(रुचि राजपूत)
Spritual Importance of Banyan Tree : कई औषधीय गुणों से भरपूर बरगद का पेड़ हिंदू धर्म में पूजनीय है। वट वृक्ष के नाम से प्रचलित बरगद का पेड़ सनातन धर्म में काफी महत्वपूर्ण है। इसके फल, फूल, तना से लेकर पत्तियां भी इस्तेमाल में लाई जाती है। हिंदू धर्म में बरगद के पेड़ की पूजा करने की परंपरा सदियों पुरानी है। हिंदू धर्म में इस वृक्ष को अक्षय वट भी कहा जाता है। यह पेड़ जितना धार्मिक महत्व रखता है इसका उतना ही महत्वपूर्ण वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बरगद के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है। वहीं वैज्ञानिक रूप से बरगद के पेड़ की जड़, तना, फल तीनों में ही औषधीय गुण पाए जाते हैं। इसके धार्मिक महत्व के बारे में बता रहे हैं प्रसिद्ध ज्योतिषी पंडित धर्मेंद्र दुबे।
-बरगद के पेड़ का धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में बरगद के पेड़ को वट वृक्ष के नाम से भी जाना जाता है। बरगद के पेड़ की जड़ें जमीन में बहुत दूर-दूर तक फैली हुई होती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बरगद के पेड़ की छाल में भगवान विष्णु, बरगद की जड़ों में भगवान ब्रह्मा और इसकी शाखाओ में भगवान शिव विराजमान होते हैं। इसलिए इसकी पूजा की जाती है।
-20 घंटे से ज्यादा देता है ऑक्सीजन
बरगद का पेड़ ऑक्सीजन का खजाना माना जाता है। कई पेड़ ऐसे हैं जो बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन का निर्माण करते हैं। उन्हीं में से एक बरगद भी है। बरगद के अलावा नीम, बांस और तुलसी के पेड़ बहुत अधिक मात्रा में आक्सीजन का निर्माण करते हैं। वैज्ञानिक शोधों के अनुसार बरगद, नीम, तुलसी का पेड़ 1 दिन में लगभग 20 घंटे से ज्यादा समय तक ऑक्सीजन का निर्माण कर सकते हैं।
-औषधीय गुणों से भरपूर
बरगद के पेड़ का सिर्फ धार्मिक ही नहीं है बल्कि आयुर्वेद में बहुत महत्व बताया गया है। इससे कई प्रकार की औषधियां प्राप्त की जा सकती हैं। अगर कोई घाव या खुली चोट है तो बरगद के पेड़ के दूध में हल्दी मिलाकर चोट वाली जगह पर बांधने से घाव जल्दी ही भर जाता है। इसके अलावा बरगद के पेड़ के पत्तों से निकलने वाले दूध को चोट, मोच या सूजन पर दिन में दो से तीन बार लगाकर मालिश करने से आराम मिलता है।