(कीर्ति राजपूत)
Garud Born Story: धर्मशास्त्रों के अनुसार, गरुड़ भगवान विष्णु का वाहन हैं. प्राचीनकाल में गरुड़ की एक ऐसी प्रजाति थी, जो आकार में बहुत विशाल और ताकतवर होते थे. पक्षियों में गरुड़ को सर्वश्रेष्ठ माना गया है. गरुड़ थे तो पक्षी, लेकिन उनका जन्म पुरुष कुल में हुआ था. वह युगों पहले जन्मे और उनके अच्छे कार्यों व समर्पणता के कारण भगवान ने उन्हें अमरत्व प्रदान किया. उनके जन्म के बारे में एक दिलचस्प कथा है. पढिए-
ब्रह्माजी के मानस पुत्र दक्ष प्रजापति के यहां विनिता (विनता) नाम की कन्या हुई, जिसका विवाह कश्यप मुनि के साथ हुआ था. गर्भवती होने के बाद विनिता को जब प्रसव-पीड़ा हुई तो उसने दो अंडे दिए. एक अंडे से अरुण का जन्म हुआ और दूसरे से गरुड़ पैदा हुए. अरुण सूर्यदेव के वाहन बन गए, वहीं गरुड़ को बाद में स्वयं ईश्वर (भगवान विष्णु) के वाहन होने का सौभाग्य मिला.
जनमानष में गरुड़ और सांप की दुश्मनी बताई जाती है, और वास्तव में है भी. इस बारे में पौराणिक कथा यह है कि, कश्यप मुनि की कई पत्नियां थीं, जिनमें एक विनता और एक कद्रू थी. कहने को तो दोनों बहनें थीं, लेकिन कद्रू विनता से ईर्ष्या रखती थी. दोनों को संतानोत्पत्ति अंडों से हुई थी. कद्रू ने हजार सर्पों को जन्म दिया था. एक बार कद्रू ने विनता को क्रीड़ा में कपटपूर्वक हरा दिया और विनता को उसकी दासी बनकर रहना पड़ा.
जब गरुड़ को यह पता चला कि उनकी माता को उनकी ही बहन ने दासी बना रखा है तो गरुड ने दासत्व से मुक्ति के लिए शर्त पूछी. तब सर्पों और उनकी मां कद्रू ने कहा कि, तुम हमारे लिए अमृत ला दो. गरुड़ अमृत लेने के लिए तुरंत स्वर्ग लोक पहुंचे, वहां उन्होंने देवताओं को हराकर अमृत कलश छीन लिया. गरुड़ अमृत लेकर सर्पों के पास गए और अपनी मां को कद्रू के दासत्व से मुक्त कराया. भगवान की माया ऐसी रही कि अमृत को वहां से तत्काल इंद्रदेव लेकर गायब हो गए, फिर सर्पों ने खीज मिटाने के लिए गरुड पर हमला किया. गरुड ने पलटवार कर उन्हें दंडित किया. तभी से गरुड और सांपों में दुश्मनी हो गई.