Pitru Paksha 2024: हिंदू धर्म-शास्त्रों के अनुसार, पितरों का पितृलोक चंद्रमा के उर्ध्वभाग में होता है। वहीं, दूसरी तरफ अग्निहोत्र कर्म करने से आकाश मंडल के सभी पक्षियों की तृप्ति होती है। पक्षियों के लोक को भी पितृलोक के नाम से जाना गया है। अपने जीवन काल में अच्छे या बुरे कार्य करने पर व्यक्ति को मरणोपरांत कुछ समय के लिए तीन प्रमुख पशुओं की योनि प्राप्त होती है, इसके बाद ही यम नियम अनुसार उन्हें आगे कहां भेजा जाना निश्चित होता है।
पितरों के समान होते हैं ये 3 पशु
(Pitro Ke Saman Hote Hai Ye 3 Pashu)
कुत्ता : हिंदू धर्म-शास्त्रों में कुत्ते को यम का दूत कहा गया है। कहा जाता है कि, कुत्ते को वो ईश्वरीय शक्तियां भी दिखाई देती है, जिन्हें आम मनुष्य आभास भी नहीं कर सकता है। कुत्ते को किसी व्यक्ति के मरने से पहले आभास हो जाता है और उसमें आत्माओं को देखने की क्षमता होती है। माना जाता है कि, नियमित तौर पर कुत्ते को रोटी देते रहने से पितर प्रसन्न रहते है और उनकी कृपा बनी रहती है। साथ ही भैरव महाराज भी प्रसन्न होकर कृपा बनाये रखते है।
गाय : हिंदू धर्म-शास्त्रों में गौ माता में सभी देवी-देवताओं का निवास माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आत्मा 84 लाख योनियों का सफर करके गाय योनि में जन्म लेती है। गाय ही लाखों योनियों का वह पड़ाव है, जिसमें आत्मा आश्रम कर अपनी आगे की यात्रा को प्रारंभ करती है।
हाथी : हाथी को हिन्दू धर्म में भगवान गणेश जी से जोड़ा गया है। यह स्वर्ग के राजा इंद्र देव का वाहन भी है। साथ ही धर्म शास्त्रों में हाथी को पूर्वजों का प्रतीक भी माना गया है। अश्विन मास की पूर्णिमा के दिन गजपूजा व्रत रखने का विधान है। सुख-समृद्धि की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को यह व्रत अवश्य करना चाहिए।
डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। Hari Bhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।