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Opinion: भारत को दक्षिण अफ्रीका पर मिली खिताबी जीत सिर्फ जीत ही नहीं है, बल्कि यह अपने आप में एक दर्शन है, जिसमें सीखने के लिए बहुत कुछ छिपा है। अगर इस खिताबी जीत को डिकोड किया जाए, तो हमारे सामने बहुत कुछ ऐसा निकलकर आता है, जिसे जीवन में शुरुआत से ही अपनाया जाए, तो यह गेम चेंजर साबित हो सकता है।

Opinion: अनुभवी, मेहनती और युवा सितारों से सजी भारतीय क्रिकेट टीम ने ने गजब का प्रदर्शन किया और 17 साल बाद भारत को टी-20 वर्ल्ड कप का चैंपियन बना दिया। संतुलित और सधी हुई टीम ने शुरुआत से ही जीत का जज्बा दिखाया जो फाइनल तक जारी रहा। यह पहली बार है जब किसी वर्ल्ड कप में भारत अजेय रहा और सभी मैच जीतकर चैंपियन बना है।

वेस्टइंडीज के बारबाडोस में भारत को दक्षिण अफ्रीका पर मिली खिताबी जीत सिर्फ जीत ही नहीं है, बल्कि यह अपने आप में एक दर्शन है, जिसमें सीखने के लिए बहुत कुछ छिपा है। अगर इस खिताबी जीत को डिकोड किया जाए, तो हमारे सामने बहुत कुछ ऐसा निकलकर आता है, जिसे जीवन में शुरुआत से ही अपनाया जाए, तो यह गेम चेंजर साबित हो सकता है। वास्तव में रोहित सेना की इस जीत ने तमाम फील्ड के पेशेवरों को कई बड़े संदेश दिए हैं, जो खिलाड़ियों ने सार्वजनिक जीवन में साबित करके दिखाए हैं।

हम चोकर्स नहीं चैंपियन
भारत ने 11 साल से कोई आईसीसी ट्रॉफी नहीं जीती, हर कोई बोलने लगा था कि भारत चोकर्स है, लेकिन टीम इंडिया ने दिखा दिया कि हम चोकर्स नहीं चैंपियन हैं। 2011 के बाद भारत ने 5 फाइनल खेले, पिछले वनडे वर्ल्ड कप में तो जीतते-जीतते हार गए। टीम को तमाम आलोचनाएं झेलनी पड़ी। इस बार भी रोहित ब्रिगेड ने ऐसा मैच जीता है, जिस फाइनल में हर कोई सोच रहा था कि इंडिया जीत नहीं सकती। अगर देखा जाए तो टी-20 में 30 बॉल पर 30 रन होते ही क्या हैं, लेकिन गेंदबाजों ने, फील्डर्स ने, रोहित शर्मा की बेहतरीन कप्तानी ने यह साबित कर दिया कि जीत के लिए रन नहीं, जज्बा चाहिए।

इसी जीत के जज्बे कारण भारत ने दक्षिण अफ्रीका के जबड़े से जीत छीन कर इतिहास रचा। इस ऐतिहासिक जीत के साथ ही भारत पिछले 17 सालों में 3 वर्ल्ड कप अपने नाम कर चुका है। इनमें 2 टी-20 और 1 वनडे कप शामिल है। अब तक भारतीय क्रिकेट टीम ने 2 वनडे वर्ल्ड कप और 2 टी-20 वर्ल्ड कप अपने नाम कर लिए हैं।

टीम भारत 4 वर्ल्ड कप जीतने वाली दुनिया की तीसरी क्रिकेट टीम बन गई है। इससे पहले सिर्फ ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज के नाम ही ये रिकॉर्ड दर्ज है। ऑस्ट्रेलिया ने 7 बार वर्ल्ड कप जीता है, जबकि वेस्टइंडीज 4 बार वर्ल्ड चैम्पियन रह चुका है। दरअसल, 1983 में कपिल देव की कप्तानी में वेस्टइंडीज को हराकर भारतीय टीम पहली बार वर्ल्ड चैंपियन बनी थी। इसके बाद महेंद्र सिंह धोनी के नेतृत्व में 2007 में पहला टी 20 वर्ल्ड कप जीता। फिर 2011 में वनडे वर्ल्ड कप का खिताब अपने नाम किया।

1983 के बाद यह पहली बार था, जब ट्रॉफी भारत की झोली में आई और अब इस साल 2024 में रोहित ब्रिगेड ने टी-20 वर्ल्ड कप फतह कर ऐतिहासिक जीत दर्ज की और दुनिया में धमक दिखाई। इस जीत की गूंज भारत ही नहीं पूरी दुनिया में सुनाई दी है। टीम में कप्तान रोहित शर्मा, अनुभवी खिलाड़ी विराट कोहली, जसप्रीत बुमराह, अक्षर पटेल, ऋषभ पंत, हार्दिक पंड्या, सूर्य कुमार यादव समेत तमाम खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन किया और बारबाडोस में जीत का झंडा गाड़ा।

