पेरिस में खेलों के सबसे बड़े महाकुंभ ओलंपिक खेलों का शानदार आगाज होने जा रहा है, जो 11 अगस्त तक चलेगा। 33वें ग्रीष्मकालीन ओलंपिक की ओपनिंग सेरेमनी इस बार काफी विशेष होने वाली है, जो ओलंपिक खेलों के इतिहास में पहली बार किसी नदी पर होगी। दरअसल ओलंपिक खेलों की ओपनिंग सेरेमनी इससे पहले हमेशा किसी विशाल मैदान अथवा स्टेडियम में ही होती रही है लेकिन पहली बार यह भव्य आयोजन पेरिस की सीन नदी पर होगा।
अनेक विशेष तैयारियां
पेरिस की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक धरोहर खेलों के इस महा-उत्सव को और ज्यादा यादगार बनाएगी। 2024 के ओलंपिक खेलों को खास बनाने के लिए पेरिस ने पिछले एक दशक में अनेक विशेष तैयारियां की हैं। फ्रांस की स्पिरिट को दर्शाता पेरिस ओलंपिक का पदक भी बेहद खास तरीके से डिजाइन किया गया है, प्रत्येक पदक में एफिल टावर का असली लोहा लगाया गया है। स्वर्ण पदक का वजन 529 ग्राम, रजत पदक का 525 ग्राम और कांस्य पदक का वजन 455 ग्राम है।
2024 के ओलंपिक खेलों की खास बात यह है कि पेरिस ओलंपिक में इस बार कराटे, बेसबॉल और सॉफ्टबॉल जैसे कुछ खेल ओलंपिक का हिस्सा नहीं होंगे, जो टोक्यो ओलंपिक का हिस्सा थे। इन खेलों को इस बार ओलंपिक से हटा दिया गया है जबकि चार नए खेलों को ओलंपिक में जोड़ा गया है। ब्रेकडांसिंग का ओलंपिक में डेब्यू होगा, वहीं स्केटबोर्डिंग, सर्किंग और स्पोर्ट्स क्लाइंबिंग भी ओलंपिक में शामिल हुए हैं। हालांकि पेरिस ओलंपिक में जो चार नए खेल शामिल हुए हैं, उनमें किसी भी भारतीय एथलीट ने क्वालीफाई नहीं किया है।
महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ रही
2024 के ओलंपिक खेलों में कुल 32 खेलों के अंतर्गत 329 इवेंट्स आयोजित किए जाएंगे। ओलंपिक खेलों की खास बात यह भी है कि इन खेलों में महिलाओं की भागीदारी भी अब लगातार बढ़ रही है। ओलंपिक खेलों में पहली बार महिलाओं की भागीदारी 1900 में पेरिस ओलंपिक में देखी गई थी, जब ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले कुल 997 एथलीटों में से केवल 22 महिलाओं ने ही पांच खेलों (टेनिस, नौकायन, क्रोकेट, घुड़सवारी और गोल्फ) में प्रतिस्पर्धा की थी। उसके बाद 2012 में लंदन में आयोजित हुए ओलंपिक खेल पहली बार इस मायने में ऐतिहासिक रहे थे, जब महिलाओं ने ओलंपिक में आयोजित प्रत्येक खेल स्पर्धा में भाग लिया था।
ओलंपिक खेलों के इतिहास में वह पहला ऐसा मौका था, जब महिलाओं ने किसी भी ओलंपिक के हर खेल में हिस्सा लिया हो। उसके बाद 2016 के रियो ओलंपिक में तो कुल प्रतिभागियों में से करीब 45 प्रतिशत महिला प्रतिभागी थी। 2020 के टोक्यो ओलंपिक में तो महिलाओं की भागीदारी सर्वाधिक रही। उस ओलंपिक खेल में सभी प्रतिभागियों में करीब 49 प्रतिशत महिलाएं शामिल थी। जहां तक पेरिस ओलंपिक में भारत की बात है तो भारत 26वीं बार ओलंपिक में हिस्सा लेगा। पेरिस ओलंपिक में पिछली बार की तुलना में खिलाड़ियों की संख्या कम हुई है। टोक्यो में हुए ओलंपिक में भारत के 124 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था, जबकि इस बार भारत के 118 खिलाड़ी ओलंपिक में हिस्सा लेंगे और पूरी उम्मीद है कि इस बार भारत ओलंपिक में पिछली बार के मुकाबले और ज्यादा पदक हासिल करने में सफल होगा।
इतिहास में भारत अब तक
