Shardiya Navratri 2024 Day 4 Maa Kushmanda Puja: हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व का विशेष महत्व हैं। नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप देवी कुष्मांड़ा की पूजा करने का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, मां कुष्मांडा की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। सूर्य के समान तेज वाली मां कुष्मांडा सभी दिशाओं में प्रकाश का संचार करती है। कहते है कि, मनुष्य तो दूर कोई अन्य देवी-देवता भी इनके प्रकाश का सामना नहीं कर पाता है। मां कुष्मांडा अष्टभुजा वाली देवी हैं, जिनके कमण्ड, धनुष, बाण, कमलपुष्प, अमृतपूर्ण कलश ,चक्र और गदा है। मां के सभी आठ हाथों में सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला भी है। वह सिंह सवारी करती है। मान्यताओं के मुताबिक, मां कुष्मांड़ा की पूजा से बुद्धि और विवेक बढ़ता है। 

मां कुष्मांडा की पूजा का शुभ मुहूर्त 
(Maa Kushmanda Ki Puja Ka Shubh Muhurat)

शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 40 मिनट से लेकर 12 बजकर 25 मिनट तक का रहेगा। 

मां कुष्मांडा की पूजा विधि 
(Maa Chandraghanta Ki Puja Vidhi)

  • - सुबह उठकर स्नान करें और मंदिर की साज सज्जा करें। 
  • - अब मां कुष्मांडा को कुमकुम, मौली, अक्षत, लाल रंग के फूल, फल, पान के पत्ते, केसर और शृंगार अर्पित करें। 
  • - अब मां कुष्मांडा की आरती करें, फिर दुर्गा चालीसा पाठ करें। 
  • - घी के दीप या कपूर से मां कुष्मांडा 

मां कुष्मांडा का भोग 
(Maa Chandraghanta Bhog)

नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा को 'पेठा' का भोग लगाएं। पेठे की मिठाई मां कुष्मांडा को अतिप्रिय है। इसके अलावा हलवा, मीठा दही और मालपुए का प्रसाद भी मां कुष्मांडा को चढ़ाना शुभ माना गया है। पूजा के बाद प्रसाद को स्वयं भी ग्रहण करे और लोगों में वितरित करें। 

मां कुष्मांडा पूजा मंत्र 
(Maa Chandraghanta Puja Mantra)

सर्व स्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते।
भयेभ्य्स्त्राहि नो देवि कूष्माण्डेति मनोस्तुते।।
ओम देवी कूष्माण्डायै नमः॥

मां कुष्मांडा की आरती 
(Maa Chandraghanta Aarti)

कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥

पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी मां भोली भाली॥

लाखों नाम निराले तेरे।
भक्त कई मतवाले तेरे॥

भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥

सबकी सुनती हो जगदम्बे।
सुख पहुंचती हो मां अम्बे॥

तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥

मां के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥

तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो मां संकट मेरा॥

मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥

तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥

डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। Hari Bhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।