Opinion: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 'लव जिहाद' के मामलों पर लगाम कसने के लिए बेहद सख्त कदम उठाया है। यूपी में अब लव जिहाद के मामले रोकने के लिए एक सख्त कानून यूपी विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन पारित हो गया है। संशोधित कानून में लव जिहाद का अपराध सिद्ध होने पर उम्रकैद की सजा का प्रावधान है। इस कानून में कई अपराधों की सजा बढ़ाकर दोगुनी कर दी गई है। लव जिहाद के तहत कई नए अपराध भी इसमें जोड़े गए हैं।

गलत पहचान बताकर प्यार
लव जिहाद को लेकर बड़े पैमाने पर चर्चा वर्ष 2000 में शुरू हुई, लेकिन आजादी के पहले भी ऐसे कई मामले सामने आ चुके थे। एक समुदाय विशेष के लोग दूसरे समुदाय की लड़कियों को गलत पहचान बताकर प्यार करते हैं और उसके बाद उन लड़कियों पर अत्याचार करके उनका धर्म परिवर्तन कराया जाता है। ऐसे मामलों को लव जिहाद का नाम दिया गया है। इन मामलों को लेकर कई राज्यों की सरकारों ने कड़े कानून बनाने की पहल की है। दरअसल, लव जिहाद दो शब्दों से मिलकर बना है। इसमें लव अंग्रेजी भाषा का शब्द है। इसका मतलब प्यार, इश्क और मोहब्बत होता है।

जिहाद अरबी भाषा का शब्द है। इसका मतलब धर्म की रक्षा के लिए युद्ध करना होता है। आशय साफ है कि जब एक धर्म विशेष को मानने वाला व्यक्ति दूसरे धर्म की लड़कियों को प्यार के जाल में फंसाकर किसी प्रकार का प्रलोभन देकर या विवाह के जरिए धर्म परिवर्तन करवा देता है तो इस पूरी प्रक्रिया को लव जिहाद कहा जाता है। योगी सरकार ने 2017 के विधानसभा चुनाव में 'लव जिहाद' को चुनावी मुद्दा बनाया था। इसे रोकने के लिए 2020 में यूपी विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश पास किया था। 2021 में इसे विधानमंडल से पास कराकर विधिवत कानूनी जामा पहनाया गया था। तब इस कानून के तहत अधिकतम 10 साल की सजा और 50 हजार तक जुर्माना था।

कानून में संशोधन कर सजा व जुर्माना
अब योगी सरकार ने इस कानून में संशोधन कर सजा व जुर्माने की दृष्टि से इसे बहुत मजबूत कर दिया है। इसमें पहले से परिभाषित अपराधों में सजा जहां दोगुनी तक बढ़ा गई है, वहीं नए अपराध भी शामिल किए गए हैं। नए प्रावधानों के तहत धोखे, कपट, बहला-फुसला कर धर्म परिवर्तन कराने व शादी करने पर अब 3 से 10 साल की जेल व 25 हजार रुपये जुर्माना होगा। पहले एक से पांच साल जेल व 15 हजार रुपए जुर्माने की सजा था। नाबालिग, महिला (एससी-एसटी) संग अपराध पर अब पांच से 14 साल की जेल व एक लाख रुपए जुर्माना तथा अवैध ढंग से सामूहिक धर्म परिवर्तन कराने पर सात से 14 वर्ष की जेल तथा एक लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन के लिए फंडिंग को भी इस कानून के तहत अपराध के दायरे में लाया गया है।

इसमें विदेशी संस्थाओं या किसी भी अवैध संस्था से हुई फंडिंग भी शामिल है। अगर कोई धर्म बदलावाने की नीयत से किसी व्यक्ति को जीवन या संपत्ति के भय में डालता है, हमला, बल प्रयोग या शादी करने का वादा करता है या इसके लिए षड्यंत्र करता है तो उसे आजीवन कारावास के साथ जुर्माना भी भरना होगा। न्यायालय पीड़ित के इलाज के खर्च और पुनर्वास के लिए न्यायोचित धनराशि जुर्माने के रूप में तय कर सकेगी। कानून में एक और बदलाव करते हुए घटनाओं की सूचना देने वालों का दायरा भी बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है। पहले पीड़ित व्यक्ति, उसके माता-पिता, भाई-बहन या अन्य रक्त संबंधी, जिससे विवाह या दत्तक संबंध हो वह अपराध की सूचना दे सकता था। अब कोई भी व्यक्ति लिखित तौर पर इसकी सूचना पुलिस को दे सकेगा और उस पर जांच की जा सकेगी।

जमानत के आवेदन पर विचार नहीं
कानून के तहत सभी अपराध गैर-जमानतीय बना दिए गए हैं। इनका विचारण सेशन कोर्ट से नीचे नहीं होगा। बिना लोक अभियोजक को अवसर दिए जमानत के आवेदन पर विचार नहीं किया जाएगा। लव जिहाद के मामले कई राज्यों से सामने आ चुके हैं। उत्तर प्रदेश से भी ऐसे कई मामले प्रकाश में आये हैं। अगर आंकड़ों के आलोक में बात की जाए तो पिछले कुछ समय से उत्तर प्रदेश में लव जिहादी तेजी से सक्रिय हुए हैं। हिंदू लड़‌कियों को प्यार के जाल में फंसा कर उनका धर्मांतरण कराने की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं।

योगी सरकार लव जिहाद के मामलों को लेकर शुरू से ही सख्त रही है। इसके बावजूद मामले लगातारों में बढ़ोत्तरी दर्ज हुई ई है। उप्र में वर्ष 2021 से 30 अप्रैल 2023 तक 427 लव जिहाद के मामले दर्ज हुए हैं। 2021 में पारित धर्मांतरण कानून के जरिए प्रदेशभर में 833 से ज्यादा लोग गिरफ्तार किए गए हैं। पुलिस की पूछताछ में 185 पीड़ितों ने जबरन धर्म बदलवाने की बात कबूली। इनके खिलाफ एक्शन लिया गया।
डॉ. आशीष वशिष्ठ: (लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं ये उनके अपने विचार है।)