Pradosh Vrat 2024: कब है प्रदोष व्रत, जानें शुभ तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि

वैदिक पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। तो आज इस खबर में जानेंगे कि भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष के प्रदोष व्रत कब है और शुभ तिथि क्या है।;

Update:2024-09-11 08:20 IST
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Pradosh Vrat 2024: वैदिक पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत देवों के देव महादेव भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस समय भाद्रपद का महीना चल रहा है, ऐसे में भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाएगा।

मान्यता है कि जो लोग प्रदोष व्रत रखते हैं उनके जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। पंचांग के अनुसार, सितंबर में दो बार प्रदोष व्रत की तिथि पड़ रही है। तो आज इस खबर में जानेंगे कि सितंबर में कब-कब प्रदोष व्रत रखा जाएगा। साथ ही पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है। आइए इन सभी के बारे में विस्तार से जानते हैं।

दृक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 15 सितंबर 2024 को प्रारंभ हो रही है और समाप्ति अगले दिन यानी 16 सितंबर को दोपहर में होगी। यानी सितंबर माह का पहला प्रदोष व्रत 15 सितंबर और दूसरा प्रदोष व्रत 29 सितंबर को रखा जाएगा। तो आइए शुभ मुहूर्त, शुभ तिथि और पूजा-पाठ के बारे में विस्तार से जानेंगे।

प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 15 सितंबर को शाम 6 बजकर 12 मिनट हो रही है और समाप्ति अगले दिन यानी 16 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 10 मिनट तक है। प्रदोष व्रत के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम को 6 बजकर 26 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 46 मिनट तक है।

प्रदोष व्रत की पूजा विधि

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन प्रातकाल उठकर स्नान-ध्यान करें और साफ-सुथरा वस्त्र धारण करें। उसके बाद भगवान शिव के परिवार माता पार्वती, गणेश जी समेत सभी देवी-देवताओं की विधि-विधान से पूजा करें। यदि आप इस दिन व्रत रखते हैं हाथ में पवित्र जल, फूल और अक्षत लेकर व्रत रखने का संकल्प लें।

उसके बाद संध्या के समय मंदिर में गोधूलि बेला में दीप प्रज्वलित करें। उसके बाद घर के मंदिर में विधिवत पूजा करें। साथ ही भगवान शिव का अभिषेक करें। उसके बाद ओम नमः शिवाय का मंत्र जाप करें और अंत में क्षमा प्रार्थना करें।

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डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। Hari Bhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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