गुडलक लाता है लाफिंग बुद्धा, उपहार में देना माना जाता है शुभ, जानें इससे जुड़े नियम

(रूचि राजपूत)
Laughing Buddha: भारत में भी आजकल फेंगशुई से जुड़ी चीज़ें मिलने लगी हैं, और बहुत से लोगों का उसमें विश्वास भी है। बाजार में मिलने वाली फेंगशुई की इन चीज़ों में से एक है लाफिंग बुद्धा। चीन में लाफिंग बुद्धा को समृद्धि और खुशी प्रदान करने वाला माना जाता हैं और उन्हें भगवान के रूप में पूजा जाता है। कहा जाता है कि लाफिंग बुद्धा को उपहार में देना शुभ होता है। लाफिंग बुद्धा को लेकर चीन में एक कहानी काफी प्रचलित है। आइए जानते हैं प्रसिद्ध ज्योतिषी धर्मेंद्र दुबे से कौन थे लाफिंग बुद्धा और क्या है उनकी कहानी।
प्रचलित कहानी के अनुसार
भारत में भी लाफिंग बुद्धा को लेकर एक मान्यता है कि लाफिंग बुद्धा को खुद के लिए नहीं ख़रीदा जाता बल्कि इनको किसी और को गिफ्ट के रूप में दिया जाता है। असल में इसके पीछे की वजह भी चीन से जुड़ी हुई है, चीन के लोग मानते हैं कि लाफिंग बुद्धा घर में ख़ुशी-समृद्धि और धन की कमी नहीं होने देते और कोई व्यक्ति इतना स्वार्थी नहीं हो सकता कि वह अपने घर की खुशहाली और धन के लिए लाफिंग बुद्धा ख़रीदे और उसे अपने घर में रखें। लाफिंग बुद्धा की मूर्ति से जुड़ी बहुत सी बातें भारत में काफी प्रचलित है। भारत में ऐसा माना जाता है कि यदि आप या आपके परिवार में अनबन रहती है, आप आर्थिक बोझ से दबे हुए हैं या आपको धन की कमी हो तो आप लाफिंग बुद्धा को लेकर इन समस्याओं से निजात पा सकते हैं।
चीन में प्रचलित कहानियों के अनुसार भगवान बुद्ध के एक भिक्षुक अनुयाई थे जिनका नाम हनोई था। उनको घूमना-फिरना, हंसी-मजाक करना और लोगों को हंसाते रहना काफी पसंद था। वह जहां भी भिक्षा मांगने जाते थे, लोग उनके मोटे पेट और बड़ा सा शरीर देख कर खूब मजाक बनाते थे। जिसके चलते "हनोई" ने लोगों को हंसाना और खुशियां बांटना ही अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया।
वास्तुशास्त्र के जैसे ही फेंगशुई में ऐसी कई चीज़े उपलब्ध हैं जिससे हम अपने घर या दुकान में उत्पन्न हुए दोष को दूर कर सकते हैं। लाफिंग बुद्धा उन्हीं में से एक हैं। घर में लाफिंग बुद्धा को रखने से सम्पन्नता आती है। इनकी मूर्ति को हम अपने घर, दूकान में रख सकते हैं।
इनको घर या दुकान में रखने के कुछ नियम
लाफिंग बुद्धा की मूर्ति जमीन से ढाई फ़ीट ऊपर और मुख्य दरवाजे के सामने होनी चाहिए।
मूर्ति का मुख हमेशा प्रवेश द्वार की ओर होना चाहिए। इससे मूर्ति अधिक क्रियाशील रहती है।
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