(रुचि राजपूत)

Dharti Ko Sparsh Karne ka Mahatva : जिस घर में बुजुर्ग लोग रहते हैं वहां आपने अक्सर देखा होगा कि बिस्तर से पैर नीचे रखने से पहले वह धरती को प्रणाम करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि वह ऐसा क्यों करते हैं। इसके लिए अलग-अलग तरह के तर्क दिए जाते हैं। धरती के पैर पड़ने के धार्मिक, ज्योतिष और व्यावहारिक कारण बताए गए हैं। धरती का स्पर्थ हमेशा दाहिने हाथ से किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, शास्त्रों में पृथ्वी की तुलना हमारे आराध्य से की गई है। अगर हम धरती का स्पर्श करते हैं तो इसका मतलब है कि हम अपने आराध्य के चरणों को स्पर्श करते हैं। इस विषय में विस्तार से बता रहे हैं हरदा के रहने वाले पंडित एवं ज्योतिषी धर्मेंद्र दुबे।

ज्योतिष शास्त्र में भी इसका उल्लेख किया गया है। इसके बारे में ज्योतिषी धर्मेंद्र दुबे ने कई फायदे और महत्व के बारे में जानकारी दी है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ऐसी मान्यता है कि भूमि को भगवान विष्णु की पत्नी माना गया है। इसे स्पर्श करने का मतलब है मां के चरणों का स्पर्श करना। धरती को भगवान विष्णु के चरणों की भी संज्ञा दी जाती है। 

जब हम सुबह उठते ही सबसे पृथ्वी का स्पर्श करते हैं, तो यह इस बात का इशारा होता है कि मां धरती का आशीर्वाद दिनभर के लिए मिल गया है। पृथ्वी तत्व से हमारे शरीर को सबसे ज्यादा ऊर्जा मिलती है। इसी वजह से धरती को माता का रूप माना जाता है। हमारे जीवन यापन के लिए सभी आवश्यक चीजें इसी धरती से ही मिलती हैं। 

वहीं, व्यवहारिक रूप से देखें तो इसका अर्थ होता है कि हम धरती से जुड़े रहते हैं। ऐसा करने से हमारे जीवन में अहंकार नहीं आता है। हम अहंकार से दूर रहते हैं। वैसे बुध का कारक पृथ्वी है। बुध हमारी बुद्धिमत्ता को दिखाता है। बुध को ज्ञान का कारक माना जाता है ऐसे में धरती का स्पर्श हमारे लिए फायदेमंद होता है।