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हिंदू धर्म में पूजा पाठ या कथा के समय देवी-देवता को भोग के रूप में पंचामृत अर्पित करने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। इसका क्या मदत्व है आइए जानते हैं इस आर्टिकल में।

(रुचि राजपूत)

Bhog Me Panchamrit ka Mahatva : सनातन धर्म में भगवान की पूजा करना और उनको भोग लगाने का विधान प्राचीन काल से चला आ रहा है। इस भोग में पंचामृत भी चढ़ाया जाता है। पंचामृत, हिन्दू धर्म में पूजा और कथा पाठ में उपयोग होने वाला एक पावन और शुभ द्रव्य है। इसमें पांच प्रकार के तत्व होते हैं - दूध, दही, शहद, शक्कर और घी। इन पांचों तत्वों को मिलाकर बनाया जाता है और इसे देवी देवता को भोग के रूप में अर्पित किया जाता है। इसका क्या महत्व है जानेंगे हरदा के रहने वाले पंडित एवं ज्योतिषी धर्मेंद्र दुबे से.

क्यों लगाया जाता है पंचामृत का भोग?
पंचामृत का भोग इसलिए लगाया जाता है क्योंकि इसमें सात्विक और पवित्र गुण होते हैं, जो हमारी आत्मा को प्रेरित करने वाले माने जाते हैं और ये गुण ईश्वर की भक्ति में मदद करते हैं। इसके अलावा, पंचामृत का भोग देवता को अर्पित करने का अर्थ है अपने भक्त की श्रद्धापूर्वक आराधना करने का एक तरीका भी है।

पंचामृत का प्रथम भाग है दूध को शुद्धता का प्रतीक माना जाता है, हमारा जीवन भी दूध की तरह साफ होना चाहिए। शरीर के अंदर के विष को दूर करता है, मन को शांत करके तनाव दूर करता है। दही हमें सद्गुणों को अपनाने की सीख देता है, दही एकाग्रता को बेहतर करता है त्वचा और चेहरे को कांतिवान बनता है। शहद मीठा होने के साथ ही शक्तिशाली भी होता है तन और मन से शक्तिशाली व्यक्ति सफलता पा सकता है। हमें सबके जीवन में मिठास घोलने और मीठा बोलना सीखना चाहिए। घी सभी के शरीर में ऊर्जा का स्त्रोत बना रहता है। शक्कर से आलस्य कम होता है, नींद की समस्या को दूर करता है।

इस प्रकार, पंचामृत का भोग आराधना और पूजा के समय भक्ति और पवित्रता की भावना को सुदृढ़ करने में मदद करता है और भक्त को दिव्य शक्ति से जोड़कर उच्च आदर्शों की प्राप्ति की दिशा में मार्गदर्शन करता है।

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