Children Born In Pitru Paksha: वैदिक पंचांग के अनुसार, कुछ दिन बाद पितृपक्ष माह की शुरुआत होने वाली है। पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से लेकर आश्विन माह की अमावस्या तिथि तक रहता है। सनातन धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृपक्ष में पितरों की शांति के श्राद्ध और तर्पण किया जाता है।
पंचांग के अनुसार, इस साल पितृपक्ष की शुरुआत 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक रहने वाला है। ऐसे तो पितृपक्ष के दौरान कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही होता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यदि पितृपक्ष के दौरान संतान पैदा हो जाए तो उसका आचरण, व्यवहार, भाग्य और भविष्य कैसा होता है। आइए इस खबर में विस्तार से जानते हैं।
वैदिक ज्योतिष विशेषज्ञयों के अनुसार, वैसे तो पितृपक्ष के समय कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही होता है, लेकिन इन दौरान जन्म लेने वाले बच्चे बेहद शुभ और भाग्यशाली माने जाते हैं। मान्यता है कि जो बच्चे पितृपक्ष जन्म लेते हैं उन पर पितरों की विशेष कृपा होती है। इस दौरान जन्म लेने वाले बच्चे कुल के पूर्वज माने जाते हैं।
बड़े भाग्यशाली होते हैं ऐसे बच्चे
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जो बच्चा पितृ पक्ष में जन्म लेते हैं वे कुल के पूर्वज होते हैं। मान्यता है कि पितरों की कृपा इन पर हमेशा बनी रहती है, जिससे इनका भविष्य बहुत ही उज्जवल होता है। जो बच्चे पितृ पक्ष में जन्म लेते हैं वे अपने घर परिवार से बहुत ही लगाव रखते हैं। ऐसे बच्चे कम उम्र में ही बहुत ज्यादा समझदार और ज्ञानी हो जाते हैं, जिस कारणवश इन का नाम बहुत दूर-दूर तक फैलता है।
ज्योतिषियों के अनुसार, पितृपक्ष में जन्म लेने वाले बच्चों का भविष्य साफ और उज्जवल होता है। ऐसे बच्चे आगे चलकर खूब धन-दौलत कमाते हैं और करोड़ों के मालिक बन जाते हैं। इस दौरान जन्म लेने वाले बच्चे जिस भी क्षेत्र में काम करते हैं हद से ज्यादा नाम कमाते हैं। लेकिन वहीं कुछ बच्चों की कुंडली में चंद्रमा कमजोर भी होता है। जिसके कारण बच्चा ज्यादा तनाव और अवसाद को झेलना पड़ता है। इसलिए जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा कमजोर हैं उन्हें किसी अच्छे ज्योतिष को दिखाकर उपाय कराने चाहिए।
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डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। Hari Bhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।