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कर्नाटक के हसनगी में जन्मे पं. गणपति भट्ट को प्रतिष्ठित राष्ट्रीय तानसेन सम्मान दिया जा रहा है। इसकी जानकारी संस्कृति विभाग ने गुरूवार को दी है।

Tansen Award: कर्नाटक के हसनगी में जन्मे पं. गणपति भट्ट को प्रतिष्ठित राष्ट्रीय तानसेन सम्मान दिया जा रहा है। इसकी जानकारी संस्कृति विभाग ने गुरूवार को दी है। इस मैके पर हरिभूमि ने पं. गणपति भट्ट से बातचीत की है। पं. गणपति भट्ट ने बातचीत में बताया कि कम उम्र से ही हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत को लेकर बहुत उत्साहित था। मेरे बगल वाले घर में ही स्वर्गीय बसवराज राजगुरु रहते थे, मैंने उनसे संगीत सिखने की इच्छा जाहिर की तो उन्होंने मुझे अजमाया। कभी सुबह 4 बजे तो कभी सुबह 6 बजे बुलाते मैं वहां जाता था। इस प्रकार छ माह सिखाने के बाद उन्होंने एक बार एक लाइव कंसर्ट में मुझे मौका दिया। उन्होंने कहा कि सुर लगाओ और मैंने आंखे बंद करके सुर लगाया, जो उन्हें इतना पसंद आया कि उन्होंने मुझे अपना शिष्य बना लिया। वे मेरे गुरु थे।  

‘कल के कलाकार’ कार्यक्रम में पंडित जसराज ने मंच से की प्रशंसा
उन्होंने कहा कि 1983 में ‘कल के कलाकार’नामक एक संगीत के शो में मैंने भाग लिया, जिसमें पंडित जसराज, पं भीमसेन सहित बड़े बड़े कलाकार आए, जिसमें जसराज ने मेरी बहुत प्रशंसा की और यह सम्मान मुझे मिला। मैंने अपनी इस कला को दो महान गुरुओं, स्वर्गीय बसवराज राजगुरु और पंडित सी.आर.व्यास से सीखा। साथ ही सवाई गंधर्व, बसवराज राजगुरु और पंचकशी गवई जैसे प्रसिद्ध परिवारिकों की संगीत परंपरा का एक हिस्सा रहा है। साल 1985 पूणे में प्रसिद्ध सवाई गंधर्व समारोह में मेरा प्रदर्शन बहुत ही उल्लेखनीय रहा है। मैंने अपने 75 मिनट के प्रदर्शन में मधुकाऊंस और बागेश्वरी को गाकर दर्शकों के दिलों को जीत लिया था।
 
राष्ट्रीय कवि  प्रदीप सम्मान से गुरू सक्सेना नवाजे जाएंगे
100 से भी अधिक छंद लिखने वाले  गुरू सक्सेना राष्ट्रीय कवि प्रदीप सम्मान दिया जा रहा है। कवि गुरु सक्सेना ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि मैं बहुत खुश हूं कि संस्कृति विभाग ने मुझे इस लायक समझा। इस निर्णय से मेरी 55 साल की यात्रा आज सार्थक हुई। क्योंकि मैं करीब 50 सालों से छंदों के ऊपर ही कार्य कर रहा हूं और मैं 100 से भी अधिक प्रकार के छंदों पर काम किया है। उन्होंने कहा कि काव्य के दौरान छंदों पर गहरी पकड़ होना बहुत जरूरी है। राम के चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि रामचरित्र मानस में मेरा बचपन से ही गहरा लगाव रहा है।  करीब 25 साल तक हास्य कवि के रूप में मैंने मंच संचालन किया है।  अब तक 12 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। 

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