(कीर्ति राजपूत)
Makar Sankranti 2024 : मकर संक्रांति नई फसल के आगमन और ऋतु के बदलाव का एक संकेत माना जाता है, मकर संक्रांति पर सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करता है, इसलिए भी यह दिन शुभ माना जाता है। हर साल 12 संक्रांतियां आती है, इस दिन दान पुण्य का विशेष महत्व बताया गया है। इस बार मकर संक्रांति पर बेहद शुभ संयोग बन रहें हैं इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा।
रवि योग में मकर संक्रांति
मकर संक्रांति पर इस साल रवि योग बन रहा है, जिस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है और रवि योग मतलब सूर्य का योग माना जाता है। इस वजह से इस साल यदि हम मकर संक्रांति पर सूर्य पूजन करते हैं तो हमें इसका दोगुना लाभ मिलेगा।
संक्रांति पर जरूर करें
मकर संक्रांति पर रवि योग बन रहा है, जिस के चलते हमें सुबह स्नान आदि से निवृत होकर सूर्य को तांबे के लोटे में जल अर्पित करना चाहिए। साथ ही इस दिन सूर्य देव से संबंधित चीजों का दान भी देना चाहिए। किसी भी मंदिर में ब्राह्मण या जरूरतमंद को तांबे के बर्तन, घी, गुड़, लाल रंग के वस्त्र और लाल रंग की मिठाई आदि देना चाहिए।
जरूर करें सूर्य पूजा
आप अपने जीवन में किसी भी प्रकार के सफलता पाना चाहते हैं तो मकर संक्रांति पर सूर्य पूजा अवश्य करें, ऐसा इसलिए क्योंकि इस बार मकर संक्रांति पर रवि योग बन रहा है। जिसके चलते यदि इस दिन सूर्य की विधि विधान के साथ पूजा करते हैं तो सारी समस्याओं के समाधान मिल सकते हैं। इसके साथ-साथ हर क्षेत्र में सफलता भी प्राप्त हो सकती और स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा। ऐसा माना जाता है कि रवि योग में यदि सूर्य देव की पूजा की जाए तो वे जल्दी ही प्रसन्न होते हैं और हमारे ऊपर अपना आशीर्वाद बनाए रखते हैं।
शुभ मुहूर्त
दिनांक 15 जनवरी 2024
मकर संक्रान्ति पुण्य काल - सुबह 06:41- शाम 06:22
मकर संक्रान्ति महा पुण्य काल - सुबह 06:41 - सुबह 08:38
सूर्य पूजन विधि
मकर संक्रांति के दिन उठकर गंगा नदी या फिर किसी भी पवित्र नदी में स्नान करें। यदि संभव ना हो तो गंगाजल या किसी पवित्र नदी का जल अपने नहाने के पानी में मिलाकर या फिर तुलसी की एक मंजरी पानी में मिलाकर स्नान करें।
इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान की पूजा करें।
इसके बाद सूर्य देव को तांबे के लोटे में कुमकुम, अक्षत, मिश्री और लाल रंग का फूल मिला कर सूर्य देव के 12 नाम का जाप करते हुए अर्घ्य दें।
उसके बाद उसी स्थान पर खड़े होकर तीन परिक्रमा लगा लें।
ऐसा करना सूर्य देव की परिक्रमा लगाने के समान माना जाता है। इसके बाद आदित्य ह्रदय स्रोत का पाठ करने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं और मनचाहा वर प्रदान करते हैं।