केंद्रीय युवा कार्यक्रम, खेल, श्रम और रोजगार मंत्री डा. मनसुख मांडविया के मुताबिक पेरिस ओलंपिक में 16 खेलों में भारत के 48 महिला एथलीटों सहित कुल 118 एथलीट भाग ले रहे हैं और इन 118 एथलीटों में से 26 खेलो इंडिया के एथलीट हैं और कुल 72 एथलीट पहली बार ओलंपिक खेलों के लिए क्वालीफाई हुए हैं। ओलंपिक के इतिहास में भारत अब तक कुल 35 पदक जीत चुका है, जिनमें 10 स्वर्ण, 9 रजत और 16 कांस्य पदक शामिल हैं। भारत ने पहली बार 1900 में हुए ओलंपिक में हिस्सा लिया था और टोक्यो ओलंपिक में ही कुल 7 पदक जीते थे। ओलंपिक खेलों के इतिहास में टोक्यो ओलंपिक में भारत का प्रदर्शन सबसे बेहतरीन रहा था। तब 121 वर्षों के ओलंपिक इतिहास में जहां भारत को एथलेटिक्स में पहली बार स्वर्ण पदक हासिल हुआ था, वहीं टोक्यो ओलंपिक में भारत ने उस समय तक के सर्वाधिक पदक जीते थे।
टोक्यो ओलंपिक में महिला हॉकी टीम भले ही पदक जीतने में सफल नहीं हो सकी थी, लेकिन उसने भी जिस जोश और जज्बे के साथ सारे मैच खेले थे, वह भी बेहतरीन था। टोक्यो ओलंपिक इस मायने में भी बेहद खास रहा था कि ओलंपिक की शुरूआत भी भारत ने पहले ही दिन पदक जीतकर की थी और खेलों के आखिरी दिन भी दो पदक जीते थे। आखिरी दिन तो भारत के लिए ऐतिहासिक रहा था, क्योंकि उस दिन भारत ने दो अलग-अलग स्पर्धाओं में स्वर्ण और कांस्य पदक जीतकर एक नया इतिहास रचा था। भारत का ओलंपिक में सबसे ज्यादा छह पदक जीतने का रिकॉर्ड 2012 के रियो ओलंपिक का था, जबकि टोक्यो ओलंपिक में पिछली बार भारत एक स्वर्ण, दो रजत और चार कांस्य पदक जीतने में सफल हुआ था।
भारतीय खिलाड़ियों के प्रदर्शन
जैवलिन थ्रो में जब नीरज चोपड़ा ने स्वर्ण पदक जीता था तो समूचे भारत ने एक स्वर में वन्देमातरम का जयघोष किया था। दरअसल ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों के प्रदर्शन को देखते हुए भारत में खेलों की दशा और दिशा सुधरने की उम्मीदें बलवती हुई और इस बार भी ओलंपिक में नीरज चोपड़ा सहित कई भारतीय खिलाड़ियों से स्वर्णिम प्रदर्शन की उम्मीदें हैं। उम्मीद है कि भारतीय एथलीट दुनिया के सबसे बड़े खेल मंच के पोडियम पर पहुंचने के लिए अपना पूरा दमखम दिखाएंगे और भारत की झोली पदकों से भर देंगे।
भारत को नीरज चोपड़ा के अलावा अपने 21 सदस्यीय निशानेबाजी दल, पुरुष हॉकी टीम, सात्विक साईराज रंकी रेड्डी और चिराग शेट्टी की पुरुष डबल्स बैडमिंटन जोड़ी, दो बार की मुक्केबाजी विश्व चैंपियन निकहत जरीन, बॉक्सिंग में लवलीना बोरगोहेन, कुश्ती में विनेश फोगाट, बैडमिंटन में 2016 के रियो ओलंपिक में रजत और 2020 के टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीत चुकी पीवी सिंधु, भारोत्तोलन में मीराबाई चानू, शूटिंग में सिफ्त कौर समरा, गोल्फ में अदिति अशोक से पदक जीतने की प्रबल उम्मीदें हैं। यदि भारत के स्टार जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने में सफल हो जाते हैं तो वे ओलंपिक में लगातार दो बार स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट बन जाएंगे।
दुनिया में भारत का सिर गर्व से ऊंचा
इसी प्रकार यदि पीवी सिंधु भी पेरिस ओलंपिक में पदक जीतने में सफल हो जाती हैं तो वह भारत की सबसे सफल एथलीट बन जाएंगी। कुल 8 बार स्वर्ण पदक और 1960 में रजत पदक जीत चुकी भारतीय हॉकी से भी भारत को पेरिस ओलंपिक में बहुत उम्मीदें हैं। बहरहाल, अपनी असाधारण प्रतिभा और करोड़ों भारतीयों की दुआओं के साथ ओलंपिक में हिस्सा लेने पेरिस जा रहे भारतीय एथलीटों से पूरे देश को बड़ी उम्मीदें हैं। आशा की जा सकती है कि पेरिस ओलंपिक में भारत और ज्यादा तेजी के साथ चमकेगा और पूरी दुनिया में भारत का सिर गर्व से ऊंचा होगा।
योगेश कुमार गोयल (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके अपने विचार हैं।)