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Opinion: अमेरिका में अगला राष्ट्रपति ही अमेरिका सहित अन्य कई देशों के दिशा-निर्देश तय करेगा। चुनाव से पहले अमेरिका में रह रहे भारतीय समुदाय के एक बड़े समूह ने चुनाव में भारतीय अमेरिकी मतदाताओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए एक विशेष प्रयोजन शुरू किया है।

Opinion: अमेरिका में 60वां राष्ट्रपति चुनाव 5 नवंबर को होगा। इस चुनाव से अमेरिका में 47 वां राष्ट्रपति एवं 50वां उपराष्ट्रपति चुना जाएगा। अमेरिका एक शक्ति संपन्न राष्ट्र है और उसकी नीतियां, राजनीति एवं कूटनीति पूरी दुनिया के देशों को प्रभावित करती है, फिर वह राजनीतिक सामरिक अथवा व्यापारिक लेनदेन, समझौते या युद्ध में मदद की बात हो अमेरिका का दखल लगभग सभी मसलों में एक जैसा रहता है।

भारतीय अमेरिकी मतदाताओं की भागीदारी
यह अलग मुद्दा है कि पश्चिम एशिया, चीन, रूस एवं नॉर्थ कोरिया जैसे देश अमेरिका के धुर विरोधी रहे हैं। चीन और रूस के सामरिक, व्यापारिक और एटॉमिक मसलों पर आपस में टकराते रहे हैं। यह गौर करने वाली बात है कि अमेरिका में अगला राष्ट्रपति ही अमेरिका सहित अन्य कई देशों के दिशा-निर्देश तय करेगा। चुनाव से पहले अमेरिका में रह रहे भारतीय समुदाय के एक बड़े समूह ने चुनाव में भारतीय अमेरिकी मतदाताओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए एक विशेष प्रयोजन शुरू किया है। एक नान प्रॉफिटेबल संस्था फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायसपोरा स्टडीज ने एक अभियान चलाया है जिसे इंडो अमेरिकन वोटर्स मेटर नाम दिया गया है जिसमें तमाम भारतवंशियों को एक छत के नीचे लाने का प्रयास किया जा रहा है।

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राष्ट्रपति पद के हकदार
अमेरिका में स्विंग राज्यों (बैटल ग्राउंड) में निवासरत भारतीय मूल के मतदाता राष्ट्रपति चुनाव को खासा प्रभावित करने वाले होते हैं, उनको प्रभावित करने का प्रयास किया जाएगा। अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के 42 लाख लोगों में लगभग 27 से 28 लाख मतदाता नागरिक हैं। ऐसे में भारतीय मतदाताओं की भूमिका राष्ट्रपति चुनाव में अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। राष्ट्रपति के चुनाव में अमेरिका की 538 सीटों पर चुनाव होने हैं। ऐसे में डेमोक्रेटिक पार्टी की कमला हैरिस या रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्ड ट्रंप यदि 270 से ज्यादा सीट जीतते हैं तो वे राष्ट्रपति पद के हकदार हो जाएंगे। चूंकि डोनाल्ड ट्रंप की ज्यादा उम्र है, उन पर लगभग 34 आपराधिक प्रकरण भी न्यायालय में लंबित हैं। ऐसे में उनका पक्ष कमजोर दिखाई देने लगा है। 

एक सर्वे के अनुसार कई राज्यों में डेमोक्रेटिक पार्टी की कमला हैरिस डोनाल्ड ट्रंप से लोकप्रियता में काफी आगे चल रही है। कमला हैरिस के साथ डेमोक्रेटिक पार्टी के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार टीम वाल्स एवं डोनाल्ड ट्रंप के साथ उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सीनेटर जेडी वेंस होंगे, जेडी वेंस की पत्नी उषा चिलकुरी जो भारतीय मूल की है और वे पूरे दमखम के साथ रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवारों का प्रचार-प्रसार कर रही है। अब वह डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से भारतीय मूल के मतदाताओं को अपनी तरफ करने के लिए स्टार प्रचारक बन चुकी हैं। भारतीय मतदाताओं को रिझाने के लिए अलग-अलग भारतीय मूल के लोग सक्रिय हैं। यह तो तय है कि स्विंग स्टेट यानी बैटल-ग्राउंड में भारतीय मूल के मतदाता जिस पार्टी को वोट देंगे, वही पार्टी चुनाव जीतने में सक्षम होगी। 

नुकसान से निपटने हेतु उपाय
डेमोक्रेटिक पार्टी को अमेरिका में उदारवादी दल माना जाता है और उसके मेनिफेस्टो में नागरिक अधिकारों में बढ़ावा, सामाजिक सुरक्षा को सुनिश्चित करना एवं जलवायु परिवर्तन में होने वाले नुकसान से निपटने हेतु उपाय करना शामिल है। दूसरी तरफ रिपब्लिकन पार्टी यानी ग्रैंड ओल्ड पार्टी मानी जाती है और इसके एजेंडे में सरकार की सीमाओं को छोटा करना, हथियार रखने एवं गर्भपात पर लगे प्रतिबंध को तुरंत हटाने की बात शामिल है। डेमोक्रेट पार्टी की कमला हैरिस रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्ड ट्रंप के अलावा राष्ट्रपति चुनाव के मैदाने जंग में स्वतंत्र उम्मीदवार जॉन एफ कैनेडी के भतीजे रॉबर्ट एफ कैनेडी भी चुनाव लड़ रहे हैं। 

अमेरिका के चुनाव के नतीजे से भारत के रिश्तों में थोड़ा बहुत परिवर्तन तो होगा ही, डोनाल्ड ट्रंप के पूर्व कार्यकाल में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं डोनाल्ड ट्रंप के संबंध निजी तौर पर काफी प्रगाढ़ रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप पाकिस्तान में दी जाने वाली अमेरिकी सहायता के खिलाफ रहे हैं। यदि डोनाल्ड ट्रंप जीते तो पाकिस्तान के लिए और बुरे दिन आने की संभावना है। यह अलग बात है कि डोनाल्ड ट्रंप चीन पर नियंत्रण रखने का प्रयास करेंगे। यदि डेमोक्रेट पार्टी की कमला हैरिस चुनाव जीतती है और यदि जो बाईडेन की नीतियों पर चलने का प्रयास करेंगीं तो भारत द्वारा यूक्रेन के विरुद्ध रूस को समर्थन दिए जाने पर विरोध का स्वर जारी रखेंगीं, जो बाईडेन रूस यूक्रेन युद्ध के मध्य भारत द्वारा रूस से कच्चा तेल लिए जाने पर खासा नाराज हुए थे। कमला हैरिस चूंकि भारतीय मूल की हैं, अतः उनकी संवेदना भारत के प्रति भविष्य में ज्यादा होने की आशाएं हैं।
संजीव ठाकुर: (लेखक वरिष्ठ चिंतक, स्तंभकार हैं, यह उनके अपने विचार हैं।)

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