Opinion: दुनिया में एक शब्द गूंज रहा है-एसडीजी। यह शब्द दुनिया को बेचैन कर रखा है, क्योंकि सच्चाई यह है कि 2015 से पहले मिलेनियम डेवलेपमेंट गोल्स-एमडीजी को जिस मनोभाव से एसडीजी-सस्टनेबल डेवलपमेंट गोल्स जब नाम दिया गया था तो बड़े दावे किए गए थे कि हम विश्व के लोग एमडीजी में जो कर पाए वह कर पाए, लेकिन अब हम एसडीजी में इससे भी बड़ा लक्ष्य रखेंगे और काफी कुछ कर गुजरेंगे।

समन्वय की रणनीति को अपनाया
अब पूरा विश्व दवाव में है, संयुक्त राष्ट्र दबाव में है। वर्ल्ड बैंक, एडीबी और दूसरी अंतरराष्ट्रीय महत्व की एजेंसियां दबाव में हैं कि जो दावे हम सबने और जो लक्ष्य निर्धारित किए, वह तो हमसे बहुत दूर हैं। वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत एसडीजी की दिशा में शानदार प्रदर्शन कर रहा है। उसने समन्वय की रणनीति को अपनाया है और यह कोशिश की है कि सतत विकास लक्ष्य को हासिल करने में पुरजोर कोशिश करेंगे, चाहे जितना हमसे दूरी तय हो सके। सतत विकास लक्ष्य को लेकर वैसे तो संयुक्त राष्ट्र में लगातार बैठकें हो रही हैं। जिन चीजों से दुनिया को खतरे हैं और मनुष्यता के खिलाफ हैं, उसके खिलाफ आवाज उठाई जा रही है।

यह कहा जा रहा है की जो विश्व का सामान्य जीवन गुणवत्ता बनाए रखने का पैरामीटर हैं, उसे पर देश ज्यादा ध्यान दे, लेकिन सच यह है कि विश्व के लोग ध्यान नहीं दे रहे हैं। प्रत्येक दिन संयुक्त राष्ट्र के अध्यक्ष, महासचिव और उप-महासचिव के दफ्तर से जारी किए गए पत्रों को ही आंकलित किया जाए तो यह पता चलता है की जिन देशों को संयुक्त राष्ट्र से पत्र भेजे गए उसका जवाब भी समय से नहीं दिया जा रहा है। इस आशय का दस्तावेज कोई भी देश जारी करने से बच रहा है कि उसने क्या जवाब दिया और उसको क्या उपलब्धियां हैं।

एसडीजी इंडिया इंडेक्स 2023-24 जारी
इस बीच एसडीजी इंडिया इंडेक्स 2023-24 जारी की गई है, उसमें एसडीजी इंडिया इंडेक्स की मुख्य विशेषताएं गरीबी उन्मूलन, भूख से मुक्ति, अच्छा स्वास्थ्य और खुशहाली, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, लैंगिक समानता, स्वच्छ जल और स्वच्छता, सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा, अच्छा काम और आर्थिक विकास, उद्योग, नवाचार और इंफ्रास्ट्रक्चर, असमानताओं में कमी, स्थायी शहर और समुदाय, जिम्मेदार उपभोग और उत्पादन, जलवायु के अनुकूल कार्रवाई, भूमि पर जीवन, शांति, न्याय और मजबूत संस्था सभी क्षेत्रों में उल्लिखित की गई हैं। यह भी कहा गया है कि भारत का समग्र स्कोर 2018 में 57 से बढ़कर 2020-21 में 66 था और अब 2023-24 में 71 हो गया।

वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत एसडीजी की दिशा में आगे बढ़ रहा है। भारत ने शहरी विकास और गरीबी उन्मूलन, भूख और शिक्षा, पर्यावरण और शांति, न्याय के लिए समान रूप से ध्यान दिया है। मुख्य बात यह है कि भारतीय संघ में समन्वित व निर्णायक लक्ष्य तक पहुंचना एक कठिन चुनौती है, क्योंकि यहां की सांस्कृतिक और भौगोलिक विविधता लक्ष्य तक पहुंचने में आड़े आती है। फिलहाल भारत की प्रतिबद्धता नीति आयोग की अगुवाई में संचालित है। एसडीजी लक्ष्य पर्याप्त प्रयासों से ही संभव हैं। इसे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ मिलकर हासिल करने की चुनौती है। विगत लगभग एक दशक में जो भी लक्ष्य हासिल किए गए हैं, उसमें सबकी अपनी-अपनी भूमिका है।

