Pitru Paksha Shradh 2024: वैदिक पंचांग के अनुसार, आज त्रयोदशी श्राद्ध है यानी पितृपक्ष का 13वां दिन है। आज के दिन कुतुप मुहूर्त में पितरों का तर्पण करना बहुत ही शुभ माना गया है। मान्यता है कि जो लोग कुतुप मुहूर्त में पितरों को श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान और तिलांजलि देते हैं, उनके घर की सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं। साथ ही साथ पितरों का आशीर्वाद भी मिलता है। 

पितृपक्ष में ब्रह्मणों को भोजन कराने का भी विधान है। जो लोग ब्राह्मण, गरीब, जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाते हैं, उनके घर में कभी भी धन-दौलत की कमी नहीं होती है। घर हमेशा धन-दौलत से भरा रहता है। पितरों का आशीर्वाद हमेशा साथ रहता है। लेकिन, श्राद्ध करने के कुछ नियम होते हैं। तो आज इस खबर में जानेंगे कि किस विधि से पितृपक्ष के 13वें दिन यानी त्रयोदशी श्राद्ध कर सकते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं।

पितृपक्ष के 13वें दिन श्राद्ध का निमय

  • त्रयोदशी श्राद्ध के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान आदि करके स्वच्छ कपड़े धारण करें।
  • जिस जगह पर पितृ देव स्थान है, उस स्थान को गाय के गोबर से लीपे और गंगाजल से पवित्र करें।
  • घर की महिलाएं स्नान करके पितरों के लिए सात्विक भोजन बनाए और ब्रह्मणों को श्राद्ध भोज के लिए निमंत्रण दें।
  • घर में ब्रह्मणों के आगमन होने से पहले पितरों की पूजा और तर्पण करा दें और उनके नाम का संकल्प लें।
  • उसके बाद जल में काला तिल मिलकर तर्पण करें। साथ ही साथ पितरों के निमित्त अग्नि में गाय का दूध, घी, खीर और दही अर्पित करें।
  • पितरों को चावल के पिंड बनाकर अर्पित करें और ब्रह्मणों को भोजन कराएं। साथ ही यथाशक्ति दक्षिणा भी दें। इसके बाद उनका आशीर्वाद लेकर विदा करें।
  • श्राद्ध वाले दिन पितरों के अलावा कौवा, गाय, कुत्ते और चींटी को भोजन खिलाएं। ऐसा करने से पितृ देव प्रसन्न होते हैं।

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डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। Hari Bhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।