Importance of Belpatra: (आकांक्षा तिवारी) सावन का महीना शुरु हो गया है और इस महीने का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह हिन्दू कैलेण्डर का 5वां महीना होता है। सावन महीना भगवान शिव पूजा-अर्चना और साधना के लिए समर्पित है। धार्मिक कथाओं के अनुसार सावन के महीने में भगवान शिव और माता पार्वती पृथ्वी पर निवास करते हैं। इसलिए सावन के महीने में शिवलिंग की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और सभी मनोकामनाएं जल्द पूरी होती हैं। शिवलिंग की पूजा करते समय जल और बेलपत्र चढ़ाया जाता है। ये तो हर कोई जानता है, लेकिन इसके पीछे का क्या कारण है। क्या आप जानते हैं?
शिव पुराण के अनुसार बेलपत्र भगवान शिव को चढ़ाने से एक करोड़ कन्यादान के बराबर फल मिलता है। मान्यता है कि बेलपत्र और जल से भगवान शिव का मस्तिष्क शीतल रहता है। वहीं पर पुराणों और वेदों में बेलपत्र का धार्मिक, औषधीय और सांस्कृतिक महत्व बताया गया है। मान्यता है कि बेलपत्र से ब्रह्मांड का निर्माण हुआ है। वहीं समुद्र मंथन के दौरान हलाहल नाम का विष निकला था। विष का प्रभाव विश्व में ना पड़े इसलिए महादेव ने विष का पान किया था। जिसके बाद विष का प्रभाव को कम करने के लिए देवी- देवताओं ने महादेव को बेलपत्र चढ़ाना शुरू कर दिया। इसके साथ ही उन्हें जल अर्पित किया था। जिससे महादेव को राहत मिली और वे प्रसन्न हुए। तभी से भगवान शिव पर जल और बेलपत्र चढ़ाने की प्रथा चल रही है।
बेलपत्र चढ़ाने का सही तरीका
- बेलपत्र को शिवलिंग पर हमेशा उल्टा चढ़ाना चाहिए, इसका मतलब बेलपत्र का चिकना भाग शिवलिंग के ऊपर होना चाहिए।
- बेलपत्र में तीन पत्तियां होनी चाहिए और पत्तियां कटी या टूटी हुई नहीं होनी चाहिए और उनमें कोई छेद भी नहीं होना चाहिए।
- बेलपत्र चढ़ाते समय जल की धारा भी चढ़ाएं, ध्यान रखें कि बेलपत्र बिना जल के नहीं चढ़ाना चाहिए।
- बेलपत्र को अनामिका, अंगूठे और मध्यमा उंगली की सहायता से ही चढ़ाना चाहिए।
- ध्यान रखें कि अष्टमी, नवमी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, अमावस्या और सोमवार के दिन बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए।