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Pradosh Vrat 2024: वैदिक पंचांग के अनुसार, अक्टूबर माह में पड़ने वाला प्रदोष व्रत का बहुत ही विशेष महत्व है, क्योंकि यह व्रत मंगलवार को पड़ेगा। तो आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

October Pradosh Vrat 2024 Date: सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत ही विशेष है। प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है, इसलिए इस दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा विधि-विधान से की जाती है। मान्यता है कि जो जातक प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को सच्चे मन से पूजा करता है साथ ही इस दिन व्रत रखता है उसके सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। धार्मिक ग्रंथों और शास्त्रों में मंगलवार के दिन पड़ने वाला प्रदोष व्रत बहुत ही पुण्य फलदायी माना गया है। मंगलवार को पड़ने वाला प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष कहा जाता है।

दृक पंचांग के अनुसार, इस माह यानी अक्टूबर में भौम प्रदोष 15 अक्टूबर को पड़ रहा है। ज्योतिषियों के अनुसार, भौम प्रदोष व्रत के दिन तीन संयोग भी बन रहे हैं। तीन संयोग बनने से भौम प्रदोष व्रत का महत्व और अधिक बढ़ गया है। तो आज इस खबर में भौम प्रदोष की शुभ तिथि, मुहूर्त, योग और महत्व के बारे में विस्तार से जानेंगे।

भौम प्रदोष व्रत की शुभ तिथि

दृक पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 15 अक्टूबर को सुबह 3 बजकर 41 मिनट से होगी और समाप्ति अगले दिन यानी 16 अक्टूबर को 12 बजकर 18 मिनट पर होगी। शास्त्रों के अनुसार, प्रदोष व्रत प्रदोष काल में रखा जाता है, इसलिए प्रदोष व्रत 15 अक्टूबर को ही रखा जाएगा।

भौम प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, भौम प्रदोष के दिन भगवान शिव की पूजा करने के लिए आपको सिर्फ 2 घंटे 31 मिनट मिलेंगे। भगवान भोलेनाथ की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम को 5 बजकर 52 मिनट से शुरू होगा और रात को 8 बजकर 22 मिनट पर खत्म होगा। इस दौरान आप भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना विधि-विधान से कर सकते हैं।

प्रदोष व्रत पर तीन शुभ योग

ज्योतिषियों के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन वृद्धि योग, ध्रुव योग और रवि योग के सथ सर्वार्थ सिद्धि योग बनने वाले हैं। इसलिए इसका महत्व और अधिक बढ़ गया है।

भौम प्रदोष व्रत का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भौम प्रदोष के दिन भगवान शिव की पूजा और अर्चना करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। इसके साथ ही व्यक्ति अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। दिन मंगल ही मंगल रहता है। भगवान शिव की कृपा भी हमेशा बनी रहती है।

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डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। Hari Bhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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