Shardiya Navratri 2nd Day, Maa Brahmacharini Vrat Katha In Hindi: आज मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जा रही है, क्योंकि आज शारदीय नवरात्रि का दूसरा दिन है। शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना विधि-विधान से की जाती है। मान्यता है कि जो जातक मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते हैं, उनकी सारी मनोमनाएं पूरी हो जाती है।

बता दें कि ब्रह्मचारिणी का अर्थ तप का आचरण करने वाली माता। कहा जाता है कि मां ब्रह्मचारिणी का अविवाहित रूप माता पार्वती का है। इनकी पूजा करने से घर में धन-समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही साधक के अंदर तप करने की शक्ति भी आ जाती है। नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा कर रहे हैं तो व्रत कथा का पाठ करना भी बहुत जरूरी है। तो आज इस खबर में बताएंगे कि माता ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न करने के लिए किस व्रत कथा का पाठ करना चाहिए।

मां ब्रह्मचारिणी का व्रत कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, पूर्व जन्म में मां ब्रह्मचारिणी देवी राजा हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया था। राजा हिमालय पर्वतों के राजा थे। मां ब्रह्मचारिणी नारद जी के उपदेश से भगवान भोलेनाथ को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। घोर तपस्या करने के कारण भी इन्हें उस समय तपश्चारिणी अर्थात ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना गया है। मान्यता है कि ब्रह्मचारिणी देवी करीब 1 हजार वर्ष तक केवल फल-फूल खाकर बिताए और सौ वर्ष तक जमीन पर सोई थी।

पुराणों के अनुसार, ब्रह्मचारिणी के कुछ दिनों तक उपवास रखें और खुले आकाश के नीचे वर्षा के साथ धूप के घोर कष्ट सहे। कहा जाता है कि तीन हजार वर्षों तक टूटे हुए बिल्व पत्र खाए और महादेव की आराधन की। माता ब्रह्मचारिणी कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रहकर तपस्या कीं। इनके इस तपस्या को देखकर इनका नाम अर्पणा पड़ा।

ब्रह्मचारिणी देवी कई हजार वर्षों तक कठिन तपस्या करती रहीं, जिसके कारण इनका शरीर एकदम क्षीण हो गया। देवता, मुनि, ऋषि, सिद्धगण सभी ने माता की सराहना की और कहा कि हे देवी आज तक किसी ने इस तरह की कठोर तपस्या नहीं की है, यह सिर्फ आप से ही संभव हो सकी है। आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी होगी। साथ ही भगवान शिव पति के रूप में प्राप्त होंगे।

देवताओं और ऋषि-मुनियों ने कहा कि देवी अब आप तपस्या को छोड़ दीजिए और घर वापस लौट जाइए। आपके पिता जल्द ही आपको लेने के लिए आ रहे हैं। कथाओं के अनुसार, माता ब्रह्मचारिणी की कथा जीवन के कठीन से कठीन संघर्षों से भी विचलित नहीं होना चाहिए। तभी जीवन में सर्व सिद्धि प्राप्त हो सकती है।

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डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। Hari Bhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।