80 करोड़ से अधिक लोगों को कवरेज
समग्र स्कोर के हिसाब से यदि जमीनी सच्चाई है तो निश्चय ही भारत एसडीजी हासिल करने में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, ऐसा कहा जा सकता है। सतत विकास लक्ष्य की प्राप्ति में सहायक प्रमुख क्रियाकलापों में प्रधानमंत्री आवास योजना-पीएमएवाई के तहत 4 करोड़ से अधिक घर, ग्रामीण क्षेत्रों में 11 करोड़ शौचालय और 2.23 लाख सामुदायिक स्वच्छता परिसर, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत 10 करोड़ एलपीजी कनेक्शन, जल जोवन मिशन के तहत 14.9 करोड़ से अधिक घरों में नल का जल कनेक्शन, आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत 30 करोड़ से अधिक लाभार्थी, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत 80 करोड़ से अधिक लोगों को कवरेज, प्रधानमंत्री-जन धन खातों के माध्यम से 34 लाख करोड़ रुपए का प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण, कौशल भारत मिशन के तहत 1.4 करोड़ से अधिक युवाओं को प्रशिक्षित और कौशलयुक्त मानव संसाधन बनाने की बात की गई है।

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत युवाओं की उद्यमशीलता संबंधी आकांक्षाओं के लिए 43 करोड़ ऋण स्वीकृत किए गए हैं, जो कुल मिलाकर 22.5 लाख करोड़ रुपए हैं। युवाओं की सहायता के लिए स्टार्ट-अप इंडिया और स्टार्ट-अप- गारंटी योजनाएं, बिजली तक पहुंच के लिए सौभाग्य श्रेष्ठ गिना जाएगा। गीगावॉट ऊर्जा की पहुंच बताई गई है। इंटरनेट डेटा की लागत में 97% की कमी के साथ डिजिटल बुनियादी ढांचे में सुधार, जिसने बदले में वित्तीय समावेशन को सकारात्मक रूप से प्रभावित और बढ़ावा दिया गया है, इत्यादि दावे भारत सरकार के नीति आयोग ने एसडीजी लक्ष्य बताया है। यह सब दावे निश्चय ही उल्लेखनीय हैं लेकिन इसमें जो बुनियादी सफलता है, वह यह है कि सरकार अनुकूल विजुअलाइजेशन के लिए उसे जमीनी स्तर पर देख सकती है। इसी से 71 तक स्कोर बढ़ा है।

बेहतरी की और बढ़ने की जरूरत
नीति आयोग के दावे और उसकी अपनी संतुष्टि चाहे जो भी हो लेकिन अब भारत को बेहतरी की और बढ़ने की जरूरत है। जिन क्षेत्रों में सतत विकास लक्ष्य को लेकर हमारी खामियां हैं क्या भारत सरकार उसके लिए कोई ऐसा मापांक तैयार कर पाया है? प्रश्न यह है कि भारत में जो जनजीवन है कह एसडीजी के दावों के मुताबिक ही प्रगति कर सका है, इसको परखने के लिए कोई अलग से मॉनीटरिंग व्यवस्था सरकार अब तक खड़ी कर सकी है? यदि नहीं तो जो डाटा भारत की ओर से दिया जा रहा है, उसे कल झुठलाने वाले खड़े होंगे तो कोई सरकार के पास जवाब नहीं होगा। भारत को यह दिखाना होगा कि वह कुछ बेहतर कर रहा है तो उसे अपने देश के रक्षा सौदों में निवेश को रोकना होगा। कुछ विशेष न हो तो जो संत महात्मा प्रवचन करके अपने होने का एहसास दिलाते हैं।

उनके माध्यम से जन-जन में प्रेम व शांति बनाने की कोशिश करनी होगी। वे भारत में अपराध कम करने के लिए क्या अवदान दे सकते हैं, इसके लिए एडवाइजरी जारी होनी चाहिए। संत व प्रवचनकर्ता कितने लोगों को मुख्यधारा में शामिल कर शांति स्थापित किए, यह मायने रखता है। भारत रक्षा सौदे में निवेश की जगह शिक्षा व स्वास्थ्य, अच्छे मानव संसाधन तैयार करने हेतु निवेश बढ़ाए, जलवायु सुरक्षा के लिए कार्य करे, इसके लिए राज्य की ओर से विशेष एडवाइजरी यदि बने तो भारत एसडीजी लक्ष्य में कुछ अलग प्रदर्शन कर सकेगा। हमारा लक्ष्य है कि हम नेक हों और विश्व में हमारे अभिषेक हों तो जो 2047 तक विकसित भारत की दिशा में प्रगति का हमारा दावा है, उसके अनुरूप काम करने की जरूरत होगी। इसके लिए भारत के निर्णायक कर्तव्य ही उसे इस स्तर पर ले जा सकते हैं। प्रतिबद्ध कदम, प्रतिबद्ध नेतृत्व व भारत के प्रतिबद्ध नागरिक यदि एक हों, तो भारत का जो आज एसडीजी प्रदर्शन है वह विश्व में श्रेष्ठ गिना जाएगा।
प्रो. कन्हैया त्रिपाठी: (लेखक राष्ट्रपति के विशेष कार्य अधिकारी रहे हैं, वे उनके अपने विचार हैं।)