Neem Karoli Baba: महान संत नीम करोली बाबा को हनुमान अंश माना गया है। उनके अनुयायियों के द्वारा उन्हें यह सम्मान प्राप्त है। उत्तराखंड स्थित कैंची धाम में बाबा नीम करोली का समाधी स्थल है, जहां उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश समय ईश्वर भक्ति में निकाल दिया। बाबा नीम करोली ने महज 17 साल की उम्र में ही परम ज्ञान की अनुभूति कर ली थी, जिसके बाद उन्होंने जनमानस को इससे लाभान्वित किया। आज उनके इस धरती पर न होने के बाबजूद उनकी सीखें लोगों के दिलों की गहराई को छू रही है। बाबा नीम करोली ने हृदय को शुद्ध करने की सीख भी दी। जानते है इस बारे में उनका क्या कहना था-
हृदय को शुद्ध कैसे करें?
हर व्यक्ति के मन में व्यभिचार जन्म लेते रहते हैं। ऐसी स्थिति में वह एक समय आने पर स्वयं को मानसिक तनाव से ग्रसित पाता है। इससे उसका रोजमर्रा का जीवन नकारात्मक तौर पर प्रभावित होने लगता है। इसलिए यदि आपको अपने हृदय को शुद्ध रखना है तो नीम करोली बाबा के अनुसार, हमेशा सत्य बोलो।
कंबल चढ़ाते है बाबा के भक्त
सोशल मीडिया पर आपने नीम करोली बाबा की अधिकांश तस्वीरें कंबल ओढ़े ही देखी होंगी। आपको आश्चर्य होगा कि, जब भी लोग उत्तराखंड स्थित कैंची धाम जाते है, तो बाबा करोली को कंबल अर्पित करते है। बता दे 15 जून 1964 को बाबा ने अपने मित्र पूर्णानंद के साथ मिलकर कैंची धाम स्थापित किया था।
मालपुए का लगाया जाता है भोग
प्रतिवर्ष 15 जून को कैंची धाम स्थापना दिवस मनाया जाता है। इस दिन बाबा करोली के भक्त उन्हें मालपुए का भोग लगाते है। बता दें, हर साल स्थापना दिवस पर मथुरा से कई संख्या में कारीगर कैंची धाम आकर मालपुए बनाते है। धाम में कई देवी-देवताओं की मूर्तियां है, जिन्हें 15 जून को ही स्थापित किया गया है।