Pitru Paksha 2024: 18 सितंबर 2024, बुधवार को इस वर्ष का पहला श्राद्ध रखा जाएगा। पितृ पक्ष में पुत्र ही पिता का श्राद्ध-कर्म करता है। शास्त्रों में बताया गया है, पितृ ऋण से मुक्ति पाने के लिए ब्राद्ध-कर्म करना सर्वश्रेष्ठ होता है। श्राद्ध-कर्म (Śrāddha-Karm) करने से ही पितृ ऋण से मुक्ति प्राप्त होती है। लेकिन सवाल यह है कि, जो लोग निस्संतान थे, उन्हें तृप्ति किस तरह मिलेगी? हिंदू धर्म शास्त्रों में इसे लेकर भी कुछ नियम निर्धारित किये गए है। चलिए जानते है- 

निसंतान स्त्री-पुरुष का श्राद्ध कैसे करें? 
(Nisantan Stree Purush Ka Shradh Kaise Kare) 

हिंदू धर्म-शास्त्रों में बताया गया है कि, निसंतान स्त्री-पुरुष का श्राद्ध उसके सगे भाइयों में से किसी का भी पुत्र कर सकता है। यदि भाइयों में केवल एक भाई विवाहित हो और उसके कोई संतान न हो, तो ऐसी स्थिति में उस महिला या पुरुष का श्राद्ध दूसरा अविवाहित भाई कर सकता है। लेकिन यहां ध्यान रखें, भाई-भाभी के बच्चे और महिला के भाई श्राद्ध नहीं कर सकते है। 

इन बातों का रखें विशेष ध्यान  
(In Bato Ka Rakhe Dhyan)

  • - पितृ पक्ष में सूर्य उदय के साथ स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके पश्चात एक लोटा जल पीपल के पेड़ पर अर्पित करें। 
  • - पितृ पक्ष में जिसका भी श्राद्ध कर रहे हैं, उसकी पसंद का भोजन बनाना शुभ होता है। 
  • - ब्रह्म भोज से पहले गाय, कुत्ते, पक्षी को उनके हिस्से का भोजन करवाएं। इसके बाद ही संकल्प के साथ ब्राहमण भोज कराएं।
  • - गाय, कुत्ते, पक्षी या ब्राह्मण भोजन का संकल्प दक्षिण मुख कर करें। इसी दिशा में पितरों का निवास माना गया है। 
  • - श्रीहरि के पसीने से तिल और रोम से कुश की उत्पत्ति मानी गई है। इसलिए तर्पण में नित्य तिल और कुश का उपयोग करें। 
  • - अंगूठे से ही पिंड पर जलांजलि समर्पित करें। मान्यता है कि अंगूठे से दी गई जलांजलि सीधे पितरों को प्राप्त होती है। 

डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। Hari Bhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।.