Sita Rama Ayodhya Lanka Journey: रामनवमी पर 17 अप्रैल को देशभर में भगवान राम के जन्मोत्सव मनाया जाएगा। श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में व्यापक तैयारियां की गई हैं। अयोध्या राम मंदिर में दोपहर 12 बजे रामलला का सूर्य तिलक किया जाएगा।
अयोध्या राम मंदिर के अलावा देश के उन स्थानों पर भी राम जन्मोत्सव की भव्य तैयारी है, जहां भगवान राम अयोध्या से श्रीलंका जाते समय ठहरे थे। रामनवमी की पूर्व संध्या में भगवान राम से जुड़े ऐसे स्थलों के ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व से रूबरू कराते हैं। भारत के आलावा कुछ स्थल नेपाल और श्रीलंका में स्थित हैं।
अयोध्या से श्रीलंका तक भगवान राम से जुड़े तीर्थ स्थल
- तमसा नदी : अयोध्या से निकलने के बाद भगवान राम तमसा नदी पर कुछ देर के लिए रुके थे। अयोध्या से इसकी दूरी 20 किमी है। भगवान राम ने नाव के जरिए तमसा नदी पार की थी।
- शृंगवेरपुर तीर्थ : प्रयागराज से तकरीबन 20 किमी दूर स्थित शृंगवेरपुर तीर्थ निषादराज का गृह राज्य था। भगवान ने गंगा पार कराने यहीं पर केवट से कहा था। शृंगवेरपुर को लोग अब सिंगरौर के नाम से जानते हैं।
- कुरई : गंगा पार करने के बाद भगवान श्रीराम कुरई में कुछ समय गुजारा था। यह स्थल पर उत्तर प्रदेश में स्थित है।
- प्रयागराज : कुरई के बाद भगवान राम भाई लक्ष्मण और जानकी के साथ प्रयागराज पहुंचे थे।
- चित्रकूट: प्रयागराज के बाद भगवान राम चित्रकूट पहुंचे। यहां उन्होंने अपने वनवास काल का सर्वाधिक तकरीबन 11 साल बिताए थे। राजा भरत भगवान राम को लाने के लिए चित्रकूट ही पूरे परिवार के साथ आए थे। जिस जगह पर भरत मिलन हुआ था, उसे भरत कूप से जानते हैं।
- सतना: चित्रकूट के बाद भगवान राम अत्रि ऋषि के आश्रम आए थे। टमस नदी के किनारे स्थित इस आश्रम के आसपास बड़ा शहर डेलवप हो गया है।
- दंडकारण्य : चित्रकूट से निकलकर भगवान राम दंडकारण्य पहुंचे थे। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के कुछ इलाकों को मिलाकर ही दंडकारण्य कहते हैं।
- पंचवटी नासिक : दण्डकारण्य के बाद भगवान राम अगस्त्य मुनि के आश्रम पहुंचे थे। जो नासिक के पंचवटी क्षेत्र में गोदावरी के किनारे था। यहां लक्ष्मण ने शूर्पणखा की नाक काटी थी।
- सर्वतीर्थ : यह स्थल भी नासिक क्षेत्र में है। रावण ने जानकी का हरण और गिद्धराज जटायु का वध किया था। लक्ष्मण रेखा इसी तीर्थ पर थी।
- पर्णशाला: आंध्रप्रदेश में खम्मम जिले के भद्राचलम में रामालय से 1 घंटे की दूरी पर स्थित है। पर्णशाला को लोग अब पनसाला भी कहते हैं।
- तुंगभद्रा: भगवान राम माता सीता की खोज में कावेरी नदी और तुंगभद्रा क्षेत्र के कई स्थलों पर गए थे।
- शबरी आश्रम: पम्पा नदी के पास माता शबरी का आश्रम है। केरल में स्थित इस आश्रम में भी भगवान राम गए थे और उनके जूठे बेर खाए थे।
- ऋष्यमूक पर्वत: मलय पर्वत और चंदन वनों को पार कर भगवान राम की हनुमान और सुग्रीव से भेंट ऋष्यमूक पर्वत में ही हुई थी। यहां पर उन्होंने बाली वध भी किया।
- कोडीकरई: श्रीलंका कूच से पहले भगवान राम की सेना का पड़ाव कोडीकरई में था। इसके बाद रामेश्वरम कूच किया था।
- रामेश्वरम: श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई से पहले रामेश्वरम में भगवान शिव की पूजा की थी। रामेश्वरम में श्रीराम द्वारा स्थापित शिवलिंग आज भी है।
- धनुषकोडी: रामेश्वरम के बाद भगवान राम धनुषकोडी में रूके थे। यहां से रामसेतु के निर्माण की शुरूआत की थी।
- नुवारा एलिया पर्वत: श्रीलंका की नुआरा एलिया पहाड़ियों पर रावण फॉल, रावण गुफाएं, अशोक वाटिका, विभीषण महल के अवशेष मौजूद हैं। इनकी पुरातात्विक जांच से रामायण काल की उन सभी ऐतिहासिक घटनाओं की पुष्टि होती है, जिनका रामायण में जिक्र है।