Pitru Ko Jal Kab Dena Chahiye: पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से होती है और समापन आश्विन महीने की अमावस्या पर होता है। पितृ पक्ष में पितरों को तर्पण और पिंडदान करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। 16 दिनों तक चलने वाले इस पितृ पक्ष में पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है। इस दौरान पितरों को जल देने से उनकी आत्मा को तृप्ति की प्राप्ति होती है। श्राद्ध पक्ष में पितरों को जल कब देना चाहिए?
पितरों को जल कितने बजे देना चाहिए?
(Pitru Ko Jal Kitne Baje Dena Chahiye)
श्राद्ध करते समय पितरों का तर्पण किया जाता है। साथ ही अंगूठे के माध्यम से शवों पर जलांजलि दी जाती है। धार्मिक मान्यता है कि, अंगूठे से पितरों को जल अर्पित करने से उनकी आत्मा को शांति प्राप्त होती है। हमारे हिंदू पौराणिक ग्रंथों की मानें तो हथेली के जिस भाग पर अंगूठा होता है, वह पितृ तीर्थ होता है। इस बार पितरों को जल तर्पण करने का समय सुबह 11:30 बजे से दोपहर 12:30 बजे के बीच का रहेगा। जल अर्पण में कांसे या तांबे के लोटे का प्रयोग करें।
पितरों को जल कैसे देना चाहिए?
(Pitru Ko Jal Kaise Dena Chahiye)
श्राद्ध दौरान तर्पण सामग्री लेने के पश्चात दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके बैठे। अब हाथों में जल, कुशा, अक्षत, पुष्प और काले तिल लें और दोनों हाथ जोड़कर पितरों को याद करें। उन्हें आमंत्रित कर, उनसे जल ग्रहण करने का अनुरोध करें। इसके पश्चात्त 5-7 या 11 बार अंजलि से जल धरती पर गिराएं।
डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। Hari Bhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।