चैंपियन या योग्यता के क्या मायने हैं
भारत की यह जीत खासकर पेशेवर लड़ाई लड़ रहे लोगों के लिए जिंदगी बदलने वाली साबित हो सकती हैं, जैसे टीम इंडिया के खिलाड़ियों ने बदलकर दिखाया। देखा जाए तो कोहली लगातार फ्लॉप होते रहे, आलोचना झेलते रहे, शुरआती 7 मैचों की इतनी ही पारियों में कोहली का औसत 11 से भी कम का था, लेकिन सबसे बड़े मौके और सबसे बड़ी जरूरत पर कोहली ने दिखाया कि किसी भी व्यवसाय में चैंपियन या योग्यता के क्या मायने हैं।

बस आपका खुद में भरोसा बने रहना चाहिए। वहीं, जब कप्तान आगे रहकर नेतृत्व करता है और अगर वह एक- दो बार विफल होता भी है, तो पूरी टीम उसकी क्षतिपूर्ति के लिए एकजुट हो जाती है, रोहित ने अपनी कप्तानी, एप्रोच और फैसलों से कुछ ऐसा ही पूरे टर्नामेंट से साबित कर दिखाया। परिणाम से बेपरवाह जल्द विकेट गिरने पर भी रोहित ने शुरुआत से ही आक्रामक एप्रोच पर अमल किया। वह शुरू में सस्ते में आउट हुए, लेकिन संदेश साफ था कि एप्रोच से कोई समझौता नहीं होगा। बाकी खिलाड़ी भी इसी राह पर चले और सफलता ने संदेश पर पूरी तरह मुहर लगा दी।

फाइनल मैच में अफ्रीका को जीत के लिए 30 गेंदों पर 30 रन की दरकार थी और उसके हाथ में पांच विकेट भी शेष थे। यानी मैच पूरी तरह से उसकी मुट्ठी में था, लेकिन भारत को भी अपनी जीत पर पूरा भरोसा था और इसी भरोसे ने भारत को विश्व विजेता बना दिया। टीम भारत की एप्रोच, सोच, कप्तान के फैसलों, जुझारू क्षमता, समग्र प्रयास ने बताया कि हार तब होती है, जब आप इसे मानसिक रूप से स्वीकार कर लेते हैं, अगर आप जीत का जज्बा रखते हैं तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है। बस आपके हौसले बुलंद होने चाहिए। टीम भारत ने अंतिम क्षण तक हौसला नहीं खोया और जीत दर्ज कर दुनिया को दिखा दिया कि जज्बा क्या होता है।

खिताबी जीत ने संदेश दिया
इसके साथ ही भारत ने आलोचकों के मुंह पर भी ताला लगा दिया। जब बात बड़े मिशन, बड़े युद्ध और बड़ा लक्ष्य हासिल करने की आती है, तो यह टीमवर्क से ही हासिल किया जा सकता है। अपने हित (मसलन रिकॉर्ड को तरजीह देकर या बाकी बातों में उलझकर) कुछ हासिल नहीं किया जा सकता। खिताबी जीत ने संदेश दिया, हर शख्स का योगदान बड़े लक्ष्य को हासिल करने में अहम होता है।

भारत का टी-20 विश्वकप का विजेता बनना इसलिए कहीं अधिक बड़ी और हर भारतीय को उत्साहित करने वाली उपलब्धि है, क्योंकि यह 17 वर्षों की लंबी तपस्या के बाद हासिल हुई। भारत ने इसके पहले 2011 में एक दिवसीय विश्वकप का खिताब जीता था। इस बार भारत ने अजेय रहते हुए टी-20 का विश्वकप अपने नाम कर लिया और क्रिकेट प्रेमियों समेत अन्य लोगों को भी उत्साह-उमंग से भर दिया।

इस पर आश्चर्य नहीं कि टी-20 का विश्व विजेता बनते ही रोहित शर्मा, विराट कोहली और रवींद्र जाडेजा ने क्रिकेट के इस प्रारूप से संन्यास लेने की घोषणा कर दी। ऐसा करके उन्होंने न केवल एक उदाहरण स्थापित किया है, बल्कि नई प्रतिभाओं को आगे आने का अवसर भी दिया है। इस खिताब ने रोहित शर्मा और विराट कोहली जैसे सीनियर खिलाड़ियों की वर्षों की साध तो पूरी की ही, कोच राहुल द्रविड़ के गुरु ज्ञान को भी सार्थक कर दिया।

भारत यह खिताब इसलिए अपने नाम कर सका, क्योंकि कप्तान रोहित शर्मा के नेतृत्व वाली टीम जोश और आत्मविश्वास से तो भरी हुई थी, अंतिम क्षण तक हार न मानने के जज्बे से भी लैस थी। इसी कारण वे हार के जबड़े से जीत खींच लाए। इस चमत्कृत करने वाली कामयाबी के लिए पूरी टीम बधाई की पात्र है।
विनोद कौशिक: (लेखक खेल पत्रकार हैं, ये उनके अपने विचार हैं।)

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