Sankashtnashan Ganesh Stotra: 7 सितंबर 2024, शनिवार को गणेश चतुर्थी मनाई जायेगी। भगवान श्री गणेश जी के बिना किसी भी शुभ कार्य को प्रारंभ नहीं किया जाता है। सनातन धर्म में गणेश जी को प्रथम पूज्य की उपाधि दी गयी है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, यदि किसी व्यक्ति के जीवन में दुःख कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं, तो उन्हें नियमित रुप से गणपति जी का ध्यान करना चाहिए। जिससे प्रसन्न होकर विघ्नहर्ता गणेश जी सभी विघ्न दूर करते है।
गणपति जी की पूजा से कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में खुशियों का संसार बसा सकता है। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि यानी गणेश चतुर्थी संकट निवारण की प्रार्थना के लिए विशेष दिन हो सकता है। आज के दिन से लेकर अगले 10 दिन तक संकष्टनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
संकष्टनाशन स्तोत्र बेहद प्रभावी माना गया है। कहा जाता है कि, इस स्तोत्र का पाठ गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक लगातार 10 दिन करने से व्यक्ति के जीवन से दुखों का नाश होता है और सुख-समृद्धि का वास होता है। यह मन्त्र गणपति जी की कृपा पाने का सर्वोत्तम उपाय है। जानते है इसका महत्व -
गणेश संकष्टनाशन स्तोत्र का महत्त्व
(Sankashtnashan Stotra Mahatav)
भगवान गणेश जी की कृपा पाने के लिए 'संकष्टनाशन स्तोत्र' का पाठ अवश्य करना चाहिए। नारद पुराण में 'संकष्टनाशन स्तोत्र' का वर्णन स्वयं नारद जी द्वारा किया गया है। इस स्तोत्र में गणपति जी के 12 अलग-अलग रूपों का वर्णन किया गया है। कोई भी व्यक्ति दीर्घायु और अपनी कामनाओ की पूर्ति के लिए इस स्तोत्र का पाठ कर सकता है। कहते है, गणेश संकष्टनाशन स्तोत्र का नियमित 10 दिन पथ करने से व्यक्ति के सभी कार्य सफल होते है और समृद्धि आती है।
श्री संकटनाशनं गणेश स्तोत्र
प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम् ।।
भक्तावासं स्मरेन्नित्यमायु:कामार्थसिद्धये ।।१ ।।
प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम् ।।
तृतीयं कृष्णपिङ्गगाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम् ।।२।।
लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकटमेव च ।।
सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्णं तथाष्टमम् ।।३ ।।
नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम् ।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम् ।।४ ।।
द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्यं य: पठेन्नर: ।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो ।।५ ।।
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् ।।६ ।।
जपेत् गणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलं लभेत् ।
संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशय: ।।७ ।।
अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा य: समर्पयेत् ।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत: ।।८ ।।
इति श्री नारदपुराणे संकटविनाशनं श्रीगणपतिस्तोत्रं संपूर्णम् ।
डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। Hari Bhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।