Pitru Paksha 2024: वैदिक पंचांग के अनुसार, पितृपक्ष की शुरुआत 17 सितंबर से हो रही है, जो 2 अक्तूबर 2024 तक रहेगी। मान्यता है कि इस दौरान अपने पूर्वजों को याद किया जाता है। साथ ही, उनकी आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध, दान और ब्राह्मण भोजन कराया जाता है। जो लोग पितृपक्ष के दौरान अपने पितरों को श्राद्ध या तर्पण नहीं करते हैं, पितृदेव उनसे नाराज हो जाते हैं। पितृदेव के नाराज होने से घर में पितृ दोष लग जाता है।
मान्यता है कि जिस घर में पितृदोष रहता है उस घर में कई तरह की परेशानियां आती रही हैं। इसलिए पितृपक्ष के दौरान कुछ उपाय भी किए जाते हैं। पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए एक ऐसा मंदिर हैं, जहां दर्शन करने मात्र से ही पितृदोष की समस्या खत्म हो जाती है। तो आइए इस खबर में उस मंदिर के बारे में विस्तार से जानते हैं।
इस मंदिर में दर्शन मात्र से दूर होते हैं पितृदोष
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, उत्तराखंड में महादेव का एक ऐसा मंदिर है, जहां दर्शन मात्र से ही पितृदोष से मुक्ति मिल जाती है। इस मंदिर का नाम दक्षेश्वर महादेव मंदिर है। मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान शिव के दर्शन करने से सारी मनोकामनाएं भी पूरी हो जाती है।
दक्षेश्वर महादेव मंदिर उत्तराखंड के हरिद्वार के कनखल में स्थित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर का नाम माता सती के पिता जी के नाम पर रखा है। जो लोग सच्चे मन से इस मंदिर में पूजा-पाठ करने आते हैं, उन भक्तों के सभी कष्ट-दुख दूर हो जाते हैं। कुंडली से पितृदोष का भी प्रभाव धीरे-धीरे समाप्त हो जाता है।
जानें क्यों खास है पितृपक्ष
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृपक्ष के दौरान लोगों को अपने पूर्वजों की आत्मा केी शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान और विशेष रूप से अनुष्ठान करते हैं। पितृपक्ष में किए गए धार्मिक कार्यों और दान का विशेष फल की प्राप्ति होता है। साथ ही पूर्वजों की आत्मा को शांति भी मिलता है।
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डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। Hari Bhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।