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Chaitra Navratri 2025 Maa Shailputri Story: आज 30 मार्च 2025, रविवार को चैत्र नवरात्रि का पहला दिन है। इस दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मां शैलपुत्री बेहत शांत और सरल स्वभाव की प्रतीक है। मां शैलपुत्री को वृषोरूढ़ा और उमा के नाम से भी पहचाना जाता है। उन्हें लेकर एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है, जिसे आपको जानना चाहिए।

Chaitra Navratri 2025 Maa Shailputri Story: आज 30 मार्च 2025, रविवार को चैत्र नवरात्रि का पहला दिन है। इस दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मां शैलपुत्री बेहत शांत और सरल स्वभाव की प्रतीक है। उनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल का फूल सुशोभित है। मां की सवारी नंदी बैल है। मां शैलपुत्री को वृषोरूढ़ा और उमा के नाम से भी पहचाना जाता है। उन्हें लेकर एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है, जिसे आपको जानना चाहिए। 

नवरात्रि के पहले दिन जानें मां शैलपुत्री की कहानी
(2025 Navratri First Day Maa Shailputri Story)

पौराणिक कथा के अनुसार, पूर्व जन्म में मां शैलपुत्री का नाम सती हुआ करता था। उस जन्म में वह भगवान भोलेनाथ की पत्नी थी। एक दिन मां सती के पिता प्रजापति दक्ष ने महायज्ञ का आयोजन किया था। इसमें सभी देवी-देवताओं को शामिल होने के लिए निमंत्रण भेजा गया, लेकिन अपनी ही बेटी सती और उनके पति भोलेनाथ को आमंत्रित नहीं किया। लेकिन, माता सती उस आयोजन में भोलेनाथ के बार-बार मना करने पर भी अपनी जिद से अकेली वहां पहुंच गई। 

जब सती अपने पिता के महायज्ञ आयोजन में पहुंची तो, उनका अनादर किया गया। आयोजन में बैठी उनकी सगी बहनों और पिता ने उनका उपहास उड़ाया। एक सिर्फ सती की मां थी, जो उन्हें प्रेम-भाव दे रही थी। लेकिन प्रजापति दक्ष के क्रोध की वजह से वे भी कुछ न कर सकी। सती के पिता और उनकी बहनों ने महादेव का भी तिरस्कार किया। ये सब देखकर सती यह सहन न कर सकी और उसी महायज्ञ की अग्नि में कूदकर स्वयं की आहुति देकर भस्म हो गई। 

माता सती के प्राण त्याग देने की खबर लगते ही भोलेनाथ आयोजन स्थल पर पहुंचे। वे क्रोधित थे। उन्होंने क्रोध में आकर पूरे आयोजन को ध्वस्त कर दिया। बताया जाता है कि, सती ने इसके बाद अगले जन्म में हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया। इसी कारण से उनका नाम शैलपुत्री पड़ा। 

डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। Hari Bhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।
 

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