हिमाचल का रहस्यमयी मंदिर: आकाशीय बिजली से होता है भोलेनाथ का अभिषेक, जानें बिजली महादेव मंदिर का चमत्कार

Bijli Mahadev Mandir Himachal
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हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में स्थित बिजली महादेव मंदिर।
Himachal Famous Temple : हिमाचल प्रदेश में कुल्लू से तकरीबन 20 किमी दूर समुद्र तल से 7874 फीट की ऊंचाई पर बिजली महादेव का मंदिर है। मान्यता है कि यहां हर साल आकाशीय बिजली गिरती है, लेकिन शिवलिंग और श्रद्धालुओं को कोई नुकसान नहीं होता।

Himachal Famous Temple : हिमाचल प्रदेश में अपनी प्राकृतिक सुंदरता और रमणीय स्थलों के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन हम आज एक ऐसे चमत्कारिक शिव मंदिर के बारे में बताएंगे, जहां इंद्रदेव हर साल आकशीय बिजली से भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करते हैं, लेकिन आकाशीय बिजली से न शिवलिंग खंडित होता है और न मंदिर और श्रद्धालुओं को कोई नुकसान होता है।

हिमाचल प्रदेश में कुल्लू से करीब 20 किमी दूर प्राचीन शिव मंदिर है। समुद्र तल से 7874 फीट की ऊंचाई पर मथान स्थित यह मंदिर अपनी सुंदरता और विहंगम दृश्य से श्रद्धालुओं को बरबस ही अपनी ओर खींच लेता है। वैसे तो हर सीजन में यहां श्रद्धालु पहुंचते हैं, लेकिन सावन के महीने में शिवभक्तों की खासी भीड़ रहती है।

बिजली महादेव मंदिर में बिजली गिरने का कोई समय निर्धारित नहीं है। कुछ लोग कहते हर 12 साल में यह चमत्कार होता है, जबकि कुछ लोगों का मानना है कि इंद्रदेव हर साल आकाशीय बिजली से भोलेनाथ का अभिषेक करते हैं। इस वर्ष भी पिछले दिनों यह चमत्कार देखने को मिला। सोशल मीडिया पर इसका वीडियो वायरल है।

बिजली महादेव मंदिर का महत्व

  • बिजली महादेव मंदिर का विशेष महत्व है। इसमें स्थित शिवलिंग 72 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इसे भगवान शिव का पवित्र निवास मानते हैं। कुल्लू घाटी में स्थित यह मंदिर अपनी अद्वितीय वास्तुकला और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को समेटे हुए है। जो घाटी के मनोरम दृश्यों के साथ मिलकर इसे हिमालय पर्वतमाला का दर्शनीय स्थल बनाती है।
  • बिजली महादेव मंदिर का जिक्र पुराणों में भी है। मान्यता है कि मंदिर का निर्माण पांडवों ने वनवास के दौरान कराया था। हालांकि, इसका वर्तमान स्वरूप 20वीं शताब्दी का है।
  • मंदिर के स्थापना की दिलचस्प कहानी है। किंवदंती है कि कुलंत नाम राक्षस था, जो व्यास नदी के प्रवाह को रोककर घाटी को जलमग्न करना चाहता था। ग्रह में मौजूद हर जीव को वह पानी में डुबोकर मारना चाहता था।
  • लोगों को मारने के लिए कुलंत राक्षस ने ड्रैगन का रूप धारण किया। जिसका अंत करने के लिए भगवान शिव खुद यहां आए थे। कुलंत राक्षस के बध के बाद भक्तों ने शिव मंदिर का निर्माण कराया।

आज भी भक्तों की रक्षा करते हैं भोलेनाथ
मान्यता है कि आकाशीय बिजली के प्रभाव से मंदिर में स्थित शिवलिंग चूर-चूर हो जाता है, लेकिन पुजारी शिवलिंग के हर टुकड़े एकत्रित कर नमक, मक्खन और सत्तू के लेप से पुन: जोड़ देते हैं। दिव्य शक्ति के चलते शिवलिंग पुन: पहले जैसा ठोस बन जाता है। ऐसा लगता है कभी कुछ हुआ ही नहीं। पुराने लोगों का मानना है कि भक्तों की रक्षा के लिए आज भी भोलेनाथ मौजूद हैं। आकाशीय बिजली त्रिशूल से होते हुए सीधे शिवलिंग पर जाती है और वह बेअसर हो जाती है। यानी भक्तों को होने वाला कष्ट भगवान खुद झेलते हैं।

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