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Shiv-Parvati Murti: भारत देश में अलग-अलग जगह पर भोलेनाथ की पूजा होती है। उत्तर प्रदेश में काशी विश्वनाथ से तो सभी परिचित है, लेकिन एक ऐसा मंदिर भी है। जहां शिव पार्वती की साक्षात मूर्ति पूजा होती है।

Shiv-Parvati Murti: भारत देश में अलग-अलग जगह पर भोलेनाथ की पूजा होती है। उत्तर प्रदेश में काशी विश्वनाथ से तो सभी परिचित है, लेकिन एक ऐसा मंदिर भी है। जहां शिव पार्वती की साक्षात मूर्ति पूजा होती है। मां शारदा ज्योतिष केंद्र के ज्योतिषाचार्य डॉ. मनीष गौतम महाराज ने बताया कि अधिकतर मंदिरों में शिवलिंग पर ही जल अर्पित किया जाता है। देश में ऐसे बहुत ही विरले मंदिर हैं, जहां पर साक्षात भगवान शिव की पूजा की जाती है। इन्हीं मंदिरों में से एक मंदिर है, उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में भगवान शिव मंदिर। जहां शिवलिंग की नहीं साक्षात शिव पार्वती माता की पूजा की जाती है। 

पूर्वांचल धाम के नाम से है मशहूर
इस मंदिर में पूरे साल दर्शनार्थियों का मेला लगा रहता है। यहां सावन में कावड़ियों की जल चढ़ाने की संख्या लाखों में होती है। शिवद्वार में स्थापित शंकर पार्वती की अप्रतिम मूर्ति के दर्शन के लिए पूरे देश से शिव भक्त यहां आते हैं। शिवद्वार को पूर्वांचल का धाम कहा जाता है। जहां भोलेनाथ के दर्शन के लिए सावन एवं अन्य दिनों में भक्तों का तांता लग जाता है। वैसे उमा महेश्वर की इस मूर्ति को लेकर कई मान्यताएं प्रचलित हैं। यहां पर जो भोलेनाथ की मूर्ति स्थापित है। वह खेत से निकली थी, ऐसी मान्यता है। इस शिवद्वार धाम को गुप्त काशी के नाम से भी जाना जाता है। जहां पर दर्शन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

शिव और पार्वती की मूर्ति जमीन से निकली थी
सोनभद्र जिले में स्थित शिव और माता पार्वती की मूर्ति शिवद्वार धाम में भगवान शिव और उनकी पत्नी माता पार्वती की अद्भुत मूर्ति है। ऐसी मान्यता है कि यह मूर्ति एक जमींदार के खेत में जुताई के दौरान प्राप्त हुई है। यह भी मान्यता है कि 19वीं सदी में खेत में हल चलाते समय गांव के एक किसान उमा महेश्वर को यह अप्रतिम मूर्ति मिली थी। मूर्ति के मिलने से सभी गांव वाले प्रसन्न हुए और इसे भगवान का आशीर्वाद मानकर पूजा करने लगे। गांव के एक जमींदार शिव भक्त ने इस मंदिर का निर्माण कराया। इसलिए इस मंदिर का नाम शिवद्वार पड़ा। 

पूरे विश्व में प्रसिध्द है यह मंदिर
माना जाता है कि साल 1938 में मूर्ति की विधिवत प्राण प्रतिष्ठा कराई गई। कुछ समय में ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती द्वारा मंदिर का निर्माण एवं सौन्दर्यीकरण एवं ज्योतिर्लिंग की स्थापना कराई गई। इसके बाद से यह मंदिर पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। इस मंदिर में सावन में शिव भक्तों की भारी भीड़ लगती है।

विश्व की सबसे अनोखी शिव पार्वती की मूर्ति है
भगवान शिव की पूजा शिवलिंग के रूप में ज्यादा की जाती है। बहुत ही कम जगह पर भगवान शिव की मूर्ति स्थापित देखने को मिलती है। भगवान शिव और माता पार्वती दोनों की एक साथ मूर्ति की बात करें, तो वह बहुत ही विरले जगह पर ही देखने को मिलेगी। ऐसी ही विशेषता शिवद्वार धाम की है, यहां भगवान शिव और माता पार्वती की एक साथ मूर्ति स्थापित है। मंदिर के गर्भ गृह में देवी पार्वती की 11वीं सदी की सुंदर काले पत्थर की मूर्ति विराजमान है। यह 3 फीट ऊंची मूर्ति प्रणय मुद्रा में रखी हुई है, जो एक रचनात्मक मुद्रा कहलाती है। 

शिव पार्वती की काले रंग की मूर्ति है स्थापित
यह मूर्ति बेहतरीन कलाकारी का एक नमूना है। मंदिर उस काल के कौशल के बेहतरीन नमूने और शानदार कला का प्रदर्शन करते हुए उत्कृष्ट रचना है। काले रंग की शिव पार्वती की मूर्ति काफी अद्भुत है। शिव पार्वती के साथ-साथ यहां दूसरे भगवानों की भी मूर्ति है, वह भी काले रंगों की है। इस मूर्ति की दर्शन करने से सभी भक्तों की मनोकामना अवश्य ही पूरी होती है। एक बार आपको यहां पहुंचकर भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती का आशीर्वाद जरूर लेना चाहिए।

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