(कीर्ति राजपूत)

Vinayak Chaturthi 2024 : भगवान गणेश माता पार्वती और महादेव के बेटे हैं। भगवान गणेश को महादेव से वरदान प्राप्त है कि किसी भी कार्य को करने से पहले बप्पा की पूजा की जाएगी। इतना ही नहीं हर महीने की एक चतुर्थी गणेश चतुर्थी के रूप में मनाई जाएगी, जिसमें भगवान गणेश का ध्यान पूर्वक पूजा पाठ करने से उनका आशीर्वाद व्यक्ति को उत्तम फल के स्वरूप में मिल सके। इसके अलावा उनके घर परिवार में हमेशा खुशहाली बनी रहे। आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से कि कब है 2024 की पहली गणेश चतुर्थी साथ ही जानेंगे चतुर्थी करने के नियम पूजा विधि।

गणेश चतुर्थी तिथि
भगवान गणेश को सनातन धर्म में प्रथम आराध्या माना गया है, किसी भी शुभ काम को करने के पहले भगवान गणेश से प्रार्थना कर आशीर्वाद लिया जाता है। हर माह में दो चतुर्थी पड़ती है, जिसमें से शुक्ल पक्ष की चतुर्थी गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी के रूप में मनाई जाती है। इस बार 2024 की पहली गणेश चतुर्थी 14 जनवरी को पड़ रही है। जिसकी शुरुवात 14 जनवरी 2024 को सुबह 7:59 बजे से लेकर 15 जनवरी 2024 की सुबह 7:59 बजे तक रहेगी।

गणेश चतुर्थी के नियम

सूर्य उदय से पहले उठें 
गणेश चतुर्थी पर सूर्य उदय के पहले उठना चाहिए।

गणेश चतुर्थी व्रत का महत्व
गणेश चतुर्थी व्रत का खास महत्व माना जाता है, अगर आप किसी कारणवश ये व्रत नहीं कर पा रहे हैं तो भगवान गणेश का मन ही मन सिमरन करते रहें और उनकी पूजा जरूर करें।

जरूरतमंद की सेवा
यदि आप इस दिन व्रत करके किसी जरूरतमंद या फिर अपने घर में बुजुर्गों की सेवा करते हैं, तो आपको इसका दोगुना फल मिलता है और भगवान गणेश आपको अपना आशीष प्रदान करते हैं।

गणेश चतुर्थी की पूजा विधि
गणेश चतुर्थी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें, स्नानादि से निवृत्त होकर पीले रंग के वस्त्र जरूर पहनें, फिर भगवान गणेश का पूजन करने के लिए एक चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछाकर बप्पा की प्रतिमा या फिर फोटो रखें और फिर कलश स्थापित करें। अब गणपति को रोली, चावल, दुर्वा अर्पित करें, उसके बाद गणेश चालीसा का पाठ करें। अंत में भगवान गणेश को मोदक और पीले फलों का भोग लगाकर उनकी आरती करें और दिनभर का व्रत रखें।

कैसे खोलें व्रत
गणेश चतुर्थी पर व्रत करने से भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है, भगवान गणेश हमारी सभी मनोकामना पूरी करते हैं और हमें उत्तम फल प्रदान करते हैं। विघ्नहर्ता का व्रत रात को चंद्रमा निकलने के बाद चंद्र को अर्घ्य देकर पूजा करने के बाद खोला जाता है। इसमें चंद्र की पूजा करने के बाद आप भोजन कर सकते हैं।