Jitiya 2024 Vrat Date: आज या कल कब है जितिया व्रत? माताएं कब रखेंगी निर्जला व्रत, जानें शुभ मुहूर्त से लेकर सब कुछ

Jitiya 2024 Vrat Date: पंचांग के अनुसार, जितिया व्रत आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। मान्यता है कि इस दिन माताएं अपने संतान के सुखी जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। जितिया का व्रत गंधर्व राजा जीमूतवाहन भगवान को समर्पित हैं। इस दिन जीमूतवाहन भगवान की पूजा विधि-विधान से किया जाता है। साथ ही उनका आशीर्वाद पाने के लिए निर्जला व्रत भी रखा जाता है। लोगों के मन में जितिया व्रत को लेकर कन्फ्यूजन बना हुआ है कि इस साल जितिया व्रत आज यानी 24 सितंबर को है या फिर कल यानी 25 सितंबर को है। तो आज इस खबर में इसी कन्फ्यूजन को दूर करेंगे।
कब है जितिया व्रत
वैदिक पंचांग के अनुसार, जितिया व्रत आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को होती है। ऐसे में जितिया व्रत आज यानी 24 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 38 मिनट से शुरू हो रहा है। वहीं अष्टमी तिथि की समाप्ति अगले दिन यानी 25 सितंबर दिन बुधवार को दोपहर 12 बजकर 10 मिनट पर होगी। बता दें कि सनातन धर्म में उदया तिथि का मान्य होता है, इसलिए उदया तिथि के अनुसार, जितिया व्रत 25 सितंबर दिन बुधवार को होगा।
जितिया व्रत 2024 मुहूर्त
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन जीमूतवाहन भगवान की पूजा सुबह में होगी। भगवान जी की पूजा करने के लिए माताएं ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान ध्यान आदि करें। व्रती को व्रत के पूर्व फल, मिठाई, चाय या पानी आदि का सेवन करना होता है, ताकि व्रत के दिन सूर्योदय से लेकर पारण तक निर्जला व्रत रख सकें। यह व्रत बहुत ही कठिन माना जाता है। तो आइए इस दिन के शुभ चौघड़िया मुहूर्त के बारे में जानते हैं।
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह के 4 बजकर 36 मिनट से लेकर 5 बजकर 23 मिनट सुबह
सूर्योदय- सुबह 6 बजकर 11 मिनट
अभिजीत मुहूर्त - नहीं है।
लाभ मुहूर्त - उन्नति मुहूर्त: 06:11 AM से 07:41 AM
अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त: 07:41 AM से 09:12 AM
शुभ-उत्तम मुहूर्त: 10:42 AM से 12:12 PM
चर-सामान्य मुहूर्त: 03:13 PM से 04:43 PM
लाभ-उन्नति मुहूर्त: 04:43 PM से 06:14 PM
जितिया व्रत पारण मुहूर्त
जितिया का व्रत रखने वाली माताएं 26 दिसंबर दिन गुरुवार को सुबह 6 बजकर 12 मिनट के बाद पारण कर सकती हैं। क्योंकि उस समय तक सूर्योदय हो चुका होगा। पंचांग के अनुसार, जितिया व्रत का पारण सर्वार्थ सिद्धि योग, परिघ योग और पुनर्वसु नक्षत्र योग में होगा।
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डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। Hari Bhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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