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Famous Ganesh Temples in MP: मध्यप्रदेश में भगवान गणेश के 10 प्रसिद्ध मंदिर हैं। जहां रोजाना हजारों श्रद्धालु पूजा अर्चना के लिए आते हैं। गणेश उत्सव के दौरान यहां विशेष अनुष्ठान हो रहे हैं।

Famous Ganesh Temples in MP: मध्यप्रदेश में भगवान गणेश के 10 प्रसिद्ध मंदिर हैं। जहां दर्शन के लिए देशभर से हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं। उज्जैन का चिंतामन गणेश मंदिर और इंदौर में बड़ा गणपति मंदिर में भगवान गणेश की विशाल प्रतिमा विराजी है। सीहोर के चिंतामन सिद्ध गणेश मंदिर में उल्टा स्वास्तिक बनाने की परंपरा है। गणेश उत्सव के मौके पर आइए जानते हैं...एमपी के इन गणेश मंदिरों की महिमा।  

चिंतामन गणेश मंदिर उज्जैन (Shri Chintaman Ganesh Temple) 
उज्जैन से 6 किमी दूर चिंतामन गणेश मंदिर स्थित है। मान्यता है कि भगवान राम जब सीता के साथ महाकाल वन में आए थे, तब इस मंदिर की स्थापना हुई थी। मनोकामना की पूर्ति के लिए यहां उल्टा स्वास्तिक बनाने की परंपरा है। कुछ लोग मन्नत का धागा भी बांधते हैं और मनोकामना पूर्ण होने पर पैदल चलकर दोबारा दर्शन के लिए आते हैं। इसके बाद मंदिर के पीछे सीधा स्वास्तिक बनाते हैं।  

खजराना गणेश मंदिर इंदौर (Ganesh Temple Khajrana)
इंदौर में खजराना गणेश मंदिर देशभर में चर्चित हैं। यहां गणेश जी की 3 फीट ऊंची प्रतिमा और रिद्धी-सिद्धी के साथ विराजमान हैं। यह मंदिर भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में बुधवार और रविवार को बड़ी संख्या में लोग पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं।   

सिद्धेश्वर गणेश मंदिर छिंदवाड़ा (Sidheshwar Ganesh Temple)
सिद्धेश्वर गणेश मंदिर छिंदवाड़ा जिले में अडवार नदी के तट पर विराजे हैं। यह मंदिर 250 साल पुराना है। मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से पूजा करता, उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है। इस लिए यहां भक्तों का काफी भीड़ लगी रहती है। गणेश चतुर्थी के मौके पर यहां विशेष पूजा की जाती है। 

बेहटा गणेश मंदिर (Behat Ganesh Temple) 
ग्वालियर जिले के बेहटा में स्थित यह गणेश मंदिर बहुत प्रसिद्ध हैं। मान्यता है कि तानसेन ने इसी मंदिर में बैठकर संगीत साधना की थी। इस मंदिर अर्जी वाले श्री गणेश के नाम से जाना जाता है। मान्यता है अर्जी वाले गणेश सबकी मनोकामना पूर्ण करते हैं। गणेश चतुर्थी के मौके पर दूर दूर से भक्त दर्शन करने आते हैं और भगवान गणेश की पुजा करते है।

चिंतामण सिद्ध गणेश मंदिर सीहोर (Chintaman Siddha Ganesh Temple)
मध्य प्रदेश  के सीहोर में गणेशजी का प्राचीन सिद्ध मंदिर स्थित है। चिंतामण सिद्ध गणेश मंदिर के नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर की स्थापना विक्रमादित्य ने की थी। 2000 साल पुराने इस गणेश मंदिर में उल्टा स्वास्तिक बनाने से भक्तों की मनोकामना पूरी होती हैं। इस मंदिर में गणेश जी की आधी मूर्ति जमीन में धंसी है और आधी के दर्शन होते हैं।  

कल्कि गणेश मंदिर जबलपुर (kalki Ganesh Temple)
मध्यप्रदेश  के जबलपुर में कल्कि गणेश मंदिर स्थित है। मदन महल के पास स्थित इस मंदिर में घोड़े पर सवार गणेशजी की प्रतिमा विराजी है। जिन्हें 'कल्कि गणेश' कहते हैं। मान्यता है कि भगवान गणेश कलयुग में प्रकट होकर कल्कि अवतार का साथ देंगे। लोग सुक्तेश्वर गणेश मंदिर के नाम से भी इसे जानते हैं। गणेश उत्सव पर विशेष पूजा होती है।  

पोहरी भगवान गणेश (Pohari Ganesh Mandir)
शिवपुरी जिले के पोहरी किले में भगवान गणेश का प्राचीन मंदिर स्थित है। इसका निर्माण 1737 जागीरदारनी बाला बाई सीतोले ने कराया था। मान्यता है कि यहां नारियल रखकर मनोकामना करने पर जरूर पूरी होती है। कुंवारी कन्‍याएं भी मनचाहे वर के लिए मनोकामना करती हैं। बप्‍पा को यहां श्रीजी कहते हैं। 

महागणपति गणेश मंदिर, भोपाल (Mahaganapati Temple)
मध्यप्रदेश के भोपाल में महागणपति गणेश मंदिर स्थित है। स्टेशन रानी कमलापति के पास स्थित यह मंदिर आठ प्रमुख मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का निर्माण पंडित ब्रजेश तिवारी ने कराया था। करीब 50 साल पुराने इस मंदिर में गणेश जन्मोत्सव में भव्य कार्यक्रम होते हैं। भक्तों की मनोकामना भी पूरी होती हैं।  

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बड़ा गणपति मंदिर, इंदौर  (Bada Ganpati Mandir)
इंदौर में बड़ा गणपति मंदिर स्थित है। यहां स्थित भगवान गणेश की प्रतिमा विश्‍व की सबसे ऊंची मूर्ति है। चोला चढ़ाने में सवा मन घी और सिंदूर लगता है। शृंगार करने में भी आठ दिन का समय लग जाता है। 1875 में बने बड़ा गणपति मंदिर दर्शन के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं। गणेश चतुर्थी पर यहां विशेष पूजा की जाती है। प्रसाद के तौर पर मीठे का प्रयोग किया जाता है।  

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बड़े गणेश मंदिर उज्जैन (Bade Ganeshji Mandir)
उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर के पास स्थित इस मंदिर में भगवान गणेश की विशाल प्रत‍िमा विराजी है। यह गणेश मूर्ति व‍िश्‍व की ऊंची प्रत‍िमाओं में से एक है। जिसे गुड़ और मेथी के दानों से बनाया गया है। मूर्ति के आकार के चलते इन्हें बड़े गणेश के नाम से जाना जाता है। भक्त यहां दूर-दूर से दर्शन के लिए आाते हैं। गणेश चतुर्थी पर यहां भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है। 

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